मैं एक छोटी सी कहानी के बारे में बताना चाहता हूं. जो कि मेरे बाबा के ऊपर हैं मेरे बाबा बहुत ही अकेले थे खेती करते थे घर का सारा काम करते थे एक मजदूर भी उनके साथ काम करता था 1 दिन की बात है खेत में जाना था बैलगाड़ी पर गन्ने को डालना था जो कि वह उनके अकेले की बस की बात नहीं थी. खेत पर गए वह बैलगाड़ी आई गन्ने को पहले काटना होता है उसके बाद उसका गट्ठर बनाना होता है और उसके बाद उसको बैलगाड़ी पर चढ़ाना होता है जो कि एक आदमी के बस की बात नहीं थी लेकिन उस जमाने में भी काम को निकलवाना उसका एक तरीका होता था | उसके बारे में सोचना पड़ता था कि कैसे किसी की मदद ली जाए ऐसे अगर किसी से कहो कि थोड़ा सा काम कर दो तो कोई सुनता नहीं था एक उनके फ्रेंड थे जो कि उनके साथ कभी कभी घूमा करते थे लेकिन उनसे कुछ काम कहो तो वह करते नहीं थे वह वहां से गुजरे तो बाबा ने सोचा क्यों ना कोई तरकीब लगाई जाए और उनकी सहायता ली जाए उनके दोस्त का नाम तख्ती लाल था बाबा बोले कहां जा रहे हो |तख्ती लाल बोले ससुराल जा रहा हूं यहां आओ आपसे बात करना है कितना खेती है तुम्हारे पास |तख्ती लाल ...
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