मोह इस दुनिया में हर किसी को किसी न किसी वस्तु से मोह है । किसी को बहुत सारी चीजों का मोह तो किसी को कुछ चीजों का । देखा जाये तो हम हर वक्त मोह से घिरे रहते है । जिसे ज्यादा मोह वो जाता है वो भी दुखी रहता है और जो वैरागी है वो दूसरों के मोह से दुखी रहता है । एक माँ जो की अपने बच्चे से कितना ज्यादा मोह करती है और अपने दिल में प्यार को महसूस करती है उसके बच्चे को कुछ भी हो तो कितना विचलित हो जाती है । कुछ मोह जो बिलकुल दिल से किये जाये वही प्यार बन जाता है । किसी को नौकरी से मोह तो किसी को कंपनी से मोह किसी को बातों का मोह तो किसी को मोबाइल का मोह किसी को खिलौनों से मोह तो किसी को किताबों से मोह । जहाँ तक हम अपने शरीर से जुडी हर एक वस्तु से मोह करते है । जो कपडे पहनते है सोचते है जितना ज्यादा चले उतना अच्छा है पुरानी हो जाने पर भी ठीक से रख देतें है या तो घर में पहनते है । घर में रहते रहते खिड़की से बहार देखते देखते उस खिड़की से भी मोह हो जाता है की जिंदगी के किस मोड़ तक मैं ये खिड़की देखूंगा । अलग अलग सोच के साथ अलग अलग मोह...
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