डकैती हसनपुर की
बात बहुत पुरानी hai मेरे गाँव में तालुक और अम्रीका नाम के दो भाई रहते थे वो बहुत गरीब थे बहुत मेहनत करने के बाद पैसे इकठ्ठा कर के उन्होंने एक अच्छी भैंस खरीदा | एक दिन उनके घर पर १५ डकैतों ने हमला बोल दिया और उसकी भैंस को ले जाने लगे | तालुक और अम्रीका गहरी नींद में सो रहे थे तभी तालुक और अम्रीका की नींद भैंस के चिल्लाने पर खुल गई और उन्होंने एक डकैत को कस कर पकड़ लिया डकैत उनके अचानक हमले से डर कर भागने लगे पर अपने एक साथी को न देखकर उसे छुड़ाने के लिए वापस आ गए और तालुक और अम्रीका पर लाठियों से बरसात करने लगा पर उन्होंने डकैत को नहीं छोड़ा |
अंत में डकैत हिम्मत हार गए और अम्रीका पेट में चाकू घोप दिया तो अम्रीका बेहोस होकर गिर गया पर तालुक ने डकैत को फिर भी नहीं छोड़ा फिर एक डकैत ने उनपर भले से गर्दन पर वार किया पर किस्मत अच्छी होने के कारण भला गले को छू कर निकल गया और तभी गाँव वाले आ गए तो सारे डकैत भाग गए |
एक डकैत गाँव वालो के हाथ में आ चुका फिर क्या था गाँव वालोंने उस डकैत की खूब पिटाई की रात को एक बजे से लेकर सुबह के तीन बजे तक उसको पीटा | फिर भी डकैत इतना मजबूत था की मारा नहीं तो कुल्हाड़ी से उसका पैर काट दिया अंत में वो डकैत तड़प तड़प के मर गया |
सुबह पुलिस आ गई अम्रीका को अस्पताल में भर्ती किया गया | दूर दूर से दोसरे गाँव वाले भी डकैत को देखने आने लगे फिर पुलिस डकैत की लॉस जीप में भर के ले गई | कुछ महीनो के बाद अम्रीका ठीक हो गया बाद में सरकार ने उन्हें इनमे के रूप में नया घर बनवा दिया |
क्यों नहीं आखिर उन्होंने बहादुरी का काम जो कर दिखाया | लेकिन उनके इस बहादुरी से गाँव को एक फायदा जरूर हुआ तब से आज तक हसनपुर में दुबारा डकैती नहीं हुई |
किसको मरना था दुबारा इस तरह से भाई |