टीपू मेरे घर में एक नौकर था उसका नाम टीपू था । टीपू बहुत दिनों से मेरे घर में काम करता था । सब लोगों का विस्वास उसने जीत लिया था । कोई उसे नौकर नहीं समझता था । एक दिन की बात है वो मेरी साइकिल लेकर दुकान गया बोल कुछ सामान लेना है अभी वापस आ जाऊँगा । हम लोगों ने बोला ठीक है थोड़ी देर बाद वो वापस आ गया फिर शाम हो गई । वो साइकिल रखकर घर चला गया । फिर सुबह हुई तो हम सब ने देखा की साइकिल गायब हो गई थी । जब टीपू काम पे वापस आया तो उससे पूछा तो वह बोला की शाम को तो यही रख के गया था । थोड़े दिन बीत गए साइकिल नहीं मिली । इसी बीच टीपू का गाँव की एक लड़की के साथ प्यार हो गया लेकिन लड़की के घर वाले इस प्यार के खिलाफ थे तो टीपू लड़की को भगा ले गया कहीं किसी शहर में चला गया । लकड़ी के घर वालों ने पुलिस में सिकायत कर दी । टीपू के घर की कुर्की को गई और कुर्की के दौरान मेरी साइकिल उसके घर में मिली हम लोगों को पता चल गया की साइकिल की चोरी टीपू ने की थी । इधर पुलिस टीपू के पिताजी को परेशान करने लगी उन्हें कभी कभी पुलिस की मार भी खानी पड़ रही थी । टीपू के पिता का नाम बाबू था जो की अब इस दुनिया ...
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