Skip to main content

When I get changed



santosh kumar singh

santosh kumar singh

santosh kumar singh

santosh kumar singh

santosh kumar singh


कब कब  बदला मै
मै जब  छोटा था तब बहुत नादान . लगभग ५ साल का था मेरा पापा मुझे कभी कभी पढ़ाते थे पर मुझे कुछ याद नहीं रहता था. मै मस्ती में रहता था ना साम को मेरे बाबा मुझे पहाडा रटाते थे फिर हिंदी का पौया अद्धा और सवाया
 दिन भर थोडा बहुत काम भी करना पड़ता था पर मेरा पढाई में मन बहुत कम ही लगता था मेरे चाचा तो कभी कभी छड़ी से पिटाई भी जोरदार कर देते थे मुझे लगा जिस पढाई में इतनी मार पड़ती हो तो वो पढाई किस काम की मेरी सोच सुरु से उलटी चलती थी इस लिए नंबर तो कही भी नहीं रहा.
जब जब मुझे मार पड़ी मै बदलता गया. कभी छड़ी की मार तो कभी वक्त तो कभी किस्मत. सायद मेरी तरह इस दुनिया में बहुत लोगों का यही हाल है. मै सोचता था की ऐसी फुद्दू पढाई में नौकरी कहाँ मिलने वाली है मै तो सबसे यही कहता था इस ज़माने में नौकरी कहा मिलने वाली है.
एक दिन मेरा एक दोस्त मिला वो भी सेकंड ही आता था अक्सर पर वह मेहनती बंदा था मैंने उससे कहा दोस्त क्या करोगे पढ़ लिख कर नौकरी तो मिलने से रही तो वो बोला नहीं दोस्त नौकरी तो मिलती है अगर हम मेहनत करेंगे तो नौकरी तो मिल ही जाएगी
उसकी इस जुबान ने मेरी जुबान बंद कर दी फिर मैंने ये कहना छोड़ दिया की नौकरी नहीं मिलती और दिमाग में ये रखा की नौकरी मिलती है.
मै बचपन में थोडा सरारती था पापा की जेब से जब जी चाहे पैसे निकाल लेता था और समोसा टिक्की गोलगप्पे में उड़ा देता था पापा नोटिस नहीं करते थे की पैसे चोरी हो रहे है क्यों की मै ५ या १० रूपी ही निकलता था
एक दिन एक छोटे बच्चे ने मुझे चोरी करते देख लिया और मेरी सिकायत पापा से कर दी फिर तो इतनी मार पड़ी की उसके बाद से आज तक चोरी नहीं की.
और भी बहुत लम्हे है जब जब मै बदला बाकी अगले पोस्ट में.

Popular posts from this blog

Sanskrit word meaning in Hindi for Profession,vegetables and other things

Village vs city in form of poem

Raigad fort visit, the capital of Chhatrapati Shivaji Maharaj

Raigarh Fort  was built by Chandrarao Mores in 1030 AD. I visited this fort and enjoyed much more.