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Bachpan ki yaadein

इस लेख के तहत में वो सब लिखना चाहता हूँ जो हम बचपन में दोस्तों के साथ खेलते थे । हम अक्कड़ बक्कड़ बहुत खेलते थे उसमे जो लाइन बोलते थे वो इस तरह थे अक्कड़ बक्कड़ बोम्बे बोल अस्सी नब्बे पूरे सौ सौ में लागा तागा चोर निकल के भागा ऊँगली जिसके ऊपर जाती थी वो निकल जाता था और जो लास्ट में बचता था वो सबको खोजता था । दूसरा गेम हम खेलते थे कान पकड़ने वाला सब एक दुसरे का कान पकड़ते थे और बोलते थे चियाऊ मियाऊ बकरी का बच्चा नानी के घर जैबे नानी मारे ठुमका चलो भैया घरका एक और गेम खेलते थे पटेल पटेल इसमें सब घेरे में खड़े होते एक साथ और एक आदमी अलग खड़ा होके बोलता था पटेल पटेल गुल्लू को धकेल और सब मिलके गुल्लू को बहार धकेल देते थे । फिर खेलते थे छपन छुरी सब एक दुसरे का हाथ पकड़ के गोल गोल घुमते थे एक लड़का गोले के अंदर होता और बोलता थे इधर का ताला तोड़ेगे सब बोलते थे छपन छूरी मारेंगे । और लड़का घेरा तोड़ के भाग जाता था । इसके आलावा गुल्ली डंडा , कबडडी और खो खो खेलते थे । स्कूल में तो चोर सिपाही और बिसमरित खेलते थे । कभी कभी तो टीम बना के एक दुसरे को मारते थे । आज भी वो याद आते है