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Showing posts from February, 2011

Everyone liked first Ramayan of Ramanand sagar

सबकी पसंद थी पहली रामायण मै कुछ बाते शेयर करना चाहता हूँ धारावाहिक रामायण जो रामानंद सागर ने बनाई थी. तब ये धारावाहिक सबकी पसंद बन गई थी सभी कम छोड़कर सब के सब रामायण देखते थे और अगर उस समय लाइट चली जाती थी तो लोग बड़ी बेसब्री से लाइट आने का इन्तजार करते थे अगर लाइट आ जाती थी तो जैसे जान में जान आ गई अगर लाइट नहीं आती तो जहाँ पर लाइट आती थी उनसे कहानी सुन लेते थे पर कहानी कोई मिस नहीं करता था. मेरी पसंद के भाग थे जब धनुष टूटा और राम सीता विवाह हुआ , तड़का वध , खर दुसान वध,सीता हरण, जताएउ मरण ,हनुमान राम मिलन,बलि वध,लंका ढहन, कुम्भकरण मरण, रावन मरण. मेरे गाँव में तो रामायण देख के औरतो का हाल बेहाल हो जाता था जब राम सीता हरण के बाद विलाप कर रहे थे तो कुछ औरते बहुत रो रही थी की खुद भगवन रो रहे है. हर एक भाग और अभिनय लोगों के दिलों में आज भी घर कर गया जाने क्या बात थी उस पुराने रामायण में जो आज भी बहुत याद आता है. यही हाल सायद आप में से भी बहुत लोगों में होगी. उसके बाद बहुत सारे रामायण धारावाहिक बने पर वो बात नहीं दिखी जो की पहली रामायण में थी. मेरा रामानंद जी को सत स

Mungari and her son

मुंगरी और उसका बेटा आप लोग सोच रहे होंगे की मुंगरी कौन है और उसका बेटा कौन है तो अब मै आप को बताता हूँ बात बहुत पुरानी है करीब २० साल पुरानी मै अक्सर अपने फूफा के घर जाया करता था वहां बहुत बच्चे थे खेलने में बहुत मजा आता था उनके घर एक बकरी थी जिसका नाम था मुंगरी वो बहुत लम्बी चौड़ी थी और बहुत समझदार भी. जब भी उसे उसके नाम से पुकारो आ जाती थी किसी का कभी कोई नुकसान नहीं करती थी दूध भो २ किलो देती थी मेरे फूफा के ५ बेटे है और सभी उसी का दूध पीते थे उसका दूध भी बहुत मीठा था. हमारे गाँव में बकरे काटने वाले को चिकवा के नाम से जानते है. कई चिक्वे आते थे उसे खरीदने के लिए पर मेरे फूफा मुंगरी को जान से ज्यादा मानते थे कभी नहीं बेचा चिकवा मुह सिकोड़ के चला जाता था. मुंगरी का एक बेटा था नाम था मस्तान. मस्तान भी अब बड़ा हो रहा था पर थोडा सैतान था कभी किसी के क्षत पर तो कभी किसी के खेत में घुस जाता था पर उसको भी जब नाम से बुलाओ जनाब हाजिर. मै ऐ सब देख के बहुत आनंदित होता था. अक्सर यों ही दिन निकलते गए मुंगरी से फूफा खुस रहते थे फूफा से मुंगरी. मुंगरी की उम्र १० साल की हो गई थी अब कभ

Kya ye vahi India hai

क्या ये वही इंडिया है कभी कभी में सोचता हूँ क्या ये वही इंडिया है जहाँ पर लोगों ने हमारे लिए अपने देश के लिए अपनी जान गवाई थी जहाँ कभी हिन्दू और मुस्लमान मिलके अंग्रेजो का सामना करते थे और फक्र करते थे अपने और अपने देश के ऊपर. जहाँ पर चन्द्रसेखर आजाद और भगत सिंह सहीद हुए थे . महात्मा गाँधी और नेहरु जी जैसे नेता हुआ करते थे . उस ज़माने में अगर बड़े से बड़े विचारों वाले लोग होते the तो आज क्यों नहीं. आज हर इंसान इतना स्वार्थी क्यों हो गया. पहले तो अंग्रेज हुआ करते थे उन्हें तो भगा दिया गया पर अब खुद सारा हिंदुस्तान ही अंग्रेज हो गया अब क्या होगा इस देश का. जहाँ देखो जिशे देखो बस खुद अंग्रेज होने में फक्र महसूस करता है अगर कोई हिदुस्तानी लिबास पहनता है तो कोई नहीं देखता पर अंग्रेजी लिबास पहन लिया तो सब हल्लो हाई करते है. मै पूछता हूँ आखिर क्या है इस अंग्रेजी सभ्यता में जिससे सभी आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकते. आज सब कुछ आम हो गया जिसको जो मर्जी आई वही करता है. पहले लोग गाय को माता मान के पूजा करते थे आज उसी गाय का खून करके खाने में कोई एतराज नहीं होता. सभी को अपनी पेट प

Its bad but good

बुरा है पर अच्छा है कभी कभी में सोचता हूँ की दुनिया में कितनी बुराइया होती फिर सोचता हूँ की हर बुराई में अच्छाई छुपी होती है जैसे की मुंबई में बहुत लडकिया गलत धंधे करती है और सेक्स गैंग चलाती है ये सब गलत धंधे है फिर सोचता हूँ कि चलो अच्छा ही है कमसे कम इन लडकियों कि वजह से अच्छे खानदान और संस्कार वाली लडकिया बची रहती है बुरे लोगों कि नजरों से और समाज में सर उठा के जी सकती हैं इसी तरह से लोग चिकेन मटन खातें है जो कि अच्छी बात नहीं होती है पर लोग बहुत मात्रा में मांसाहार करते है सोचो अगर सभी सब्जी ही खायेंगे तो सब्जी और कितनी महंगी हो जाएगी और तो और बकरे भी सब्जी ही खाते है . इसी तरह से ड्रिंक करना बुरा है पर दावा कि तरह पीओ मतलब कि कम तो अच्छा है. इसी तरह से बहुत चीजे इस दुनिया में बुरी होती है पर उसके पीछे कुछ न कुछ अच्छाई छिपी रहती है. इसलिए बुरा है पर अच्छा है.

Jaane kaha gaye vo din

जाने कहाँ गए वो दिन कभी कभी में सोचता हूँ जाने कहाँ गए वो दिन जब हम बचपन की जिंदगी जी रहे थे मेरे बाबा कहते थे बचपन बीतेगा खेल में और अगर जवानी में सोयेगा तो बुढ़ापे में रोयेगा वो सच ही कहते थे दूसरी बात भी कहते थे की जवानी जा के कभी आती नहीं बुढ़ापा आ के कभी जाता नहीं. मुझे याद आता है वो बचपन के दिन जब हम बिंदास खेला करते थे न कोई चिंता न कोई फिकर बस मजा ही मजा बारिश में भीगा करते थे और जब मक्का होता था तो खेतो से भुट्टा चुराते थे बहुत मजा आता था . में और मेरे दोस्त एक साथ खेला करते थे कभी चोर सिपाही तो कभी दौड़ भाग कभी फूटबल तो कभी क्रिकेट और हमें तो ये ख्याल ही नहीं रहता था की एक दिन हम बड़े हो जायेंगे और सारी मस्ती पीछे छूट जाएगी. गाँव के पास में ही एक तालाब था वहां हम नहाने जाते थे बड़ा मजा आता था . फिर कुछ दिन बीते स्कूल जाने की बारी आई हम स्कूल गए पर धीरे धीरे वहां भी दोस्त बने वहां भी खेल खेल में दिन बीतता था लेकिन कभी कभी जब मास्टर जी मरते थे तब पता चलता था की अब थोडा बड़ा हो जाना चाहिए . हमारे स्कूल में एक मास्टर जी बहुत मारते थे कभी कभी तो पैर पे नीले नीले निशान बन

Story of my friends

कहानी मेरे दोस्तों की मेरा एक दोस्त था नाम था विकास(बदला हुआ नाम) . वो बहुत सीधा था बचपन से ही वो मेरे साथ खेलता था हम दोनों के साथ आरती जो की पड़ोस में रहती थी वो भी हमारे साथ खेलती थी हम जयादातर दौड़ने वाला खेल खेलते थे हमारा एक दोस्त और था उसका नाम था पिंकू . इस तरह से कुल मिलके हम 5 लोग थे मै पिंकू आरती ,रोसी और राजेश . खेलते खेलते कितने दिन बीत गए किसी को पता ही नहीं चला. और एक दिन पिंकू को आरती से प्यार हो गया , राजेश को रोसी से और मेरे पास तो कोई कोई रास्ता ही नहीं बचा एक को पिंकी मिली तो दुसरे को रोसी . मैंने कहा चलो कोई बात नहीं दोनों के प्यार का आनंद लेते है और में दोस्ती निभाता हूँ राजेश को तो रोशी से प्यार था पर रोशी को राजेश से नहीं रोशी मुझसे प्यार करती थी .यह मुझे पता नहीं था. आरती और पिंकी दोनों एक दुसरे को बहुत प्यार करते थे और दोनों को मालूम था पर दोनों ने एक दुसरे को कभी बताया ही नहीं की वो एक दुसरे से प्यार करते है . इसी तरह से दिन गुजरते जा रहे थे . एक दिन हम सभ एक शादी में गए आरती पिंकी और रोशी एक साथ थी मने एक प्रश्न राजेश और पिंकू से किया कि तीन

This is True about Google

यह सच है गूगल के बारे में यह सच है की गूगल वेबसाइट अच्छी तरह से लिखी गई ब्लॉग को ज्यादा प्रायिकता देती है पहले में कॉपी किये मटेरिअल का ब्लॉग बनाता था तो कुछ दिन तो अच्छा रहा लेकिन बाद में सर्च में मेरा ब्लॉग बहुत कम आता था . फिर मैंने निर्णय लिया कि में खुद लिखूंगा . फिर मैंने अपना नया ब्लॉग बनाया नाम है http://experienceofknowledge.blogspot.com इस ब्लॉग में मैंने खुद के अनुभव शेयर किये अब मुझे अच्छा लाभ हो रहा है दूसरा ब्लॉग जिसमे मैंने अपना काम और प्रोग्राम और अदाहरण लिखे नाम है http://daynamicsaxaptatutorials.blogspot.com इस ब्लॉग से भी मुझे लाभ मिल रहा है में भी आप लोगों को सलाह देना चाहता हूँ जो भी पोस्ट करो खुद लिखो यही तरीका है गूगल से पैसा कमाने का.

Aise gujra pahla anubhav

ऐसा गुजरा पहला अनुभव जब में छोटा बच्चा था अक्ल का थोडा कच्चा था . जब में पहली बार बस में बैठा तो मुझे नहीं पता था की सीट पे बैठा जाता है या नीचे में पहली बार नीचे ही बैठ गया तो भाई बोला सीट पे बैठो. तब पता चला की सीट किस लिए होती है. जब में छोटा बच्चा था अक्ल का थोडा कच्चा था. जब मैंने पहली बार फिल्म देखी फिल्म का नाम था होली आई रे मुझे पता नहीं था फिल्म क्या होती है जब मैंने परदे पर देखा तो बड़े बड़े आदमी देख के डर गया . तो भाई बोला दरो नहीं असली नहीं है थोड़ी देर के बाद कुछ आदमी दौड़ रहे थे में सीट से खड़ा होकर भागने वाला था तब भाई ने रोका बोला डरो नहीं वही रहेगा यहाँ नहीं तब पता चला की फिल्म क्या होती है जब में छोटा बच्चा था अक्ल का थोडा कच्चा था. एक बार में मंदिर में बैठा था तभी कुछ लोग बैठे थे पूजा चल रही थी देवी नाच हो रहा था एक आदमी के ऊपर देवी आ गई वो कूदने लगा में डर गया पर बाद में लोगों ने बताया ये तो सब नाटक होता है इनका असली नहीं. जब में छोटा बच्चा था अक्ल का थोडा कच्चा था में भैंस को लेके घास के लिए जाता था कुछ सैतान बच्चे भी आते थे वो मुझे लड़ने के

My friend moti has been died

मेरा मोती मारा गया एक बार की बात है मई उस समय बहुत छोटा था हम काफी गरीब थे मेरे पापा उस समय पढाई कर रहे थे और घर से बाहर थे . में और मेरी मम्मी घर पे थे हमारा घर एकांत में था चोर भी आते थे हमने एक कुत्ता पला था घर की रखवाली के लिए. चोरो के घर भी पास में थे उनके कई सरे कुत्ते थे जो दिन में एके मेरे मोती से लड़ाई करते थे. पर मेरा मोती किसी दुसरे कुत्ते को घर में घुसने नहीं देता था भले ही वो लहू लुहान क्यों न हो जाये. रात को चोरो की भी घर में घुसने की हिम्मत नहीं होती थी. चोर परेसान हो गए थे क्यों की वो चोरी नहीं कर पा रहे थे. एक दिन एक चोर ने मेरे मोती को भाला माँर दिया. हमें सुबह मालूम पड़ा मोती मर गया पर चोरी नहीं होने दी . मुझे मेरा मोती बहुत याद आता है. पर ऐसे शेरदिल कुत्ते अब कहाँ है वो जमाना ही बहुत पुराना था .