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Showing posts from January, 2012

story of budhai

बुधई बुधई जो की एक बहुत गरीब आदमी था वो हमारे गाँव के घर के पीछे रहता था उसकी उम्र ६५ साल की थी वो लोनिया जाति का व्यक्ति था बहुत सीधा साधा इन्सान था उसके ४ बेटे और २ बेटी थी | मेरे पिता जी परदेश में नौकरी करते थे उस समय हम लोग भी गरीबी रेखा में ही जी रहे थे पर बाकि गाँव वालों से बेहतर थे क्यों की पापा को मास्टर की नौकरी मिल गई थी वो भी सरकारी | पापा साल में २ बार ही घर आते थे जब भी घर आते थे तो बुधई खूब तेज आवाज लगता था संतोष तुम्हारे पापा आ गए और हम सुन कर तेजी से भाग कर आते थे पापा आ गए पापा आ गए बिस्कुट लाये होंगे , मिठाई लाये होंगे | धीरे धीरे हमें बुधई के आवाज की आदत लग गई क्यों कि कोई भी आता तो बुधई आवाज जरूर देता था | बुधई को छोटे छोटे पिल्लै पालने का भी सौक था और हम दिन भर उन पिल्लों के साथ खेला करते थे | बुधई के नरमदिली और पिल्लों के प्रति उसका प्यार हमें देख कर अच्छा लगता था | पिल्लों के साथ साथ वो बकरिया भी पालता एक दिन एक बकरी बीमार हो गई तो रात भर दर्द से चिल्लाती रही बुधई से रहा नहीं गया और उसे मुक्त करने के लिए उसे मौत के हवाले करा दिया | तम्बाकू खाना