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Story of Aashu

कहानी आशु की आशु जो की कभी किसी ज़माने में एक अच्छा क्षात्र रहा करता था पर कुछ गलत संगत हो जाने के कारन वो अब बदमाश हो चुका था | अभी तो साथ में चाकू और पिस्टल भी रखने लगा था सभी क्षात्रो को डरता रहता था उसे बहुत मजा आता था धीरे धीरे उसकी ५ से ६ लड़कों की गैंग ही बन गई कभी किसी लड़की को छेड़ते तो कभी किसी को पीट देते थे तो किसी का क्रिकेट का खेल बिगाड़ देते थे | दिनोदिन आशु की हरकतें बढती जा रही थी | सभी क्षात्र उससे बचने की कोसिस करते थे | एक दिन तो क्लास में आकर बहुत सारे कुर्शी और मेज़ ही तोड़ डाले | मास्टर जी आये तो सबने सिकायत कर दी तो फिर आशू का नाम स्कूल से काट दिया | नाम कट जाने के बाद भी वो स्कूल आता जाता था और गुंडागर्दी करता था उसे पढाई से कोई मतलब हिन् नहीं था | उसका बर्बाद होने का कारन यह भी था की वो कई बार हाई स्कूल में फ़ैल हो गया था तो उसकी रूचि जाती रही | धीरे धीरे समय बीतता गया जब आशो ने हर तरीके की गुंडा गर्दी कर ली तो अब कुछ बड़ा करने का सोचने लगा अब उसके कदम अपराध जगत की ओर मुड़ चुका था उसे एक लड़की पसंद आ गई धीरे धीरे वो उस पर डोरे डालने लगा सुरु सु

My cute daughter Aashi or Avantika

Boardi visit Near Mumbai

Some days ago I visited boardi which is nice to get refreshment after hactic office work. I want to share some photos with you. If you like to visit then you can go..Now see some photos.

Badmashon ka sangam bhag do

To read part one of this story visit here बदमाशों का संगम भाग एक बदमाशों का संगम भाग दो जैसा की मैंने पहले भाग में कुछ लडको के बारे में लिखा था जैसे की दिवाकर , राणा , धीरज, जीतू, आशो इत्यादि | ऐ सुबह दस बजे के बाद स्कूल में आ जाते थे और दादागिरी शुरु कर देते थे | कभी किसी की पिटाई की तो कभी किसी लड़की को छेड़ते थे कुछ न कुछ तो चलता ही रहता था | सभी कुछ ना कुछ धूम्रपान करते थे कोई गुटके का सौकीन तो कोई सिगरेट और कोई बीडी या तम्बाकू का | दिवाकर उनमे से नंबर एक नशेडी था जब देखो तो खुटका मुह में रहता था | सभी का कुछ न कुछ गपसप चलता रहता था | एक सीधा साधा लड़का था जो की इन सब के बारे में नहीं जनता था एक दिन पीपल के पेड़ के नीचे बैठा था उसका नाम जगन था | थोड़ी देर बाद राणा आकर उससे गली गलोच करने लगा पर जगन को मालूम न था की राणा गुंडा है वो उससे लड़ने भिड़ने लगा | राणा को गुस्सा आ गया और चाकू निकल लिया उसे मारने के लिए | अब जगन डर और डर के भैया भैया चिल्लाने लगा | राणा ने छुरा पेट तक लाते लाते हाथ रोक लिया और हंसने लगा | ऐ सब नजारा मै भी देख रहा था | ऐसे ही न जाने कितने कारनामे ये स

Badmashon ka sangam bhag ek

बदमाशो का संगम भाग एक मैं जो भी लिखने जा रहा हूँ वो कहानी नहीं बल्कि हकीकत है जो एक कहानी जैसी लगती है | बात उन दिनों की है जब मैं कक्षा ७ में पढता था | मेरे स्कूल का नाम राजकीय इंटर कॉलेज था | मेरा स्कूल केवल लडको के लिए ही था | उस स्कूल में दादागिरी बहुत होती थी | उस स्कूल में एक पीपल का पेड़ था जो की बहुत विशाल था | वहां पर हमेशा बदमाशो की मंडली लगती थी | उस ज़माने में दिवाकर, जीतू, धीरज, आशू और अग्नि जैसे बहुत सारे बदमाश थे जो आपस में गली गलोच करते रहते थे | सभी के मुह में मशाले की पुडिया या फिर पान जरूर रहता था | चाकू, कट्टा , बन्दूक या फिर पिस्तोल का प्रदर्शन तो चलता ही रहता था | एक क्षात्र जो की अभी नया नया बदमाश बना था उसका नाम बंटू था | एक दिन exam देने के लिए गया तो मेज पर पिस्तोल रखकर पर्ची से नक़ल करने लगा | मास्टर जी पिस्तोल देख के दर गए और उसे नक़ल करने दिया पर एक मास्टर जी जिनको सभी प्यार से मधुर मुस्कान के नाम से बुलाते थे उन्होंने हिम्मत करके उसके पास गए उसे ऐसा करने से मन किया फिर उसने नक़ल बंद किया पर जैसे ही मधुर मुस्कान जी गए फिर नक़ल सुरु कर दी थोड़ी देर में मधु

What I was thinking

What I was thinking? When I was at 6 year then mostly I think when i will free from reading and I will go to play then I get chance at evening to play. When I was at 10 year then I think should i will able to study well or study will be time pass only then i think let us start study and will test myself that will i get success or not. When I was at 16 years then i tested myself well then i can not get more success on education and I started to take interest in television,movie,serials,songs etc then i start think that i can be good actor even i fail in study . This point was biggest point for me to either i will be more weak in study or I will left study but due to father strict behavior i attached with study but heart was thinking for next. I was thinking if I will fail in acting then i will be zero so I started to write Hindi story,poetry etc but I feel my words conversation and grammar is not good that was my biggest weak point of writing then I decided that i will be in w

short interesting true story of dakaity Hasanpur

डकैती हसनपुर की बात बहुत पुरानी hai  मेरे गाँव में तालुक और अम्रीका नाम के दो भाई रहते थे वो बहुत गरीब थे बहुत मेहनत करने के बाद पैसे इकठ्ठा कर के उन्होंने एक अच्छी भैंस खरीदा | एक दिन उनके घर पर १५ डकैतों ने हमला बोल दिया और उसकी भैंस को ले जाने लगे | तालुक और अम्रीका गहरी नींद में सो रहे थे तभी तालुक और अम्रीका की  नींद भैंस के चिल्लाने पर खुल गई और उन्होंने एक डकैत को कस कर पकड़ लिया डकैत उनके अचानक हमले से डर कर भागने लगे पर अपने एक साथी को न देखकर उसे छुड़ाने के लिए वापस आ गए और तालुक और अम्रीका पर लाठियों से बरसात करने लगा पर उन्होंने डकैत को नहीं छोड़ा | अंत में डकैत हिम्मत हार गए और अम्रीका पेट में चाकू घोप दिया तो अम्रीका बेहोस होकर गिर गया पर तालुक ने डकैत को फिर भी नहीं छोड़ा फिर एक डकैत ने उनपर भले से गर्दन पर वार किया पर किस्मत अच्छी होने के कारण भला गले को छू कर निकल गया और तभी गाँव वाले आ गए तो सारे डकैत भाग गए | एक डकैत गाँव वालो के हाथ में आ चुका फिर क्या था गाँव वालोंने उस डकैत की खूब पिटाई की रात को एक बजे से लेकर सुबह के तीन बजे तक उसको पीटा | फिर भी डकैत

From School to Masjid

स्कूल से मस्जिद तक मै हिन्दू हूँ और जैसा की हम जानते है कि हमारा पूजा स्थान मंदिर होता है | मेरे घर से थोड़ी दूर पर एक मस्जिद था वहा एक हाफीजी कुछ लोगों को उर्दू भी पढ़ाते मेरे चाचा चाहते थे कि मै उर्दू सीखू फिर क्या था हाफीजी से बात कि और हाफीजी ने मुझे मस्जिद आने को कहा | मै हिन्दू था इसलिए मुझे बाहर बैठकर पढना पड़ता था बाकि सभी लोग मस्जिद के अंदर पढ़ते थे | उस समय एक महीने कि फीस सिर्फ एक रूपये ही थी | मै सिर्फ गर्मी कि छुट्टी में ही मस्जिद जाता था उर्दू padhne पर ज्यादा रूचि न होने के कारन सिर्फ एक महीने के लिए ही गया परन्तु चाचाजी पीछे पड़े हुए थे उर्दू सिखाने के लिए | हमारे घर के पीछे एक साधू महाराज रहते थे वो भी थोड़ी थोड़ी उर्दू जानते थे तो चाचजी मुझे वही भेजने लगे | साधू महाराज मुझे कभी कभी चाय बना के भी पिलाते थे पर वो देख रहे थे कि मुझे ज्यादा रूचि नहीं है तो वो भी टाइम पास के लिए बुलाते थे किस्से कहानी सुना करके वापस कर देते थे | फिर कुछ दिन बाद चुटी ख़त्म उर्दू कि पढाई ख़त्म | पर आने जाने में मुझे उर्दू अक्षर याद हो गए जो इस तरह से है अलिफ ब

Rammu ki karastani ka phal

रम्मू की करास्तानी का फल एक लड़का था उसका नाम रम्मू था वो बहुत गरीब था पर थोडा हरामी किस्म का इंसान था जिस घर में लड़की देखा बस लाइन मारना सुरु कर देता था | उसके इस हरकत से आसपास वाले बहुत परेशान थे क्योंकि ने बहु बेटी की चिंता था गाँव था सभी इज्जतदार लोग थे रम्मू सरीर से हट्टा खट्टा था कोई उससे लड़ना भी नहीं चाहता या यों कहले लड़ भी नहीं सकता था | देखते देखते न जाने चुपके चुपके उसने कितनी लड़कियों की इज्जत का फलूदा कर दिया | ऐसा इसलिए हुआ क्यों की रम्मू लड़कियों को पटाने में माहिर था | किस्मत अच्छी थी रम्मू की इतना सब कुछ होने के बाद भी कभी किसी के फंदे में नहीं आया | दूर एक गाँव था जहाँ एक दबंग ठाकुर रहते थे उनकी एक लड़की थी जिसका नाम बिंदिया था | बिंदिया बुहुत चुलबुली थे एक दिन पुल्लो की नजर उस पर पद गई फिर क्या था लग गया उसके पीछे और धीरे धीर बिंदिया उससे सेट भी होने लगी | एक दिन घर में बिंदिया अकेले थी और पुल्लो मौका देख के घुस गया बिंदिया से छेड़खानी करने लगा पहले तो बिंदिया ने काफी विरोध किया पर फिर उसके चुगल में फंसने लगे तभी दरवाजे पर दस्तक हुई

luka chhupi

लुका छुपी बचपन में हम लुका छुपी का खेल बहुत खेलते थे | मै अपने चाचा जी से बहुत डरता था क्यों की जब भी वो हमें खेलते हुए देखते तो डांट लगा देते थे. एक दिन  हमें खेलते खेलते बहुत देर हो गई तो मै डर गया कहीं चाचा जी देख लेंगे तो मारेंगे | मै डर कर अपने कमरे के पास रखे एक बड़ी लकड़ी के ढेर के पीछे चुप गया | साम हो गई थी मैंने सोचा कि थोड़ी देर में चाचा जी चले जायेंगे तो बाहर आ जाऊंगा लेकिन इंतजार करते करते मुझे नींद आ गई | थोड़ी देर हुई मेरी नींद और गहरी हो गई | माँ मुझे खाना खाने के लिए आवाज दे रही थे मै नहीं मिला तो खोजना सुरु किया अडोस पड़ोस में पूछा पर मै नहीं मिला माँ कि परेशानी बढ़ने लगी फिर चाचा जी से पूछा तो उन्होंने कहा मैंने तो साम से उसे देखा तक नहीं ये सुन के माँ कि परेशानी और बढ़ गई | फिर घर के सभी सदस्य मुझे खोजने में लग गए धीरे धीरे बात गाँव तक फैल गई तो गाँव वाले भी मुझे खेतो में , घरो में , औरे मैदानों में खोजने लगे कुछ लोग तो मेरे कमरे तक भी आ गए पर लकड़ी के गट्ठर के पीछे किसी कि नजर नहीं गई आखिर मै लुका छुपी का एक्सपर्ट खिलाडी था ना. उधर माँ मुझे ख

aasheen ka vaada

आसीन का वादा आसीन जो की मेरे बाबा का दोस्त था | बात बहुत पुरानी है जब आसीन और मेरे बाबा साथ साथ भैंशो को घास चराने के लिए ले जाया करते थे | हमारे गाँव से कुछ दूरी कशाई घर था जहाँ पर भैंशो ko काटा जाता था मेरे बाबा भैंशो को बेचना चाहते थे क्यों की अब उनमे ज्यादा ताकत नही थी उन्हें पालने के लिए परन्तु उन्हें डर था की कहीं कोई कशाई उन्हें न खरीद ले | आशीन भी मुस्लमान था उसे भंसे खरीदने थे तो एक दिन उसने बाबा से बोला मुघे अपने भैंसे बेच दो पर आसीन मुस्लमान था इसलिए थोडा उन्हें डर लगा पर भरोषा करने के लिए बाबा ने बोला अगर तुम वादा करो की भविष्य में कभी kishi कशाई को मेरा भैंसा नाही बेचोगे तो ही मै तुम्हे बेच सकता हूँ | आशीन ने थोडा सोचकर वादा कर लिया तो बाबा ने उसे भैंसा बेच दिया उसे सिर्फ एक भैंसा चाहिए था इसलिए एक ही बेचा. मेरे बाबा ko सक था पर फिर भी दोस्त पर यकीन करना ठीक समझा .   5 वर्ष बीत gaye एक दिन आशीन aaya man थोडा udash dekh कर बाबा ने poocha kya hua आशीन बोला बाबा भैसा nahi रहा बहुत दिनों से बीमार था और मै aapko batane aaya हूँ क

I like to sit near Ocean at Mumbai

I like to sit near Ocean at Mumbai

Hishab Kitab bhag teen

हिशाब किताब भाग तीन इस दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं एक साकाहारी और दूसरा मांसाहारी | सदियों से दोनों तरह के लोग पाए जाते है | रामायण की कहानी के बारे में सभी को मालूम होगा | राक्षस जाति के लोग अत्याचार करते थे जो कि पूरी तरह से मांसाहारी थे | साधू लोग जो कि उनके अत्याचार के शिकार होते थे | सभी साधू जन साकाहारी थे | वो राक्षस हर तरीके का मांस खाते थे | जब संसार में पाप बढ़ गया तो उन राक्षसों का अंत करने के लिए श्री राम जी ने जन्म लिया | ये तो भला हो रावन का जिसने अपने बुद्धि से रामजी से विशाल यूद्ध करके सभी राक्षसों का वध करवाकर उन्हें मुक्ति दिला दी | प्रश्न ये है तब तो रावण था जिससे कि उनका उद्धार हो गया पर आज कौन है जो उन्हें मुक्ति दिलाएगा | आज तो रावन का रूप ही बदल चुका बल्कि यूं कहना होगा हर जगह खर और दूसन ही है | आज राक्षस तो हर घर में है जिनका उद्धार नहीं हो सकता है क्यों कि ये राक्षस के साथ साथ मनुष्य भी है | पहले के राक्षसों कि तो मजबूरी थी कि वे कुछ और खाते नहीं थे पर आज तो बहुत बड़ी मात्रा में साकाहार होने के बाद भी लोग मांसाहार का सेवन करते है | आज का युग कलय

Hishab Kitab bhag two

हिशाब किताब भाग दो जब मै छोटा बच्चा था तो बिलकुल ही नासमझ था बड़े जो कहते वो ही मान लेता था | एक बार मेरे भाई बाजार से कुछ चीज ले कर के आये मैंने पुछा क्या है इसमें तो उन्होंने बताया की बकरे का मांस | मैंने कहा ये क्यों लाये बोले खाने के लिए | मैंने कहा जिन्दा बकरे का है या मरे हुए तो उन्होंने कहा जिन्दे को मार कर बनता है | मैंने तब जाना की मांस भी खाने की चीज होती है वो भी जिन्दा को काट कर | शाम हुई बकरे का मांस बन कर तैयार हुआ मुझे भी खिलाया मुझे बहुत ही पसंद आया | फिर तो हर महीने में एक बार तो खाता ही था.| एक बार मेरे गाँव में एक जन के घर पे शादी थी वहां बकरा काटने वाले थे लोग | मै भी देखने के लिए पहुँच गया | मैंने देखा एक आदमी दो बकरों को लेकर आया और एक के बाद दूसरे को काट दिया | मैंने देखा तो सही पर मैंने महसूस किया की मेरा पूरा खून गरम हो चुका था | आँखों में क्रोध की ज्वाला अपने आप झलक रही थी | फिर मुझे याद आया कुछ दी मैंने जिस चीज को खाया था ये ऐसे ही काटा जाता है | फिर मैंने निर्णय लिया की अब मै मांस खाना छोड़ दूंगा | नहीं तो हो सकता है इसका बदला मुझे कहीं न कहीं तो भर

Hishab Kitab bhag ek

हिशाब किताब भाग एक हिशाब किताब के बारे में आप का दिल क्या कहता है I मेरा दिल तो यही कहता है कि हर एक चीज का कुदरत खुद हिशाब करता है I अगर हम कुछ अच्छा करते है तो फल अच्छा मिलेगा अगर बुरा करते है तो बुरा I यह एक कडवा सत्य है और हम इस चीज से बच नहीं सकते है I आज मुझे सब कुछ अच्छा मिल रहा है तो ये जरूरी नहीं कि यह तुम्हारे ही कर्म का नतीजा है I हो सकता है यह किसी और के दुआओं का असर हो या फिर आपके पिछले जनम के अच्छे कर्म I यदि आप के साथ बहुत बुरा हो रहा हो तो जरूरी है कि इसका फल बुरा ही होगा अच्छा भी हो सकता है I यह भी जरूरी नहीं कि आप कुछ अच्छा कर रहे हो तो जरूरी नहीं कि वो अच्छा ही हो जैसे कि कुछ लोग भिखारी को भीख देकर समझते है कि किसी का भला कर दिया पर अगर आप ने slumdog मिल्लेनिएर फिल्म देख ली तो सायद आप को लगेगा कि आप किसी गुंडाराज गुट को बढ़ावा दे रहे है और वे लोग किसी के भी हाथ पैर काट के उसे भिखारी बना सकते हैं और आप उस गुट के एक सदस्य ही कहलायेंगे I रही बात हिसाब किताब कि तो अगर ऊपर वाले ने यह निर्णय लिया है कि जैसे को तैसा मिलता है तो यह भी गलत है अगर इस जन्म

Cellular jail photos

Cellular jail photos

Byapaar ka mukhauta

ब्यापार का मुखौटा  हमने सिरमौर जिन्हें बनाया था  बनाके सूरमा सीने में बसाया था  विभूषित किया था अनगिनत उपाधियों से  पुरस्कृत किया था अर्जुन पुरस्कारों से  प्रतिस्था के सोपान पर जिन्हें बिठाया था  हाथों में जिनके तिरंगा मुस्कराया था  अपार जनता से था जिनका अस्तित्व जगमगाहट  तानकर करतल ध्वनी करती थी जिनका स्वागत  तालियों से होता था अभिनन्दन अनुनाद गडगडाहट  हमारे हिरदय कुसुम हमारे भास्कर ध्रुव तारे थे  जब वो विजयी हो दिवाली पोंगल मानते थे  उनकी जीत अपनी जीत माना था  पराजय में भी सान्तवना प्रेरणा का स्वर उभरता  था  जिस पैसे से मिल सकती थी रोटी मिट सकती थी भूंख  उन खिलाडियों के दर्शनार्थ टिकट ख़रीदा था  आह क्या खेल खेला हमारे  उनका खेल अब हमारे मन पर है एक कुठाराघात  आह क्या खेल खेला हमारे  उनका खेल अब हमारे मन पर है एक कुठाराघात  जहाँ जीत थी वहां हरे नपुंशक बनकर  अपनी जीत का सौदा किया हमें हार  देकर  इमान बेचीं अपनी हमारी भावनाओं का सौदा किया  झोली भरली अपनी सोने से कैसा विस्वासघात किया  उनका खेल महज एक दिखावा है  देश के नाम पर कलंक ,

The line of construction and destruction

The line of construction and destruction  हम घरों में हो तो जैसे भूकंप आये  ट्रेन में हो तो कहीं बम न फूट जाये  विमान में हों तो कब धमाका हो जाये  कहीं क्रिया कलाप में कुछ मिस न हो जाये  स्पर्श के रोमांस में कहीं जनाजा ही न निकल जाये आलिंगन में ही कहीं हो न जाये हम ध्वस्त  बीबी ही न हो कहीं आत्मघाती दस्ते की सदस्य  हर वक्त एक खतरा बना रहता है  निर्माण में जैसे विनाश छुपा रहता है निर्माण विनाश की रेखा कितनी पतली हो गई है फिजा बन चुकी है की हम सहमे फूलों से  तूफानी झंझावात का अंदेशा हो शीतल झोकों से  हंसी हो गई दानवी अट्टहास  मुस्कान विषैली सी  संगीत भोंडा राग बेसुरे  सब्नम बन चुकी एक बूँद आग की  अमृत में विष जीवन में मृतु  साम्यावस्था से है हम परे  सर्वत्र घृणा अवसाद आतंक के खतरों से है हम घिरे  पाप कोई करे पर सभ्यता निर्दोष बच्चे मानवता मरे  अडिग धरती लगती एक बारूद का ढेर  छाया मौत का सन्नाटा  घरों इमारतो भब्य महलों में फैला एक मौत का साया  सुरक्षित जगह ही अब असुरक्षित बन गई  निर्माण और विनाश की रेखा अब धुंधली हो गई  पल भर में दफन

Lunar eclipse images June 2011

Lunar eclipse images

antriksh se avaaj aai

अन्त्ररिक्ष से आवाज आई  आवाज आई आप एल.आई .सी. एजेंट है  एजेंट ने कहा हाँ उसने उस आवाज से पूछा क्या आप एल.आई .सी. करवाओगे  आवाज आई हाँ जल्दी अवश्य और अभी  एजेंट ने कहा आप की उम्र ?  आवाज आई ३१ वर्ष  आप के बच्चे उनकी उम्र ? २ बच्चे उम्र ५ और २ वर्ष  बेहद प्यार करता हूँ उनसे  वे मेरे सूरज मुखी है सूरज से है बढ़के  मेरे जीवन वाटिका के है वे अनमोल फूल  आप की पत्नी उनकी उम्र ? उम्र २९ बहुत ही सुशिल सभ्य नारीत्व में श्रेष्ठ  मेरी अपूर्णता को जो सवाँरे सरोहे  मेरी आशाओं की है दीपक  चाँद सी शीतलता बर्षाये मई उसमे  हूँ वह मुझमे  सब कुछ है ब्रह्ममय  एजेंट ने पूछा आप धूम्रपान मद्यपान   करते हैं  आवाज आई नहीं एजेंट हुआ अतिप्रसन्न  क्या आप मुझे अपना पता देंगे  कृप्या आप बताओगे आप कहाँ है  आवाज आई वैसे तो मै सीमाओं की रक्षा करने वाला प्रहरी हो सकता हूँ या किसी लड़ाकू विमान का जांबाज चालक हो सकता हूँ फिलहाल मै इन दोनों में से कोई नहीं  फिलहाल मै इन दोनों में से कोई नहीं  तो आप कौन  है ? आवाज आई मै एक अन्तरिक्ष यात्री हूँ अन्तरिक्ष यान में

Money Money and Money

पैसा पैसा और पैसा पैसा ऐसी चीज है जो पूरी दुनिया को संचांलित करती है किसी को ख़ुशी तो किसी के लिए गम है पैसा. सभी जितना पैसे से प्यार करते है उतना न तो भगवन और न ही किसी अपने को क्यों की सबके लिए प्यार भी है पैसा . इतना तो हम सभी जानते है की दुनिया की हर एक वस्तु पैसे के ताकत से कड़ी की गई है यहाँ तक की पैसे से जिंदगी और जान तक की भी सौदेबाजी होती है . पैसा है तो सुकून है सन्ति है भूखो को रोटी पाने के लिये भी पैसे देना पड़ता है वर्ना भूंखे ही सोना पड़े. मै सोचता हूँ भगवान ने पैसे को इतनी ताकत क्यों दे दी जिससे उसकी ही कीमत कम हो जाये सायद इसके पीछे भी कोई रहस्य होगा. पैसा एक ऐसी चीज है जो जितना भी हो कम ही लगता है दिल करता है थोडा और बढ़ जाये इसलिए हम थोडा और के चक्कर में दौड़ते जाते है पर थोडा और तो पूरा ही नहीं पड़ता कभी वो तो थोडा का थोडा और ही रहता है. मै संक्षिप्त में बताना चाहता हूँ की पैसा क्या क्या करता है पैसा से खाना मिलता है खाना बनाने वाली मिलती है रोटी कपडा और मकान एंड दुकान मिलती है हर जरूरत की चीज जैसे साबुन तेल लोन गैस इत्यादि पैसे से मुर्ग मुसल्लम औ

Ramlila of Cricket players in world cup 2011

खिलाडियों की रामलीला या वर्ल्ड कप २०११ कॉमेडी जैसे की हम सभी जानते है की वर्ल्ड कप २०११ भारत ने जीत लिया तो ऐसा लगा जैसे श्री रामचंद्र जी ने लंका जीत ली हो . हमने लंका तो जीत ली पर किस खिलाडी ने कौन सा रोल किया यह तो किसी ने बताया ही नहीं. मै बताना चाहता हूँ रामायण के मुख्या पत्र थे राम,लक्ष्मन,और हनुमान जी मेरे ख्याल से राम की भूमिका खुद सचिन ने निभाई और लक्ष्मण की भूमिका में रहे हमारे वीरेंदर सहवाग. जिन्होंने आखिरी लड़ाई वो है हमारे धोनी भाई रामायण में हनुमान जी ने अहिरावन को मार के आखिरी लड़ाई लड़ी थी तो धोनी ने आखिरी शोट मर के फ़ाइनल मैच जीता जो की एक मिशल बन गया. अहिरावन की भूमिका में रणदिव रहे . लंकापति नरेश की भूमिका में तो कुमार संगकारा जी थे जिन्हों ने जीजान से लड़ाई की परन्तु अंत में जीत तो राम की ही होनी थी कुम्भकरण की भूमिका में लसित मलिंगा के अलावा कोई नहीं जम सकता जिन्होंने अपने हावभाव से सभी को डरा दिया था . मेगनाथ की भूमिका महेला जैवार्दाने ने बखूबी निभाया और जमकर batting करके उन्होंने अपनी सकती का भरपूर एहसाश दिलाया. नल और नील की भूमिका में ग

Kalyug me lankadhahan ho hi gaya

कलयुग में लंका ढहन हो ही गया वर्ल्ड कप २०११ आखिरकार कलयुग में लंका का दहन हो ही गया. धोनी ने आखिरकार हनुमान जी की भूमिका अदा कर ही दिया . अपने खेल से उन्होंने दिखा दिया की जीत आखिर में राम की ही होनी थी २ अप्रैल २०११ पूरे भारत के लिए जसन का माहोल हो गया हर जगह ढोल नगाड़े बज रहे थे लोगों ने रात के २ बजे तक डांस किया बल्ले बल्ले किया. भारत माता की जय के नारे लगे. काश ऐसा दिन रोज आये लोग इतना ही खुस रोज रहें तो कैसा होगा . खैर धोनी टीम तो करोरों लोगों को खुसिया दिया भगवन उन्हें हमेशा खुस रखे. जय हो.

Why Sachin Tendulakar is not taking retirement

पता नहीं सचिन ने सन्यास क्यों नहीं लिया, वर्ल्ड कप २०११ बेस्ट टाइम था सन्यास के लिए आखिरकार सचिन का वर्ल्ड कप जीतने का सपना साकार हो ही गया . मै तो समझ रहा था कि सचिन वर्ल्ड कप जीतने के बाद सन्यास ले लेंगे पर लगता है वो अभी और क्रिकेट खेलना चाहते है खैर कोई बात नहीं अगर सचिन इस वक्त सन्यास ले लेते तो बेस्ट सन्यास टाइम कहलाता बाद में फिर पता नहीं क्या हो कब क्रिकेट से गायब हो जाएँ राहुल द्रविड़ कि तरह पता ही नहीं चलेगा. मेरे ख्याल से सचिन का सन्यास लेना ठीक रहता पर बन्दे में अभी जान है तो इंडिया को इसका लाभ जरूर मिलेगा. वर्ल्ड कप २०११ पूरी इंडिया के लिए फेस्टिवल का दिन हो गया मुंबई में तो हर कोई रोड पे आ के डांसर बन गया था सबकी ख़ुशी देखने को मिलती नारियल फोड़ने वालों कि तो लाइन लगी हुई थी जगह जगह प्रोजेक्टर से मैच देखे जा रहे थे. कुछ लोगों ने तो कई कई व्हिस्की कि बोतले खली कर दी मरे खुसी के हर कोई फूला नहीं समां रहा था. जगह जगह भारत माता कि जय के नारे लग रहे थे, वन्दे मातरम लोगों के दिलों से निकल रहा था ऐसा लगा रहा था जैसे हर किसी ने वर्ल्ड कप जीत लिया था. और हर किसी

First Interview Experience

Dear Friend I want to share question of my first interview which i faced at the time of interview. These are question and answers Q.1 What is extension of sql backup files? Ans: .Bak extension used to take backup of sql database. Q.2 Do you have worked in any Live project? Ans: Yes, I worked in project titled was "Conference Database management system" Developed in vb and oracle. Q.3 What is Ajax? Ans. full form of Ajax is Asynchronous JavaScript and XML. used in .net to get better performance of Page. Q.4 What is your Current and expected Salary? And. Current salary is Rs. 6000 PM. and expected salary is as per company norms. Q.5 Are you ready for practical test? Ans Yes. Practical Question. Manage data of any training institute and show record navigation and display report . after all test and process i got selected.

Fight between Saaka and Maasa

साका और मासा का विवाद साका और मासा दो भाई थे दोनों को बहस करने की आदत थी उनका एक बहस को में लिखना चाहता हूँ साका : मै तो साकाहार पसंद करता हूँ और मांस का सेवन नहीं करता हूँ यही मेरे लिए अच्छा है. मासा : अरे मै तो मांसाहार पसंद करता हूँ इससे ज्यादा ताकत आती है | वाह क्या स्वाद होता है चिकेन और मटन में. साका : अरे मांस से कोई ताकत वाकत नहीं बढती है सब्जी खाने से भी ताकत आती है .किसी की जान लेकर खाने में क्या रखा है. मासा : अगर सब सब्जी ही खायेंगे तो सोचो सब्जी कितनी महँगी हो जाएगी और बकरे और मुर्गे कितने ज्यादा हो जायेंगे फिर उनके खाने का इंतजाम कौन करेगा. साका : भगवन बहुत बड़ा है हमसे ज्यादा उसको चिंता है इन सबकी वो सब कुछ ठीक करता है क्या तुमसे इश्वर ने कहा है की जान मारना अच्छा है. मासा : यह सब प्रकृति को संतुलित करने के लिए है . साका : तो खुद कोई इश्वर जैसे राम श्याम इत्यादि इसका सेवन क्यों क्यों नहीं करते थे. मासा : इस बारे में कोई नहीं बता सकता की कौन मांस सेवन करता था कौन नहीं अरे टेंसन क्यों लेता है खाओ पियो और मौज करो. साका: सोचना पड़ता है भा

Strarting of year 2012 from Japan is it true

सन २०१२ की शुरुवात जापान से -क्या ये सच है मैंने सभी को कहते सुना की सन २०१२ वर्ल्ड एंड होगा जिसकी शुरुवात जापान से हो चुकी है क्या ये सही है अगर हा तो फिर क्या सबकी जिंदगी के सिर्फ एक साल ही बाकी है अगर नहीं तो फिर सुनामी जापान में क्यों आ गया .. आया तो आया वो भी २०१२ से पहले आ गया. फिर मै सोचता हूँ हा भाई ऐसा हो भी सकता है क्यों नहीं हो सकता इस जमी पर पाप बढ़ गया है और जब जब पाप बढता है तब तब या तो भगवान का अवतार होता है या फिर विनाश . फिर मैंने अपने हिसाब से बहुत पॉइंट निकले जो की पाप है वो ये है १. जिस गाय को हम माता मानते थे उसे तेजी से ख़तम किया जा रहा है और बीफ के नाम से बाजार में प्रोडक्ट उपलब्ध है. २. भैंसे ,बकरे मुर्गे ये बाजार में सब्जियों से ज्यादा बिकते हैं और किशी का भी ध्यान इसे रोकने में नहीं पर बढ़ने में जरूर है. लोग जान से ज्यादा पैसा बचने में विस्वास करने लगें है. ३. जहाँ देखो इन्सान ही इन्सान है और लोग मांस खा के प्रकृति को संतुलन की बात कर रहे है पर जो संतुलन बिगड़ रहा है उसका क्या. ४. पेड़ पौधों को कट कर तेजी से मकान बन रहे है मशीनीकरण हो रहा है. जो

Everyone liked first Ramayan of Ramanand sagar

सबकी पसंद थी पहली रामायण मै कुछ बाते शेयर करना चाहता हूँ धारावाहिक रामायण जो रामानंद सागर ने बनाई थी. तब ये धारावाहिक सबकी पसंद बन गई थी सभी कम छोड़कर सब के सब रामायण देखते थे और अगर उस समय लाइट चली जाती थी तो लोग बड़ी बेसब्री से लाइट आने का इन्तजार करते थे अगर लाइट आ जाती थी तो जैसे जान में जान आ गई अगर लाइट नहीं आती तो जहाँ पर लाइट आती थी उनसे कहानी सुन लेते थे पर कहानी कोई मिस नहीं करता था. मेरी पसंद के भाग थे जब धनुष टूटा और राम सीता विवाह हुआ , तड़का वध , खर दुसान वध,सीता हरण, जताएउ मरण ,हनुमान राम मिलन,बलि वध,लंका ढहन, कुम्भकरण मरण, रावन मरण. मेरे गाँव में तो रामायण देख के औरतो का हाल बेहाल हो जाता था जब राम सीता हरण के बाद विलाप कर रहे थे तो कुछ औरते बहुत रो रही थी की खुद भगवन रो रहे है. हर एक भाग और अभिनय लोगों के दिलों में आज भी घर कर गया जाने क्या बात थी उस पुराने रामायण में जो आज भी बहुत याद आता है. यही हाल सायद आप में से भी बहुत लोगों में होगी. उसके बाद बहुत सारे रामायण धारावाहिक बने पर वो बात नहीं दिखी जो की पहली रामायण में थी. मेरा रामानंद जी को सत स

Mungari and her son

मुंगरी और उसका बेटा आप लोग सोच रहे होंगे की मुंगरी कौन है और उसका बेटा कौन है तो अब मै आप को बताता हूँ बात बहुत पुरानी है करीब २० साल पुरानी मै अक्सर अपने फूफा के घर जाया करता था वहां बहुत बच्चे थे खेलने में बहुत मजा आता था उनके घर एक बकरी थी जिसका नाम था मुंगरी वो बहुत लम्बी चौड़ी थी और बहुत समझदार भी. जब भी उसे उसके नाम से पुकारो आ जाती थी किसी का कभी कोई नुकसान नहीं करती थी दूध भो २ किलो देती थी मेरे फूफा के ५ बेटे है और सभी उसी का दूध पीते थे उसका दूध भी बहुत मीठा था. हमारे गाँव में बकरे काटने वाले को चिकवा के नाम से जानते है. कई चिक्वे आते थे उसे खरीदने के लिए पर मेरे फूफा मुंगरी को जान से ज्यादा मानते थे कभी नहीं बेचा चिकवा मुह सिकोड़ के चला जाता था. मुंगरी का एक बेटा था नाम था मस्तान. मस्तान भी अब बड़ा हो रहा था पर थोडा सैतान था कभी किसी के क्षत पर तो कभी किसी के खेत में घुस जाता था पर उसको भी जब नाम से बुलाओ जनाब हाजिर. मै ऐ सब देख के बहुत आनंदित होता था. अक्सर यों ही दिन निकलते गए मुंगरी से फूफा खुस रहते थे फूफा से मुंगरी. मुंगरी की उम्र १० साल की हो गई थी अब कभ

Kya ye vahi India hai

क्या ये वही इंडिया है कभी कभी में सोचता हूँ क्या ये वही इंडिया है जहाँ पर लोगों ने हमारे लिए अपने देश के लिए अपनी जान गवाई थी जहाँ कभी हिन्दू और मुस्लमान मिलके अंग्रेजो का सामना करते थे और फक्र करते थे अपने और अपने देश के ऊपर. जहाँ पर चन्द्रसेखर आजाद और भगत सिंह सहीद हुए थे . महात्मा गाँधी और नेहरु जी जैसे नेता हुआ करते थे . उस ज़माने में अगर बड़े से बड़े विचारों वाले लोग होते the तो आज क्यों नहीं. आज हर इंसान इतना स्वार्थी क्यों हो गया. पहले तो अंग्रेज हुआ करते थे उन्हें तो भगा दिया गया पर अब खुद सारा हिंदुस्तान ही अंग्रेज हो गया अब क्या होगा इस देश का. जहाँ देखो जिशे देखो बस खुद अंग्रेज होने में फक्र महसूस करता है अगर कोई हिदुस्तानी लिबास पहनता है तो कोई नहीं देखता पर अंग्रेजी लिबास पहन लिया तो सब हल्लो हाई करते है. मै पूछता हूँ आखिर क्या है इस अंग्रेजी सभ्यता में जिससे सभी आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकते. आज सब कुछ आम हो गया जिसको जो मर्जी आई वही करता है. पहले लोग गाय को माता मान के पूजा करते थे आज उसी गाय का खून करके खाने में कोई एतराज नहीं होता. सभी को अपनी पेट प

Its bad but good

बुरा है पर अच्छा है कभी कभी में सोचता हूँ की दुनिया में कितनी बुराइया होती फिर सोचता हूँ की हर बुराई में अच्छाई छुपी होती है जैसे की मुंबई में बहुत लडकिया गलत धंधे करती है और सेक्स गैंग चलाती है ये सब गलत धंधे है फिर सोचता हूँ कि चलो अच्छा ही है कमसे कम इन लडकियों कि वजह से अच्छे खानदान और संस्कार वाली लडकिया बची रहती है बुरे लोगों कि नजरों से और समाज में सर उठा के जी सकती हैं इसी तरह से लोग चिकेन मटन खातें है जो कि अच्छी बात नहीं होती है पर लोग बहुत मात्रा में मांसाहार करते है सोचो अगर सभी सब्जी ही खायेंगे तो सब्जी और कितनी महंगी हो जाएगी और तो और बकरे भी सब्जी ही खाते है . इसी तरह से ड्रिंक करना बुरा है पर दावा कि तरह पीओ मतलब कि कम तो अच्छा है. इसी तरह से बहुत चीजे इस दुनिया में बुरी होती है पर उसके पीछे कुछ न कुछ अच्छाई छिपी रहती है. इसलिए बुरा है पर अच्छा है.

Jaane kaha gaye vo din

जाने कहाँ गए वो दिन कभी कभी में सोचता हूँ जाने कहाँ गए वो दिन जब हम बचपन की जिंदगी जी रहे थे मेरे बाबा कहते थे बचपन बीतेगा खेल में और अगर जवानी में सोयेगा तो बुढ़ापे में रोयेगा वो सच ही कहते थे दूसरी बात भी कहते थे की जवानी जा के कभी आती नहीं बुढ़ापा आ के कभी जाता नहीं. मुझे याद आता है वो बचपन के दिन जब हम बिंदास खेला करते थे न कोई चिंता न कोई फिकर बस मजा ही मजा बारिश में भीगा करते थे और जब मक्का होता था तो खेतो से भुट्टा चुराते थे बहुत मजा आता था . में और मेरे दोस्त एक साथ खेला करते थे कभी चोर सिपाही तो कभी दौड़ भाग कभी फूटबल तो कभी क्रिकेट और हमें तो ये ख्याल ही नहीं रहता था की एक दिन हम बड़े हो जायेंगे और सारी मस्ती पीछे छूट जाएगी. गाँव के पास में ही एक तालाब था वहां हम नहाने जाते थे बड़ा मजा आता था . फिर कुछ दिन बीते स्कूल जाने की बारी आई हम स्कूल गए पर धीरे धीरे वहां भी दोस्त बने वहां भी खेल खेल में दिन बीतता था लेकिन कभी कभी जब मास्टर जी मरते थे तब पता चलता था की अब थोडा बड़ा हो जाना चाहिए . हमारे स्कूल में एक मास्टर जी बहुत मारते थे कभी कभी तो पैर पे नीले नीले निशान बन

Story of my friends

कहानी मेरे दोस्तों की मेरा एक दोस्त था नाम था विकास(बदला हुआ नाम) . वो बहुत सीधा था बचपन से ही वो मेरे साथ खेलता था हम दोनों के साथ आरती जो की पड़ोस में रहती थी वो भी हमारे साथ खेलती थी हम जयादातर दौड़ने वाला खेल खेलते थे हमारा एक दोस्त और था उसका नाम था पिंकू . इस तरह से कुल मिलके हम 5 लोग थे मै पिंकू आरती ,रोसी और राजेश . खेलते खेलते कितने दिन बीत गए किसी को पता ही नहीं चला. और एक दिन पिंकू को आरती से प्यार हो गया , राजेश को रोसी से और मेरे पास तो कोई कोई रास्ता ही नहीं बचा एक को पिंकी मिली तो दुसरे को रोसी . मैंने कहा चलो कोई बात नहीं दोनों के प्यार का आनंद लेते है और में दोस्ती निभाता हूँ राजेश को तो रोशी से प्यार था पर रोशी को राजेश से नहीं रोशी मुझसे प्यार करती थी .यह मुझे पता नहीं था. आरती और पिंकी दोनों एक दुसरे को बहुत प्यार करते थे और दोनों को मालूम था पर दोनों ने एक दुसरे को कभी बताया ही नहीं की वो एक दुसरे से प्यार करते है . इसी तरह से दिन गुजरते जा रहे थे . एक दिन हम सभ एक शादी में गए आरती पिंकी और रोशी एक साथ थी मने एक प्रश्न राजेश और पिंकू से किया कि तीन

This is True about Google

यह सच है गूगल के बारे में यह सच है की गूगल वेबसाइट अच्छी तरह से लिखी गई ब्लॉग को ज्यादा प्रायिकता देती है पहले में कॉपी किये मटेरिअल का ब्लॉग बनाता था तो कुछ दिन तो अच्छा रहा लेकिन बाद में सर्च में मेरा ब्लॉग बहुत कम आता था . फिर मैंने निर्णय लिया कि में खुद लिखूंगा . फिर मैंने अपना नया ब्लॉग बनाया नाम है http://experienceofknowledge.blogspot.com इस ब्लॉग में मैंने खुद के अनुभव शेयर किये अब मुझे अच्छा लाभ हो रहा है दूसरा ब्लॉग जिसमे मैंने अपना काम और प्रोग्राम और अदाहरण लिखे नाम है http://daynamicsaxaptatutorials.blogspot.com इस ब्लॉग से भी मुझे लाभ मिल रहा है में भी आप लोगों को सलाह देना चाहता हूँ जो भी पोस्ट करो खुद लिखो यही तरीका है गूगल से पैसा कमाने का.

Aise gujra pahla anubhav

ऐसा गुजरा पहला अनुभव जब में छोटा बच्चा था अक्ल का थोडा कच्चा था . जब में पहली बार बस में बैठा तो मुझे नहीं पता था की सीट पे बैठा जाता है या नीचे में पहली बार नीचे ही बैठ गया तो भाई बोला सीट पे बैठो. तब पता चला की सीट किस लिए होती है. जब में छोटा बच्चा था अक्ल का थोडा कच्चा था. जब मैंने पहली बार फिल्म देखी फिल्म का नाम था होली आई रे मुझे पता नहीं था फिल्म क्या होती है जब मैंने परदे पर देखा तो बड़े बड़े आदमी देख के डर गया . तो भाई बोला दरो नहीं असली नहीं है थोड़ी देर के बाद कुछ आदमी दौड़ रहे थे में सीट से खड़ा होकर भागने वाला था तब भाई ने रोका बोला डरो नहीं वही रहेगा यहाँ नहीं तब पता चला की फिल्म क्या होती है जब में छोटा बच्चा था अक्ल का थोडा कच्चा था. एक बार में मंदिर में बैठा था तभी कुछ लोग बैठे थे पूजा चल रही थी देवी नाच हो रहा था एक आदमी के ऊपर देवी आ गई वो कूदने लगा में डर गया पर बाद में लोगों ने बताया ये तो सब नाटक होता है इनका असली नहीं. जब में छोटा बच्चा था अक्ल का थोडा कच्चा था में भैंस को लेके घास के लिए जाता था कुछ सैतान बच्चे भी आते थे वो मुझे लड़ने के

My friend moti has been died

मेरा मोती मारा गया एक बार की बात है मई उस समय बहुत छोटा था हम काफी गरीब थे मेरे पापा उस समय पढाई कर रहे थे और घर से बाहर थे . में और मेरी मम्मी घर पे थे हमारा घर एकांत में था चोर भी आते थे हमने एक कुत्ता पला था घर की रखवाली के लिए. चोरो के घर भी पास में थे उनके कई सरे कुत्ते थे जो दिन में एके मेरे मोती से लड़ाई करते थे. पर मेरा मोती किसी दुसरे कुत्ते को घर में घुसने नहीं देता था भले ही वो लहू लुहान क्यों न हो जाये. रात को चोरो की भी घर में घुसने की हिम्मत नहीं होती थी. चोर परेसान हो गए थे क्यों की वो चोरी नहीं कर पा रहे थे. एक दिन एक चोर ने मेरे मोती को भाला माँर दिया. हमें सुबह मालूम पड़ा मोती मर गया पर चोरी नहीं होने दी . मुझे मेरा मोती बहुत याद आता है. पर ऐसे शेरदिल कुत्ते अब कहाँ है वो जमाना ही बहुत पुराना था .

Ye aag kab bujhegi

ये आग कब बुझेगी ? आप सोच रहे होंगे मई कौन से आग की बात कर रहा हूँ ! में अपने और आप के अन्दर के आग की बात कर रहा हूँ! हमारे अंदर कितनी आग है जिसे हम नहीं जानते फिर भी वो है. एक आग है कम वासना की जो की प्रकिर्तिक है और रहेगी ! संसार चल रहा है इस आग से! दूसरी आग है नसे की जो की सभी में किसी न किसी रूप में होती है ! कोई चाय तो कोई कोफ़ी कोई सिगरेट तो कोई सरब कोई कम तो कोई ज्यादा यह सब ऐसी आग बन चुके है जो कभी नहीं बुझ सकते हमेशा रहेंगे और इससे हमारा ही नुकसान होना है और हम कर के रहेंगे. मुझे इन आगो से सिकायत नहीं है क्यों की इससे हमर ही नुकसान होता है किसी और का नहीं ? मुझे सिकायत है इसके आलावा एक और आग से जो की बहुत ज्यादा फैल चूका है! वो है मांसाहार की आग. और ए आग कब बुझेगी ? किसी ज़माने में फसल नहीं होती थी तो इंसान मांस खा के कम चला लेता था फिर इंसानों ने अपना रहन सहन बदला शिक्षा में विकास किया भाषा में बदलाव किया रीती रिवाज बदले ? फिर भी नहीं बदला तो मांसाहार हम कल भी खाते थे आज भी खाते हैं. अरे अब तो इन पशुओं को अपनी लाइफ जीने दो इन्हें भी जीने का हक़ है . भगवन की नजर