Skip to main content

Posts

Showing posts with the label thinking and searching

Vichar vimarsh

विचार विमर्श आज का जीवन कैसा है कभी कभी मई सोचता हो की आज कल की जिंदगी कैसी हो गई है . सुबह उठाना नहाना और ऑफिस जाना फिर खाना खान और फिर सो जाना! क्या यही जिंदगी है ! हम जिंदगी की दौड़ में अपनी जिंदगी खो देते है. दौड़ते कब बुद्धे हो जायेंगे पता ही नहीं चलेगा. किशी सायर ने कहा है जिन्दगी जिन्दा दिली का नाम है मुर्दा दिल क्या खाक जिया करते है. मेरे पापा कहते थे जितना तुम अपनी जिंदगी से प्यार करोगे जिंदगी उतनी ही खुबसूरत लगेगी. इसलिए कुछ भी करो पर सब से पहले खुद से प्यार करना सीखो. दूसरी बात की कुछ भी करियर अपनाओ पर मुस्कराना पहले सीखो. झुकना भी सीखो क्यों की झुकते है वाही जिसमे जन होती है वर्ना अकड़ना तो मुर्दों की पहचान होती है.