लुका छुपी बचपन में हम लुका छुपी का खेल बहुत खेलते थे | मै अपने चाचा जी से बहुत डरता था क्यों की जब भी वो हमें खेलते हुए देखते तो डांट लगा देते थे. एक दिन हमें खेलते खेलते बहुत देर हो गई तो मै डर गया कहीं चाचा जी देख लेंगे तो मारेंगे | मै डर कर अपने कमरे के पास रखे एक बड़ी लकड़ी के ढेर के पीछे चुप गया | साम हो गई थी मैंने सोचा कि थोड़ी देर में चाचा जी चले जायेंगे तो बाहर आ जाऊंगा लेकिन इंतजार करते करते मुझे नींद आ गई | थोड़ी देर हुई मेरी नींद और गहरी हो गई | माँ मुझे खाना खाने के लिए आवाज दे रही थे मै नहीं मिला तो खोजना सुरु किया अडोस पड़ोस में पूछा पर मै नहीं मिला माँ कि परेशानी बढ़ने लगी फिर चाचा जी से पूछा तो उन्होंने कहा मैंने तो साम से उसे देखा तक नहीं ये सुन के माँ कि परेशानी और बढ़ गई | फिर घर के सभी सदस्य मुझे खोजने में लग गए धीरे धीरे बात गाँव तक फैल गई तो गाँव वाले भी मुझे खेतो में , घरो में , औरे मैदानों में खोजने लगे कुछ लोग तो मेरे कमरे तक भी आ गए पर लकड़ी के गट्ठर के पीछे किसी कि नजर नहीं गई आखिर मै लुका छुपी का एक्सपर्ट खिलाडी था ना. उधर म...
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