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Showing posts from August, 2011

Hishab Kitab bhag teen

हिशाब किताब भाग तीन इस दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं एक साकाहारी और दूसरा मांसाहारी | सदियों से दोनों तरह के लोग पाए जाते है | रामायण की कहानी के बारे में सभी को मालूम होगा | राक्षस जाति के लोग अत्याचार करते थे जो कि पूरी तरह से मांसाहारी थे | साधू लोग जो कि उनके अत्याचार के शिकार होते थे | सभी साधू जन साकाहारी थे | वो राक्षस हर तरीके का मांस खाते थे | जब संसार में पाप बढ़ गया तो उन राक्षसों का अंत करने के लिए श्री राम जी ने जन्म लिया | ये तो भला हो रावन का जिसने अपने बुद्धि से रामजी से विशाल यूद्ध करके सभी राक्षसों का वध करवाकर उन्हें मुक्ति दिला दी | प्रश्न ये है तब तो रावण था जिससे कि उनका उद्धार हो गया पर आज कौन है जो उन्हें मुक्ति दिलाएगा | आज तो रावन का रूप ही बदल चुका बल्कि यूं कहना होगा हर जगह खर और दूसन ही है | आज राक्षस तो हर घर में है जिनका उद्धार नहीं हो सकता है क्यों कि ये राक्षस के साथ साथ मनुष्य भी है | पहले के राक्षसों कि तो मजबूरी थी कि वे कुछ और खाते नहीं थे पर आज तो बहुत बड़ी मात्रा में साकाहार होने के बाद भी लोग मांसाहार का सेवन करते है | आज का युग कलय

Hishab Kitab bhag two

हिशाब किताब भाग दो जब मै छोटा बच्चा था तो बिलकुल ही नासमझ था बड़े जो कहते वो ही मान लेता था | एक बार मेरे भाई बाजार से कुछ चीज ले कर के आये मैंने पुछा क्या है इसमें तो उन्होंने बताया की बकरे का मांस | मैंने कहा ये क्यों लाये बोले खाने के लिए | मैंने कहा जिन्दा बकरे का है या मरे हुए तो उन्होंने कहा जिन्दे को मार कर बनता है | मैंने तब जाना की मांस भी खाने की चीज होती है वो भी जिन्दा को काट कर | शाम हुई बकरे का मांस बन कर तैयार हुआ मुझे भी खिलाया मुझे बहुत ही पसंद आया | फिर तो हर महीने में एक बार तो खाता ही था.| एक बार मेरे गाँव में एक जन के घर पे शादी थी वहां बकरा काटने वाले थे लोग | मै भी देखने के लिए पहुँच गया | मैंने देखा एक आदमी दो बकरों को लेकर आया और एक के बाद दूसरे को काट दिया | मैंने देखा तो सही पर मैंने महसूस किया की मेरा पूरा खून गरम हो चुका था | आँखों में क्रोध की ज्वाला अपने आप झलक रही थी | फिर मुझे याद आया कुछ दी मैंने जिस चीज को खाया था ये ऐसे ही काटा जाता है | फिर मैंने निर्णय लिया की अब मै मांस खाना छोड़ दूंगा | नहीं तो हो सकता है इसका बदला मुझे कहीं न कहीं तो भर

Hishab Kitab bhag ek

हिशाब किताब भाग एक हिशाब किताब के बारे में आप का दिल क्या कहता है I मेरा दिल तो यही कहता है कि हर एक चीज का कुदरत खुद हिशाब करता है I अगर हम कुछ अच्छा करते है तो फल अच्छा मिलेगा अगर बुरा करते है तो बुरा I यह एक कडवा सत्य है और हम इस चीज से बच नहीं सकते है I आज मुझे सब कुछ अच्छा मिल रहा है तो ये जरूरी नहीं कि यह तुम्हारे ही कर्म का नतीजा है I हो सकता है यह किसी और के दुआओं का असर हो या फिर आपके पिछले जनम के अच्छे कर्म I यदि आप के साथ बहुत बुरा हो रहा हो तो जरूरी है कि इसका फल बुरा ही होगा अच्छा भी हो सकता है I यह भी जरूरी नहीं कि आप कुछ अच्छा कर रहे हो तो जरूरी नहीं कि वो अच्छा ही हो जैसे कि कुछ लोग भिखारी को भीख देकर समझते है कि किसी का भला कर दिया पर अगर आप ने slumdog मिल्लेनिएर फिल्म देख ली तो सायद आप को लगेगा कि आप किसी गुंडाराज गुट को बढ़ावा दे रहे है और वे लोग किसी के भी हाथ पैर काट के उसे भिखारी बना सकते हैं और आप उस गुट के एक सदस्य ही कहलायेंगे I रही बात हिसाब किताब कि तो अगर ऊपर वाले ने यह निर्णय लिया है कि जैसे को तैसा मिलता है तो यह भी गलत है अगर इस जन्म