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Thag of Delhi

दिल्ली का ठग बहुत दिन पहले कि बात है मेरे एक मित्र दिल्ली में नौकरी करते थे । थोड़े दिन पैसे कमाने के बाद गाँव जाने कि तैयारी कर रहे थे उनका नाम हसमुख है । उनके पास  लगभग २० हजार रूपये थे । वो स्टेशन पर रेलगाड़ी का इंतजार कर रहे थे तभी एक आदमी उनके पास आया और बोला कहा जा रहे हो हसमुख भाई बोले कि बाराबंकी तो उस आदमी ने कहा कि वो भी बाराबंकी जा रहा है । जिस ट्रेन का इंतजार हसमुख भाई कर रहे थे उसी ट्रेन का इन्तजार वो आदमी भी कर रहा था । फिर बोला कि आजकल ठग बहुत लूट रहे है इसलिए मैंने अपने सारे रूपये का रसीद स्टेशन से कटवा लिया है बाराबंकी पहुंचूंगा तो रसीद दिखा कर पैसे वापस ले लूंगा । हसमुख थोड़े अनपढ़ थे सोचा अगर में भी रसीद कटवा लूँ तो रस्ते में जेब कतरी से बच जाऊंगा हसमुख ने कहा मेरे पास भी पैसे है मेरी भी रसीद बनवा दो । वो आदमी बोला मेरा बक्सा अपने पास रखकर रखवाली करो पैसे दो अभी बनवा देता हूँ । फिर पैसे लेकर वो रसीद बनवाने चला गया । बहुत देर हो गई वो आदमी नहीं आया अब हसमुख को समझते देर न लगी कि पैसे चले गए । उन्हें बहुत दुःख हुआ पर किसी तरह से गाव पहुच गए । उसका बक्सा खोल

Dost ki jubani

मेरा एक दोस्त था  वो पाच भाई थे  उस दोस्त का नाम जोगवीर था वो बहुत गुस्से वाला था ।  हर वक्त मुझसे झगड़ता रहता था एक बार मेरी उसकी बहस हो रही थी कि जब परिवार बड़ा हो जाता है तो झगड़े बढ़ते है और फिर बटवारा हो जाता है जमीन का और फिर मैने कहा तू तो पाच भाई है तुम्हारा तो बटवारा जल्द हो जायेगा । वो बोला नहीं हमारे भाइयों कि बीच कभी झगड़ा नहीं होगा ।  उस बात को २ ०  साल हो गए आज याद आया तो महसूस हुआ कि उसने उस दिन उसने प्रतिज्ञा करली थी कि भाइयों से कभी नहीं लड़ेगा ।  सच में आज भी सब मिलकर रहते है । सबकी अपनी अपनी दुकान और बिज़नस है । अगर मनुस्य ठान ले तो आज भी प्यार में ताकत वाली बात सिद्ध होती है  ।

Inderpoori Baba

इन्दरपूरी बाबा बात थोड़ी पुरानी है । एक गाँव जिसका नाम भवानीपुर था । उस गाँव में एक बाबा रहते थे उनका नाम था इन्दरपूरी बाबा । इन्दरपूरी बाबा गाँव के मंदिर में एक छप्पर में रहते थे । में जब भी मंदिर जाता था इन्दरपूरी बाबा से जरूर मिलता था । एक बार में गया तो उन्होंने मुझे खाना भी खिलाया । खाना बहुत ही स्वादिस्ट था । बातों बातों में वो मुझसे तारीख पूछते थे यदि में गलत तारीख बता देता तो बोलते थे क्या पढ़ते लिखते हो तारिख भी नहीं मालूम है सही से । जो कोई भी मंदिर आता था कुछ न कुछ दान दक्षिना दे जाता था । कभी कभी हम उन्हें खाने पर भी बुलाते थे । उस मंदिर के पीछे एक नाऊ रहता था उसका नाम नन्हे था वो बहुत चालक किस्म का आदमी था वो भी कभी कभी बाबा से मिलने आता था । वो जब भी मिलते तो अपनी गाय के बारे में जरूर बताते थे की उनकी गाय बहुत सुन्दर थी एक बार वो रात को सो रहे थे तो कुछ लोग आये और उनके सीने के ऊपर बन्दूक तान दिया । लेकिन किसी तरह से बाबा भाग निकले लेकिन वे चोर बाबा की गाय चुरा ले गए । तब से बाबा को अपनी गाय बहुत याद आती है । वो कहते थे वैसी गाय उन्होंने कभी नहीं देखी । एक दिन ब

Select flag of your country

Champak singh ki kismat

चम्पक सिंह जो की मेरा एक दोस्त है उसके जिंदगी की दास्ताँ कुछ हटके है इस लिए मै चम्पक सिंह के बारे में विस्तार से लिखना चाहता हूँ । बातें बहुत सी है पर में उसके जीवन के नौकरी के पल और कुछ एजुकेशन के पल शेयर करूँगा । चम्पक सिंह के पापा का नाम जीवनलाल है । जीवनलाल - बेटा चम्पक अब तू स्नातक कर रहा है आगे का क्या बिचार है । चम्पक सिंह- पिताजी में सोच रहा हूँ कि कंप्यूटर कोर्स कर लेता हूँ । जीवनलाल - बेटा पहले बीएससी पूरा कर लो फिर देखो क्या करना । अब तक तो कभी फर्स्ट क्लास पास हुए नहीं तुम समझ में नहीं आता ये जिंदगी तुम्हे कहा लेकर जाएगी । तू पढता तो रात को २ बजे तक है फिर नंबर क्यों नहीं आते । चम्पक सिंह- क्या करूँ जो पढता हूँ वो आता नहीं और जो आता है वो पढ़ के नहीं जाता । जीवनलाल - हा हा हा तू नहीं सुधरेगा । चम्पक सिंह का एक दोस्त था उसको लोग प्यार से गड्डी के नाम से बुलाते थे । गड्डी और चम्पक सिंह एक ही कमरे में रहते थे । गड्डी को सब मालूम था की चम्पक सिंह के नंबर क्यों नहीं आते थे असल में रात को चम्पक सिंह कुछ अलग ही करता था या तो कहानी की किताब पढता था या फिर खुद कहानी लि

Beware from Fraud of Modeling and acting for Bollywood

अगर आप मॉडलिंग में या फिर एक्टींग में जाना चाहते है या फिर ये आपका सपना है कि आपका बेटा या बेटी एक्टिंग में काम करें तो जल्दी बाजी में कोई गलत कदम न उठायें । ऐसी वैसी जगह अपना मेहनत का कमाया हुआ पैसा न गवाएं । आजकल एक्टिंग के नाम पर बाजार में बहुत से लुटेरे बैठे हुए है । अगर नजर डालेंगे तो ये किसी मॉल जैसे र सिटी मॉल या फिर कोई और मॉल में आप से फॉर्म भरवाएंगे स्टूडियो बुलाएँगे और फोटो खीचने के नाम पर दस से पच्चीश हजार रूपये ले लेते है । फिर एक फोटो अल्बम दे देंगे और कहेंगे कि ऑडिशन के लिए कॉल करेंगे पर कॉल कभी आता नहीं आपका कॉल कोई उठाता नहीं और आपका पैसा गया । ऐसे ही अगर उन्हें १ सप्ताह में पच्चीश ग्राहक मिलते है तो उनकी हो गई अच्छी खाशी कमाई और आपकी बर्बादी । मै किसी किसी स्टूडियो का नाम तो नहीं ले सकता पर आप जैसे समझदार के लिए मेरा ये इशारा ही काफी है और जब भी आपको कोई ठग मिलेगा तो आप फसेंगे नहीं । अगर आप फसेंगे तो बहुत पछतायेंगे । अगर आप अपने सपने को पूरा करना चाहते है तो सही रास्ता चुने । किसी अच्छे इंस्टिट्यूट में ट्रेनिंग ले या फिर अपने बच्चे को ट्रेनिंग दिलवाएं अगर आप

Margidhwa the Dog story

मर्गिध्वा मेरे घर के पीछे बुधई बाबा का घर था उनका एक लड़का जिसका नाम पुल्लू था एक बार कही जा रहा था तो एक छोटे से कुत्ते का बच्चा मिला जो सो रहा था और जैसे बहुत भीगा भीगा सा लग रहा था पुल्लू ने उसे देखा तो दया आ गई और उसे उठा के देखने लगा पर वो उठ ही नहीं रहा था जैसे लगा रहा था की मर गया है । पुल्लू ने सोचा की चलो इसे जमीन में गाड देता हूँ । उसने गड्ढा खोद कर उसमे उस बच्चे को रख दिया पर जैसे ही मिटटी डाला वो पौन करके बोला देखा तो वो जिन्दा था तो पुल्लू उसे घर ले आया और क्योंकि वो मरने से बचा था इसलिए इसका नाम मर्गिध्वा रख दिया । दिन बीतते गए अब मर्गिध्वा बड़ा हो रहा था तो उसकी सैतानी बढती जा रही थी कभी मेरे घर की रोटी चोरी कर लेता तो कभी किसी और की एक बार तो हद ही हो गई मेरे घर का एक नौकर था उसकी खाने के साथ आदत थी की हर बार रोटी मुह में डालने का बाद मुह को ऊपर की ऒर करके खाना खाता था । मर्गिध्वा सामने ही बैठा था बहुत देर हो गई जब मर्गिध्वा ने देखा की खाना उसे नहीं मिलने वाला तो बाबु ने जैसे ही मुह ऊपर किया मर्गिध्वा उनकी थाली में ही खाने लगा जब बाबु ने देखा तो पूरा खान गायब हो

How to detect fake nakali or jaali note of Rs 1000 and 500

नकली नोट का बहिष्कार करें आजकल बाजार में नकली नोट की भरमार है अब समय आ गया है हमें जागने का नकली नोट को बाजार में चलने से रोके नोट ५ सो और १ हजार का नोट लेने से पहले नोट की जांच अच्छी तरह से करे अगर हम नहीं जागेंगे तो जाली नोट कारोबारों के हौंसले बुलंद हो जायेंगे । अब मै कुछ लिंक शेयर करना चाहता हूँ जिसे पढ़कर नकली नोट की पहचान कर सकेंगे एक ही नजर में Security Features on Indian Banknotes Detect Fake Rs 500 and Rs 1000 Indian currency notes To Identify Rs. 1000 Fake Note कुछ और बातें मै शेयर करना चाहता कि किस परिस्थिति में नोट की चेकिंग जरूर करे । १. जब कोई ५ सौ या १ हजार के नोट का छुटा पैसा मांगे तो समझ ले कि दाल में कुछ जरूर काला है। २. जब कोई दुकानदार से कोई सस्ती चीज ख़रीदे और ५ सौ रूपये का नोट दे । ३ कोई ५ सौ रूपये देकर आप को बातों में अटका रहा हो । ४ नोट थोडा हल्का लग रहा हो तो जरूर चेक करें । ५ लिंक में लिखे इंस्ट्रक्शन को अच्छी तरह से दिमाग में बैठा ले या याद कर लें इसे अपनी आदत बना ले नोट लेने में जल्दीबाजी न करें ।

Teepu

टीपू मेरे घर में एक नौकर था उसका नाम टीपू था । टीपू बहुत दिनों से मेरे घर में काम करता था । सब लोगों का विस्वास उसने जीत लिया था । कोई उसे नौकर नहीं समझता था । एक दिन की बात है वो मेरी साइकिल लेकर दुकान गया बोल कुछ सामान लेना है अभी वापस आ जाऊँगा । हम लोगों ने बोला ठीक है थोड़ी देर बाद वो वापस आ गया फिर शाम हो गई । वो साइकिल रखकर घर चला गया । फिर सुबह हुई तो हम सब ने देखा की साइकिल गायब हो गई थी । जब टीपू काम पे वापस आया तो उससे पूछा तो वह बोला की शाम को तो यही रख के गया था । थोड़े दिन बीत गए साइकिल नहीं मिली । इसी बीच टीपू का गाँव की एक लड़की के साथ प्यार हो गया लेकिन लड़की के घर वाले इस प्यार के खिलाफ थे तो टीपू लड़की को भगा ले गया कहीं किसी शहर में चला गया । लकड़ी के घर वालों ने पुलिस में सिकायत कर दी । टीपू के घर की कुर्की को गई और कुर्की के दौरान मेरी साइकिल उसके घर में मिली हम लोगों को पता चल गया की साइकिल की चोरी टीपू ने की थी  । इधर पुलिस टीपू के पिताजी को परेशान करने लगी उन्हें कभी कभी पुलिस की मार भी खानी पड़ रही थी । टीपू के पिता का नाम बाबू था जो की अब इस दुनिया में नहीं

Very Big question about rape crimes in India

baaton hi baaton mein

बातों ही बातों में में यह बताना चाहता हूँ कि अगर कोई व्यक्ति चाहे वो छोटा ही क्यों न हो कुछ बताना चाहता हूँ कुछ स्कीम शेयर करना चाहता हो तो आप उसे एक बार सुने जरूर और अगर अम्ल करने जैसा लगे तो करें जरूर क्यों की आप बातों ही बातों में पैसा कमा सकतें है । में लोगों को जब बताता था की आप इन्टरनेट से पैसा कमा सकते है तो कोई कहता था बकवास है सब टाइम बर्बादी है । कोई सुनता था कोई नहीं । में जिस कंपनी में काम करता था वहां दो बॉस थे मैंने दोनों से कहा की आप इन्टरनेट से पैसा कमा सकते है एक बॉस बोल फालतू में बकवास मत किया करो । लेकिन दूसरा बॉस प्रैक्टिकल आदमी था उसने सुना तो मैंने उसे गूगल के बारे में बताया उसे कांसेप्ट पसंद आया और एक ब्लॉग भी खोल दिया । देखते देखते उसने दो सौ डॉलर कमा लिए । जब भी कुछ नया बताता हूँ वो अप्लाई कर लेता है । आप कंपनी के लिए तो जिंदगी भर काम करते रहते है लेकिन ब्लॉग्गिंग एक ऐसा जरिया है जो आप के लिए एक कंपनी बना देता है । अगर आप भी ब्लॉग के जरिये कमाना चाहते है तो गूगल सर्च के जरिये पाए सारी जानकारी और सुरु करें अपनी पर्सनल इनकम आज ही ।

Paap ka bhagidar kaun hai

पाप का भागीदार मेरा एक दोस्त है उसका नाम है संजय वो साकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार का भोजन करता है परन्तु मांसाहारी में चिकेन के आलावा कुछ नहीं खाता था एक दिन उसे दुसरे दोस्त ने उसे खाने पे बुलाया और बकरे का मांस पेश किया । पहले तो संजय ने सोचा की नहीं खाऊंगा पर बार बार कहने पर खा लिया । दुसरे दिन संजय मुझे मिला तो बताया मैंने कल मटन खा लिया अब खा लिया तो खा लिया उसने खिलाया तो वो ही पाप का भागीदार हुआ न । तो मैंने कहा नहीं मै तुम्हे तीन लाइन में बताता हूँ किसने क्या कमाया । कसाई ने बकरा काटा तो पैसा कमाया दोस्त ने तुम्हे खिलाया तो दोस्ती कमाई तुमने खाया तो पाप कमाया ।

deca daran

डेका डरान आप लोगों ने डेका डरान के बारे में तो सुना ही होगा अगर नहीं सुना है तो में बताता हूँ ये एक दवा है जो इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है । ये ऐसी दवा है जो मरीज के क्रिटिकल दसा में ही दिया जाता है । टनकपुर में दो भाई एक ही घर में रहते थे और खेती करते थे एक का नाम था डमरू और दूसरे का नाम घबरू था । डमरू थोडा पढा लिखा था और थोड़ी बहुत दवा भी जानता था । लोगों को दवा दे के कुछ पैसे भी कमा लेता था । एक बार घबरू बीमार हो गया तो डमरू ने डॉक्टर को नहीं दिखाया बल्कि खुद ही कुछ न कुछ दावा दे देता था । कभी घबरू ठीक हो जाता था पर दो दिन बाद फिर बीमार हो जाता था । दिन गुजरते गए घबरू की हालत अब ज्यादा ही ख़राब हो रही थी । तो डमरू को घबराहट होने लगी फिर एक दिन उसने किताब में डेका डरान के बारे में पढ़ा उसने सोचा क्यों न इस दवा को लगा के देखे भाई ठीक हो जायेगा तो पैसे बच जायेंगे । वो मार्किट गया और डेका डरान ले आया आज घबरू को कुछ ठीक लग रहा था बोला भैया में आज बिलकुल ठीक हूँ अब दवा की कोई जरूरत नहीं है । डमरू ने सोचा अगर डेका डरान नहीं लगाया तो पैसे फालतू में ख़राब हो जायेंगे । डमरू बोला भाई

Antarman

एक बालक था उसका नाम था नंदू बहुत भोला था वो । आज वो जब साम को खेल कर वापस आया तो देखा उसके पिता जी डंडा लेकर उसका इंतजार कर रहे थे । उसे लगा आज बहुत देर हो गई है अब तो मार पड़ेगी । उसके पिताजी उसे किसी न किसी बहाने से रोज मारते थे । पर आज नंदू ने फैसला कर लिया की आज वो मार नहीं खायेगा । उलटे पाँव वापस आ गया चुपचाप । रात होने वाली थी और नंदू चला ही जा रहा था देखते देखते ४ किलीमीटर दूर चला गया । नंदू सोच रहा था अब तो और देर हो गई है घर जायेगा तो बहुत मार पड़ेगी फिर जाये तो जाये कहा । सोच रहा था क्यों न चल के ट्रेन के आगे कूद जाऊं में भी ख़त्म और पिताजी की मार भी । उधर माँ सोचने लगी अभी तक नंदू आया क्यों नहीं और इधर उधर खोजने लगी ।उसके  पिताजी को कोई चिंता नहीं थी उन्होंने खाना खाया और सो गए डकार मार के । नंदू सोचते सोचते प्लेटफार्म पर पहुच गया आज तो उसने तय कर लिया था की वो अपनी जान दे देगा । उतने बीच लोगो के भाग दौड़ होने लगी । ट्रेन आने वाली थी नंदू के इंतजार की घड़ियाँ ख़त्म हो रही थी । ट्रेन आ रही थी जैसे ही ट्रेन पास में आई तो उसकी नजर ट्रेन के पहिये पर गई । ट्रेन का पहिया बहुत

Village vs city in form of poem

Bachpan ki yaadein

इस लेख के तहत में वो सब लिखना चाहता हूँ जो हम बचपन में दोस्तों के साथ खेलते थे । हम अक्कड़ बक्कड़ बहुत खेलते थे उसमे जो लाइन बोलते थे वो इस तरह थे अक्कड़ बक्कड़ बोम्बे बोल अस्सी नब्बे पूरे सौ सौ में लागा तागा चोर निकल के भागा ऊँगली जिसके ऊपर जाती थी वो निकल जाता था और जो लास्ट में बचता था वो सबको खोजता था । दूसरा गेम हम खेलते थे कान पकड़ने वाला सब एक दुसरे का कान पकड़ते थे और बोलते थे चियाऊ मियाऊ बकरी का बच्चा नानी के घर जैबे नानी मारे ठुमका चलो भैया घरका एक और गेम खेलते थे पटेल पटेल इसमें सब घेरे में खड़े होते एक साथ और एक आदमी अलग खड़ा होके बोलता था पटेल पटेल गुल्लू को धकेल और सब मिलके गुल्लू को बहार धकेल देते थे । फिर खेलते थे छपन छुरी सब एक दुसरे का हाथ पकड़ के गोल गोल घुमते थे एक लड़का गोले के अंदर होता और बोलता थे इधर का ताला तोड़ेगे सब बोलते थे छपन छूरी मारेंगे । और लड़का घेरा तोड़ के भाग जाता था । इसके आलावा गुल्ली डंडा , कबडडी और खो खो खेलते थे । स्कूल में तो चोर सिपाही और बिसमरित खेलते थे । कभी कभी तो टीम बना के एक दुसरे को मारते थे । आज भी वो याद आते है

Saudagar

सौदागर मुझे याद है एक फिल्म की कहानी नाम है सौदागर । में पुराने सौदागर फिल्म की बात कर रहा हूँ । जिसमे अमिताभ बच्चन और नूतन है । कहानी एक दम छोटी है पर है बड़ी असरदार । नूतन जो की गुड बनाने की कला अच्छी तरह से जानती थी । अमिताभ ने उससे शादी की और दिन दूना रात चौगुना आमदनी होने लगी । अच्छा खासा पैसा आने लगा । खूब गुड बिकने लगा । पर इसी बीच अमिताभ का दिल एक दूसरी औरत पर आ जाता है । जो पैसे उसने नूतन की मेहनत से कमाए थे दूसरी औरत को पाने में लगा दिए और नूतन को तलाक दे देता है । लेकिन दूसरी औरत को गुड बनाना नहीं आता था । उसका गुड बिकना बंद होने लगा । उधर नूतन ने नादिर मिया से निकाह कर लिया । वक्त गुजरता गया अमिताभ की माली हालत ख़राब होने लगी । अब उसे नूतन की जरूरत फिर से होने लगी तो फिर पहुच गया माफ़ी मांगने । नूतन ने साबित कर दिया की एक औरत का दिल बहुत बड़ा होता है उसने अमिताभ को माफ़ कर दिया और उसके लिए फिर से गुड बनाने लगी । मुझे लगता है की इस फिल्म में अमिताभ को माफ़ी नहीं मिलनी चाहिए थी क्यों की उसने जिस तरह से नूतन का दिल तोडा था वो माफ़ी के काबिल नहीं । मतलब निकलने से

Bajani hai to bajani hai

कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है

कभी कभी मै समुन्दर के किनारे बैठ के सोचता हूँ की क्या होगा इस देश का  

Railway Reservation system always in waiting for a gentleman

में कुछ हिंदुस्तान के रेलवे टिकट बुकिंग सिस्टम के बारे में लिखना चाहता हूँ । कितना भ्रश्ट हो चूका है रेलवे रिजर्वेशन सिस्टम । ऐसा लगता है यह सिस्टम आम आदमी के लिए है ही नहीं जब भी टिकट बुकिंग करने जाओ वेटिंग में ही मिलता है आम आदमी करे तो क्या करे । लोगों को वार्तालाप करते देखा की एजेंट से टिकेट बुक कराओ तो तुरंत कन्फर्म मिल है खुद करने जाओ तो वेटिंग में । ये तो सरासर न इंसाफी है । आखिर आम आदमी के साथ ही ऐसा क्यों होता है । हमेशा हम और आप ही क्यों मजबूर होते है । ४ महीने पहले टिकेट बुक करने के बाद भी कन्फर्मेशन का इन्तजार क्यों रहता है । में कहता हूँ पैसा ज्यादा चाहिए तो लो पर टिकेट कन्फर्म तो दो हमेशा एजेंट ही क्यों आम आदमी से ऊपर रहता है । नए नियम आते है जाते है कहते है अब एजेंट की अब नहीं चलेगी लेकिन बाद में भी वेटिंग की पोजीशन वही की वही रहती है बल्कि मुस्किले और भी बढ़ बढ ज़ाती है ऐसा क्यों । आखिर कोई अन्ना इस के लिए आन्दोलन क्यों नहीं करता । सब अपनी राजनीती खेलते रहते है । कन्फर्म टिकेट तो एक सपने जैसा हो गया है । हमारे खाते में तो पलता है बस इंतजार । हमें इन्तजार रहेगा रेलवे रिजर

Jijamata Udyaan Rani Bagh Byculla Mumbai

हम मुंबई के भायखला इलाके में स्थित रानी बॉ, के बारे में कुछ साझा करना चाहते हैं। यह भायखला स्टेशन के पूर्वी दिशा में स्थित है। मैं इस यात्रा के दौरान कुछ छवियों को साझा करना चाहते हैं। If you want to know more details information about Rani baugh then you can visit these links. Jijamata Udyaan Victoria Gardens or Rani Jijamata Udyaan Mumbai/ I hope you will get details as you want .

Happy new year greeting

मुझे याद है बचपन से अब तक का सफ़र नए साल का । बचपन में हम स्कूल के दोस्तों के साथ नये साल की बधाई देते थे । जिनके पास पैसे होते थे वो कार्ड अथवा पेन खरीद कर अपने दोस्त को देते थे में तो कोरे कागज में ड्राइंग बनाकर कार्ड का आकार देकर ही काम चला लेता था । मेरे पिता जी तो दो या चार लाइन लिखकर ढेर सारा कार्ड छपवाते थे और सभी अध्यापकों को एक एक कार्ड देते थे । उनके द्वारा लिखी गई लाइन्स की उन्हें खूब प्रसंशा मिलती थी । उन दिनों नए वर्ष का जूनून कुछ ज्यादा होता था । आज का दौर तो बहुत तेज तर्रार है । कुछ पता ही नहीं चलता की कब दिवाली आई और कब होली । बस काम करते रहो खाते रहो सोते रहो न्यूज़ देखो पिक्चर देखो ऐसे ही सालों तक रूटीन चलता रहता है और आधी उम्र बीत जाती है । नया साल जन्म दिन की तरह होता है हर साल जिंदगी का एक साल बीत जाता है । अशल में वक्त तो वही रहता है केवल वक्त का स्वाद बदल जाता है । नया शाल मानाने का मतलब सिर्फ टाइम मैनेजमेंट ऑफ़ लाइफ . नया सवेरा नयी किरण के साथ नया दिन एक प्यारी मुस्कान के साथ आप सभी को नया साल मुबारक हो ढेर सारी दुवाओं के साथ । मेरी तरफ से आप सभी ल