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Badmashon ka sangam bhag ek

बदमाशो का संगम भाग एक मैं जो भी लिखने जा रहा हूँ वो कहानी नहीं बल्कि हकीकत है जो एक कहानी जैसी लगती है | बात उन दिनों की है जब मैं कक्षा ७ में पढता था | मेरे स्कूल का नाम राजकीय इंटर कॉलेज था | मेरा स्कूल केवल लडको के लिए ही था | उस स्कूल में दादागिरी बहुत होती थी | उस स्कूल में एक पीपल का पेड़ था जो की बहुत विशाल था | वहां पर हमेशा बदमाशो की मंडली लगती थी | उस ज़माने में दिवाकर, जीतू, धीरज, आशू और अग्नि जैसे बहुत सारे बदमाश थे जो आपस में गली गलोच करते रहते थे | सभी के मुह में मशाले की पुडिया या फिर पान जरूर रहता था | चाकू, कट्टा , बन्दूक या फिर पिस्तोल का प्रदर्शन तो चलता ही रहता था | एक क्षात्र जो की अभी नया नया बदमाश बना था उसका नाम बंटू था | एक दिन exam देने के लिए गया तो मेज पर पिस्तोल रखकर पर्ची से नक़ल करने लगा | मास्टर जी पिस्तोल देख के दर गए और उसे नक़ल करने दिया पर एक मास्टर जी जिनको सभी प्यार से मधुर मुस्कान के नाम से बुलाते थे उन्होंने हिम्मत करके उसके पास गए उसे ऐसा करने से मन किया फिर उसने नक़ल बंद किया पर जैसे ही मधुर मुस्कान जी गए फिर नक़ल सुरु कर दी थोड़ी देर में मधु