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Hishab Kitab bhag two

हिशाब किताब भाग दो जब मै छोटा बच्चा था तो बिलकुल ही नासमझ था बड़े जो कहते वो ही मान लेता था | एक बार मेरे भाई बाजार से कुछ चीज ले कर के आये मैंने पुछा क्या है इसमें तो उन्होंने बताया की बकरे का मांस | मैंने कहा ये क्यों लाये बोले खाने के लिए | मैंने कहा जिन्दा बकरे का है या मरे हुए तो उन्होंने कहा जिन्दे को मार कर बनता है | मैंने तब जाना की मांस भी खाने की चीज होती है वो भी जिन्दा को काट कर | शाम हुई बकरे का मांस बन कर तैयार हुआ मुझे भी खिलाया मुझे बहुत ही पसंद आया | फिर तो हर महीने में एक बार तो खाता ही था.| एक बार मेरे गाँव में एक जन के घर पे शादी थी वहां बकरा काटने वाले थे लोग | मै भी देखने के लिए पहुँच गया | मैंने देखा एक आदमी दो बकरों को लेकर आया और एक के बाद दूसरे को काट दिया | मैंने देखा तो सही पर मैंने महसूस किया की मेरा पूरा खून गरम हो चुका था | आँखों में क्रोध की ज्वाला अपने आप झलक रही थी | फिर मुझे याद आया कुछ दी मैंने जिस चीज को खाया था ये ऐसे ही काटा जाता है | फिर मैंने निर्णय लिया की अब मै मांस खाना छोड़ दूंगा | नहीं तो हो सकता है इसका बदला मुझे कहीं न कहीं तो भर

Strarting of year 2012 from Japan is it true

सन २०१२ की शुरुवात जापान से -क्या ये सच है मैंने सभी को कहते सुना की सन २०१२ वर्ल्ड एंड होगा जिसकी शुरुवात जापान से हो चुकी है क्या ये सही है अगर हा तो फिर क्या सबकी जिंदगी के सिर्फ एक साल ही बाकी है अगर नहीं तो फिर सुनामी जापान में क्यों आ गया .. आया तो आया वो भी २०१२ से पहले आ गया. फिर मै सोचता हूँ हा भाई ऐसा हो भी सकता है क्यों नहीं हो सकता इस जमी पर पाप बढ़ गया है और जब जब पाप बढता है तब तब या तो भगवान का अवतार होता है या फिर विनाश . फिर मैंने अपने हिसाब से बहुत पॉइंट निकले जो की पाप है वो ये है १. जिस गाय को हम माता मानते थे उसे तेजी से ख़तम किया जा रहा है और बीफ के नाम से बाजार में प्रोडक्ट उपलब्ध है. २. भैंसे ,बकरे मुर्गे ये बाजार में सब्जियों से ज्यादा बिकते हैं और किशी का भी ध्यान इसे रोकने में नहीं पर बढ़ने में जरूर है. लोग जान से ज्यादा पैसा बचने में विस्वास करने लगें है. ३. जहाँ देखो इन्सान ही इन्सान है और लोग मांस खा के प्रकृति को संतुलन की बात कर रहे है पर जो संतुलन बिगड़ रहा है उसका क्या. ४. पेड़ पौधों को कट कर तेजी से मकान बन रहे है मशीनीकरण हो रहा है. जो

Mungari and her son

मुंगरी और उसका बेटा आप लोग सोच रहे होंगे की मुंगरी कौन है और उसका बेटा कौन है तो अब मै आप को बताता हूँ बात बहुत पुरानी है करीब २० साल पुरानी मै अक्सर अपने फूफा के घर जाया करता था वहां बहुत बच्चे थे खेलने में बहुत मजा आता था उनके घर एक बकरी थी जिसका नाम था मुंगरी वो बहुत लम्बी चौड़ी थी और बहुत समझदार भी. जब भी उसे उसके नाम से पुकारो आ जाती थी किसी का कभी कोई नुकसान नहीं करती थी दूध भो २ किलो देती थी मेरे फूफा के ५ बेटे है और सभी उसी का दूध पीते थे उसका दूध भी बहुत मीठा था. हमारे गाँव में बकरे काटने वाले को चिकवा के नाम से जानते है. कई चिक्वे आते थे उसे खरीदने के लिए पर मेरे फूफा मुंगरी को जान से ज्यादा मानते थे कभी नहीं बेचा चिकवा मुह सिकोड़ के चला जाता था. मुंगरी का एक बेटा था नाम था मस्तान. मस्तान भी अब बड़ा हो रहा था पर थोडा सैतान था कभी किसी के क्षत पर तो कभी किसी के खेत में घुस जाता था पर उसको भी जब नाम से बुलाओ जनाब हाजिर. मै ऐ सब देख के बहुत आनंदित होता था. अक्सर यों ही दिन निकलते गए मुंगरी से फूफा खुस रहते थे फूफा से मुंगरी. मुंगरी की उम्र १० साल की हो गई थी अब कभ