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Experience of Earthquake

भूकम्प का अनुभव  मैंने अब तक दो बार भूकम्प का अनुभव किया है एक बार तब जब मैं  अहमदाबाद में था । तारीख थी जनवरी २७,२००१। मैं  अखबार पढ़ रहा था अचानक अक्षर हिलते हुए दिखाई दिए मैंने सोचा क्या नजर कमजोर हो रही है फिर देखा टीवी हिल रहा है तो सोचा कही चक्कर तो नहीं आ रहा है फिर देखा बिस्तर भी हिल रहा है मैंने कहा अब तो ये कुछ और ही है । तब तक भैया बोले भागो लगता है भूकम्प आ गया । मैं 4th  फ्लोर पर था लगा तेजी से भागने छत पर पानी का पाइप टूट गया खूब तेज पानी के गिरने की आवाज आने लगी ऐसा लगा जैसे बिल्डिंग गिरने वाली है । मै  १० सीढ़िया एक साथ कूदकर भागने लगा और अंततः नीचे पहुंच गया । नीचे से साड़ी बिल्डिंगों को हिलते हुए देख रहा था देह में कम्पन हो रहा था नीचे पहुचने वालों में मैं  पहला व्यक्ति था धीरे धीरे सभी बहार आ गए । कोई तोलिये में लिपटा  था तो कोई केवल अंडरवेर  में था । थोड़ी देर बाद भूकम्प शांत हो गया । फिर लोग अपने अपने एक्शन की गुफ्तगूं करने लगे । एक अंकल तो बोले मैं  पूजा कर रहा था जब भूकम्प  आया तो ऐसा लगा कि  भगवान प्रसन्न हो गए है  और दर्शन देने वालें है लेकिन जब लोगों की आव

Different thoughts

अलग अलग विचारधारा हमारा देश भारत अलग अलग विचारधाराओं से ओतपोत है । कभी हमारा देश अंग्रेजों का गुलाम था और ये गुलामी कई सालों से थी परन्तु आज लोगों की विचारधारा यही है देश को आजादी महात्मा गांधी या भगत सिंह या फिर चंद्रशेखर आजाद जी ने दिलाई थी परन्तु  मेरी तो विचारधारा ये कहती है की हमें सिर्फ कुछ नामों तक सीमित नहीं रहना चाहिए हमें उन सभी लोगों को भी साथ लेकर बोलना चाहिए जिन्होंने कही न कही कभी न कभी कुछ सहयोग दिया । कुछ के नाम तो गुमनाम ही रहे । अंग्रेजो से बहुत लम्बी लड़ाई चली कभी महारानी लक्ष्मीबाई लड़ी तो कभी टीपू सुल्तान तो कभी हैदर अली ।  योँ तो पूरा इतिहास आजादी की लड़ाई से भरी पड़ी है कभी अंग्रेजो से लड़ाई तो कभी मुगलों से । सहीद तो आज भी जवान कश्मीर में हो रहे हैं उनका भी योगदान इस देश के लिए काम नहीं है । कभी मंगल पाण्डेय ने आजादी की बिगुल बजाई थी तो उनको भी आजादी का श्रेय जाता है तो हम केवल एक दो नामों को लेकर अलग अलग विचारधारा क्यों रखते है । हर देश प्रेमी जो देश के लिए सहीद हुआ वो इस देश की आजादी की एक कड़ी है हमें आजादी के लिए एक दो नाम की जगह सभी के नामो के साथ एक कॉमन

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Kya ye vahi India hai

क्या ये वही इंडिया है कभी कभी में सोचता हूँ क्या ये वही इंडिया है जहाँ पर लोगों ने हमारे लिए अपने देश के लिए अपनी जान गवाई थी जहाँ कभी हिन्दू और मुस्लमान मिलके अंग्रेजो का सामना करते थे और फक्र करते थे अपने और अपने देश के ऊपर. जहाँ पर चन्द्रसेखर आजाद और भगत सिंह सहीद हुए थे . महात्मा गाँधी और नेहरु जी जैसे नेता हुआ करते थे . उस ज़माने में अगर बड़े से बड़े विचारों वाले लोग होते the तो आज क्यों नहीं. आज हर इंसान इतना स्वार्थी क्यों हो गया. पहले तो अंग्रेज हुआ करते थे उन्हें तो भगा दिया गया पर अब खुद सारा हिंदुस्तान ही अंग्रेज हो गया अब क्या होगा इस देश का. जहाँ देखो जिशे देखो बस खुद अंग्रेज होने में फक्र महसूस करता है अगर कोई हिदुस्तानी लिबास पहनता है तो कोई नहीं देखता पर अंग्रेजी लिबास पहन लिया तो सब हल्लो हाई करते है. मै पूछता हूँ आखिर क्या है इस अंग्रेजी सभ्यता में जिससे सभी आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकते. आज सब कुछ आम हो गया जिसको जो मर्जी आई वही करता है. पहले लोग गाय को माता मान के पूजा करते थे आज उसी गाय का खून करके खाने में कोई एतराज नहीं होता. सभी को अपनी पेट प