चम्पक सिंह जो की मेरा एक दोस्त है उसके जिंदगी की दास्ताँ कुछ हटके है इस लिए मै चम्पक सिंह के बारे में विस्तार से लिखना चाहता हूँ । बातें बहुत सी है पर में उसके जीवन के नौकरी के पल और कुछ एजुकेशन के पल शेयर करूँगा ।
चम्पक सिंह के पापा का नाम जीवनलाल है ।
जीवनलाल - बेटा चम्पक अब तू स्नातक कर रहा है आगे का क्या बिचार है ।
चम्पक सिंह- पिताजी में सोच रहा हूँ कि कंप्यूटर कोर्स कर लेता हूँ ।
जीवनलाल - बेटा पहले बीएससी पूरा कर लो फिर देखो क्या करना । अब तक तो कभी फर्स्ट क्लास पास हुए नहीं तुम समझ में नहीं आता ये जिंदगी तुम्हे कहा लेकर जाएगी । तू पढता तो रात को २ बजे तक है फिर नंबर क्यों नहीं आते ।
चम्पक सिंह- क्या करूँ जो पढता हूँ वो आता नहीं और जो आता है वो पढ़ के नहीं जाता ।
जीवनलाल - हा हा हा तू नहीं सुधरेगा ।
चम्पक सिंह का एक दोस्त था उसको लोग प्यार से गड्डी के नाम से बुलाते थे । गड्डी और चम्पक सिंह एक ही कमरे में रहते थे । गड्डी को सब मालूम था की चम्पक सिंह के नंबर क्यों नहीं आते थे असल में रात को चम्पक सिंह कुछ अलग ही करता था या तो कहानी की किताब पढता था या फिर खुद कहानी लिखता था । दिन में जब अकेले होता था तो किस टीवी सीरियल का नाटक अकेले ही खेलता रहता था ।
अब तो बीएससी का आखिरी साल चल रहा था और बीएससी के बाद की सबको चिंता थी क्या करेगा आखिर चम्पक सिंह ।
जैसे तैसे चम्पक सिंह बीएससी हो गई और चम्पक सिंह गाँव चला गया । चम्पक सिंह का बड़ा भाई बैंगलोर में सरकारी नौकरी करता था एक दिन उसका ख़त आया की चम्पक सिंह को बंगलोर भेज दो आगे की पढाई मै देखूंगा चम्पक सिंह की ।
अगले दिन चम्पक सिंह का बैंगलोर का टिकेट कट गया और दो दिन के बाद चम्पक सिंह बंगलोर पहुँच गया । चम्पक सिंह सोचता था कि अब कुछ अच्छा हो जायेगा जिंदगी बन जाएगी ।
चम्पक सिंह के भाई का नाम नयन है ।
नयन - चम्पक सिंह अब आगे क्या करने का बिचार है ।
चम्पक सिंह - भाई आप जो ठीक समझे ।
नयन - मै सोच रहा हूँ की मास्टर इन कंप्यूटर का कोर्स कर लो लेकिन तुम्हारे नंबर बहुत कम है फिर भी कोसिस कर के देख लेते है सायद कही कुछ हो ही जाये ।
अगले दिन दो तीन कॉलेज से फॉर्म भर दिए पर कहीं कोई एडमिशन नहीं मिला । तो हारकर नयन ने एक PGDCA जो की एक डिप्लोमा कोर्स है एडमिशन दिल दिया ।
चम्पक सिंह ने टाइपिंग कोर्स भी कर लिया फिर PGDCA का कोर्स सुरु कर दिया । कुछ महीने के बाद हाफ इयर एग्जाम हुआ चम्पक सिंह सारे सब्जेक्ट में असफल हो गए ।
नयन ने सर पीट लिया क्या होगा आखिर चम्पक सिंह का ।
चम्पक सिंह ने भाई की इज्ज़त रखने के लिए पढाई सुरु की जैसे तैसे PGDCA पास कर लिया । फिर नयन ने चम्पक सिंह को कंप्यूटर का एक एडवांस कोर्स करा दिया जो की ६ महीने का था । उसमे चम्पक सिंह के ७ ० टका मार्क्स आये ।
चम्पक सिंह को लगा की अब जिंदगी की गाड़ी चल निकली ।
नयन ने कहा अब दो कोर्स हो गया नौकरी के लिए कोसिस करो । चम्पक सिंह ने इंटरव्यू देना सुरु किया । सॉफ्टवेर इंजिनियर के लिए अप्लाई करता था पर कहीं कोई नौकरी नहीं मिलती ।
एक दिन उसे डाटा एंटरी ऑपरेटर की नौकरी के लिए ऑफर मिला तो नयन को बताया । सैलरी बहुत कम है महज १ ५ ० ० रूपये प्रति माह ।
नयन ने कहा नौकरी सुरु कर दो अब भाग्य में जो लिखा है वही मिलेगा न ।
चम्पक सिंह ने नौकरी सुरु कर दी पर चम्पक सिंह का नौकरी में बिलकुल मन नहीं लगता था जैसे तैसे नौकरी कर लेता था । चम्पक सिंह का बॉस बड़ा ही कमीना था कुछ भी काम कराता था चपरासी के न होने पे चाय भी चम्पक सिंह को लानी पड़ती थे पर चम्पक सिंह ये सब नयन को नहीं बताता था ।
एक दिन तो हद ही हो गई बॉस ने ट्रक पर सामान लोड करने के लिए चम्पक सिंह को ही लगा दिया । चम्पक सिंह को गुस्सा तो बहुत आया पर मन मारके किसी तरह काम को निबटाया ।
एक दिन बॉस को शादी में जाना था तो चम्पक सिंह को घर की रखवाली करने के लिए घर के बाहर बैठा दिया । चम्पक सिंह खून के आंसू रोता था ।
अब बर्दास्त से बाहर हो रहा था ।
जैसे तैसे एक साल हो गया । एक दिन नयन ने कहा मेरे ऑफिस में नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेटर की नौकरी निकली है अप्लाई करदो सायद नंबर लग जाये ।
चम्पक सिंह ने तुरंत अप्लाई कर दिया और चम्पक सिंह को नौकरी भी मिल गई पुरानी नौकरी से हाय तौबा किया । नई नौकरी में भी दिक्कतें थी पर पुरानी नौकरी से ये नौकरी बेहतर थी । यहाँ भी कभी उनका रेलवे टिकेट कराओ कभी इनका ॥
नयन को पता था की गलत हो रहा है फिर भी कोई दूसरा चारा भी तो नहीं था । अब तो चम्पक सिंह MCA में एडमिशन भी ले लिया था जो की घर बैठे करना था । उसने IGNOU से एडमिशन लिया था ।
दिन बीतते गए जैसे तैसे ५ साल निकल गए और चम्पक सिंह का MCA पूरा हो गया । फिर चम्पक सिंह ने दूसरा इंटरव्यू दिया प्रोग्रामिंग का उसका उसमे भी सिलेक्शन हो गया और चम्पक सिंह ने वो नौकरी ज्वाइन कर ली ।
अब कुछ रहत की सांस थी । नई जगह पर एक साल नौकरी करने के बाद कुछ प्रमोशन न मिलने पर चम्पक सिंह ने नौकरी छोड़ दी ।
आज चम्पक सिंह फिर से बेरोजगार हो गया था । सारा कोर्स सर्टिफिकेट था पर नौकरी नहीं । चम्पक सिंह ने नयन को भी नहीं बताया की उसने नौकरी छोड़ दी । घर से टिफिन लेकर निकलता था कहता था नौकरी पे जा रहा हूँ और किस बस स्टॉप पर दिन भर बैठा रहता था ।
पूरा दिन उसे पहाड़ जैसा लगता था । अखबार साथ में ले जाता था अगर कहीं इंटरव्यू होता था तो अटेंड करता था । पैसे भी ख़तम हो रहे थे । टेंशन बढती जा रही थी । चम्पक सिंह सोचता था या दुआ करता था की भगवान् किसी को भी ऐसे दिन न दिखाए ।
एक दिन बस स्टॉप पर अपना मोबाइल से खेल रहा था चम्पक सिंह तभी फोन की घंटी घनघना उठी सामने जॉब ऑफर थी वो भी नौ हजार रूपये की । चम्पक सिंह ने नई नौकरी ज्वाइन कर ली फिर नयन को बताया जॉब बदल रहा हूँ ।
चम्पक सिंह के भाई को आज तक नहीं पता की नौकरी छोड़ दिया था चम्पक सिंह । नई नौकरी चम्पक सिंह को अच्छी लग रही थी एक साल तो बहुत ही अच्छा गया पर अगले साल बॉस से खटपट सुरु हो गई सबको इन्क्रीमेंट मिलता था परन्तु चम्पक सिंह को नही । अब ये नौकरी भी चम्पक सिंह को भारी पड़ने लगी । सबके सामने चम्पक सिंह अपने को ठगा सा महसूस करता था ।
चम्पक सिंह को लगा वो जिंदगी से हार गया परन्तु चम्पक सिंह ने हिम्मत नहीं छोड़ी नई नौकरी के लिए अप्लाई करता रहा । एक दिन उसकी मुराद पूरी हो गई एक बड़ी कंपनी में जॉब ऑफर हो गई ।
आज की डेट में चम्पक सिंह के पास अच्छी नौकरी है बीबी है घर है पर फिर भी पता नहीं क्यों चम्पक सिंह बुझा बुझा सा रहता है । मै भगवान् से दुआ करता हूँ की आप चम्पक सिंह जैसी परिस्थिति से न गुजरे ।
चम्पक सिंह के पापा का नाम जीवनलाल है ।
जीवनलाल - बेटा चम्पक अब तू स्नातक कर रहा है आगे का क्या बिचार है ।
चम्पक सिंह- पिताजी में सोच रहा हूँ कि कंप्यूटर कोर्स कर लेता हूँ ।
जीवनलाल - बेटा पहले बीएससी पूरा कर लो फिर देखो क्या करना । अब तक तो कभी फर्स्ट क्लास पास हुए नहीं तुम समझ में नहीं आता ये जिंदगी तुम्हे कहा लेकर जाएगी । तू पढता तो रात को २ बजे तक है फिर नंबर क्यों नहीं आते ।
चम्पक सिंह- क्या करूँ जो पढता हूँ वो आता नहीं और जो आता है वो पढ़ के नहीं जाता ।
जीवनलाल - हा हा हा तू नहीं सुधरेगा ।
चम्पक सिंह का एक दोस्त था उसको लोग प्यार से गड्डी के नाम से बुलाते थे । गड्डी और चम्पक सिंह एक ही कमरे में रहते थे । गड्डी को सब मालूम था की चम्पक सिंह के नंबर क्यों नहीं आते थे असल में रात को चम्पक सिंह कुछ अलग ही करता था या तो कहानी की किताब पढता था या फिर खुद कहानी लिखता था । दिन में जब अकेले होता था तो किस टीवी सीरियल का नाटक अकेले ही खेलता रहता था ।
अब तो बीएससी का आखिरी साल चल रहा था और बीएससी के बाद की सबको चिंता थी क्या करेगा आखिर चम्पक सिंह ।
जैसे तैसे चम्पक सिंह बीएससी हो गई और चम्पक सिंह गाँव चला गया । चम्पक सिंह का बड़ा भाई बैंगलोर में सरकारी नौकरी करता था एक दिन उसका ख़त आया की चम्पक सिंह को बंगलोर भेज दो आगे की पढाई मै देखूंगा चम्पक सिंह की ।
अगले दिन चम्पक सिंह का बैंगलोर का टिकेट कट गया और दो दिन के बाद चम्पक सिंह बंगलोर पहुँच गया । चम्पक सिंह सोचता था कि अब कुछ अच्छा हो जायेगा जिंदगी बन जाएगी ।
चम्पक सिंह के भाई का नाम नयन है ।
नयन - चम्पक सिंह अब आगे क्या करने का बिचार है ।
चम्पक सिंह - भाई आप जो ठीक समझे ।
नयन - मै सोच रहा हूँ की मास्टर इन कंप्यूटर का कोर्स कर लो लेकिन तुम्हारे नंबर बहुत कम है फिर भी कोसिस कर के देख लेते है सायद कही कुछ हो ही जाये ।
अगले दिन दो तीन कॉलेज से फॉर्म भर दिए पर कहीं कोई एडमिशन नहीं मिला । तो हारकर नयन ने एक PGDCA जो की एक डिप्लोमा कोर्स है एडमिशन दिल दिया ।
चम्पक सिंह ने टाइपिंग कोर्स भी कर लिया फिर PGDCA का कोर्स सुरु कर दिया । कुछ महीने के बाद हाफ इयर एग्जाम हुआ चम्पक सिंह सारे सब्जेक्ट में असफल हो गए ।
नयन ने सर पीट लिया क्या होगा आखिर चम्पक सिंह का ।
चम्पक सिंह ने भाई की इज्ज़त रखने के लिए पढाई सुरु की जैसे तैसे PGDCA पास कर लिया । फिर नयन ने चम्पक सिंह को कंप्यूटर का एक एडवांस कोर्स करा दिया जो की ६ महीने का था । उसमे चम्पक सिंह के ७ ० टका मार्क्स आये ।
चम्पक सिंह को लगा की अब जिंदगी की गाड़ी चल निकली ।
नयन ने कहा अब दो कोर्स हो गया नौकरी के लिए कोसिस करो । चम्पक सिंह ने इंटरव्यू देना सुरु किया । सॉफ्टवेर इंजिनियर के लिए अप्लाई करता था पर कहीं कोई नौकरी नहीं मिलती ।
एक दिन उसे डाटा एंटरी ऑपरेटर की नौकरी के लिए ऑफर मिला तो नयन को बताया । सैलरी बहुत कम है महज १ ५ ० ० रूपये प्रति माह ।
नयन ने कहा नौकरी सुरु कर दो अब भाग्य में जो लिखा है वही मिलेगा न ।
चम्पक सिंह ने नौकरी सुरु कर दी पर चम्पक सिंह का नौकरी में बिलकुल मन नहीं लगता था जैसे तैसे नौकरी कर लेता था । चम्पक सिंह का बॉस बड़ा ही कमीना था कुछ भी काम कराता था चपरासी के न होने पे चाय भी चम्पक सिंह को लानी पड़ती थे पर चम्पक सिंह ये सब नयन को नहीं बताता था ।
एक दिन तो हद ही हो गई बॉस ने ट्रक पर सामान लोड करने के लिए चम्पक सिंह को ही लगा दिया । चम्पक सिंह को गुस्सा तो बहुत आया पर मन मारके किसी तरह काम को निबटाया ।
एक दिन बॉस को शादी में जाना था तो चम्पक सिंह को घर की रखवाली करने के लिए घर के बाहर बैठा दिया । चम्पक सिंह खून के आंसू रोता था ।
अब बर्दास्त से बाहर हो रहा था ।
जैसे तैसे एक साल हो गया । एक दिन नयन ने कहा मेरे ऑफिस में नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेटर की नौकरी निकली है अप्लाई करदो सायद नंबर लग जाये ।
चम्पक सिंह ने तुरंत अप्लाई कर दिया और चम्पक सिंह को नौकरी भी मिल गई पुरानी नौकरी से हाय तौबा किया । नई नौकरी में भी दिक्कतें थी पर पुरानी नौकरी से ये नौकरी बेहतर थी । यहाँ भी कभी उनका रेलवे टिकेट कराओ कभी इनका ॥
नयन को पता था की गलत हो रहा है फिर भी कोई दूसरा चारा भी तो नहीं था । अब तो चम्पक सिंह MCA में एडमिशन भी ले लिया था जो की घर बैठे करना था । उसने IGNOU से एडमिशन लिया था ।
दिन बीतते गए जैसे तैसे ५ साल निकल गए और चम्पक सिंह का MCA पूरा हो गया । फिर चम्पक सिंह ने दूसरा इंटरव्यू दिया प्रोग्रामिंग का उसका उसमे भी सिलेक्शन हो गया और चम्पक सिंह ने वो नौकरी ज्वाइन कर ली ।
अब कुछ रहत की सांस थी । नई जगह पर एक साल नौकरी करने के बाद कुछ प्रमोशन न मिलने पर चम्पक सिंह ने नौकरी छोड़ दी ।
आज चम्पक सिंह फिर से बेरोजगार हो गया था । सारा कोर्स सर्टिफिकेट था पर नौकरी नहीं । चम्पक सिंह ने नयन को भी नहीं बताया की उसने नौकरी छोड़ दी । घर से टिफिन लेकर निकलता था कहता था नौकरी पे जा रहा हूँ और किस बस स्टॉप पर दिन भर बैठा रहता था ।
पूरा दिन उसे पहाड़ जैसा लगता था । अखबार साथ में ले जाता था अगर कहीं इंटरव्यू होता था तो अटेंड करता था । पैसे भी ख़तम हो रहे थे । टेंशन बढती जा रही थी । चम्पक सिंह सोचता था या दुआ करता था की भगवान् किसी को भी ऐसे दिन न दिखाए ।
एक दिन बस स्टॉप पर अपना मोबाइल से खेल रहा था चम्पक सिंह तभी फोन की घंटी घनघना उठी सामने जॉब ऑफर थी वो भी नौ हजार रूपये की । चम्पक सिंह ने नई नौकरी ज्वाइन कर ली फिर नयन को बताया जॉब बदल रहा हूँ ।
चम्पक सिंह के भाई को आज तक नहीं पता की नौकरी छोड़ दिया था चम्पक सिंह । नई नौकरी चम्पक सिंह को अच्छी लग रही थी एक साल तो बहुत ही अच्छा गया पर अगले साल बॉस से खटपट सुरु हो गई सबको इन्क्रीमेंट मिलता था परन्तु चम्पक सिंह को नही । अब ये नौकरी भी चम्पक सिंह को भारी पड़ने लगी । सबके सामने चम्पक सिंह अपने को ठगा सा महसूस करता था ।
चम्पक सिंह को लगा वो जिंदगी से हार गया परन्तु चम्पक सिंह ने हिम्मत नहीं छोड़ी नई नौकरी के लिए अप्लाई करता रहा । एक दिन उसकी मुराद पूरी हो गई एक बड़ी कंपनी में जॉब ऑफर हो गई ।
आज की डेट में चम्पक सिंह के पास अच्छी नौकरी है बीबी है घर है पर फिर भी पता नहीं क्यों चम्पक सिंह बुझा बुझा सा रहता है । मै भगवान् से दुआ करता हूँ की आप चम्पक सिंह जैसी परिस्थिति से न गुजरे ।