मुझे याद है बचपन से अब तक का सफ़र नए साल का । बचपन में हम स्कूल के दोस्तों के साथ नये साल की बधाई देते थे । जिनके पास पैसे होते थे वो कार्ड अथवा पेन खरीद कर अपने दोस्त को देते थे में तो कोरे कागज में ड्राइंग बनाकर कार्ड का आकार देकर ही काम चला लेता था । मेरे पिता जी तो दो या चार लाइन लिखकर ढेर सारा कार्ड छपवाते थे और सभी अध्यापकों को एक एक कार्ड देते थे । उनके द्वारा लिखी गई लाइन्स की उन्हें खूब प्रसंशा मिलती थी ।
उन दिनों नए वर्ष का जूनून कुछ ज्यादा होता था । आज का दौर तो बहुत तेज तर्रार है । कुछ पता ही नहीं चलता की कब दिवाली आई और कब होली । बस काम करते रहो खाते रहो सोते रहो न्यूज़ देखो पिक्चर देखो ऐसे ही सालों तक रूटीन चलता रहता है और आधी उम्र बीत जाती है ।
नया साल जन्म दिन की तरह होता है हर साल जिंदगी का एक साल बीत जाता है । अशल में वक्त तो वही रहता है केवल वक्त का स्वाद बदल जाता है । नया शाल मानाने का मतलब सिर्फ टाइम मैनेजमेंट ऑफ़ लाइफ .
नया सवेरा नयी किरण के साथ
नया दिन एक प्यारी मुस्कान के साथ
आप सभी को नया साल मुबारक हो
ढेर सारी दुवाओं के साथ ।
मेरी तरफ से आप सभी लोगों को नए साल की हार्दिक सुभ कामनाएं ।