इन्दरपूरी बाबा
बात थोड़ी पुरानी है । एक गाँव जिसका नाम भवानीपुर था । उस गाँव में एक बाबा रहते थे उनका नाम था इन्दरपूरी बाबा । इन्दरपूरी बाबा गाँव के मंदिर में एक छप्पर में रहते थे । में जब भी मंदिर जाता था इन्दरपूरी बाबा से जरूर मिलता था । एक बार में गया तो उन्होंने मुझे खाना भी खिलाया । खाना बहुत ही स्वादिस्ट था । बातों बातों में वो मुझसे तारीख पूछते थे यदि में गलत तारीख बता देता तो बोलते थे क्या पढ़ते लिखते हो तारिख भी नहीं मालूम है सही से ।
जो कोई भी मंदिर आता था कुछ न कुछ दान दक्षिना दे जाता था । कभी कभी हम उन्हें खाने पर भी बुलाते थे । उस मंदिर के पीछे एक नाऊ रहता था उसका नाम नन्हे था वो बहुत चालक किस्म का आदमी था वो भी कभी कभी बाबा से मिलने आता था ।
वो जब भी मिलते तो अपनी गाय के बारे में जरूर बताते थे की उनकी गाय बहुत सुन्दर थी एक बार वो रात को सो रहे थे तो कुछ लोग आये और उनके सीने के ऊपर बन्दूक तान दिया । लेकिन किसी तरह से बाबा भाग निकले लेकिन वे चोर बाबा की गाय चुरा ले गए । तब से बाबा को अपनी गाय बहुत याद आती है ।
वो कहते थे वैसी गाय उन्होंने कभी नहीं देखी ।
एक दिन बाबा अपने कपडे बाहर रखकर नहाने के लिए गए फिर जब लौट कर आये तो सर पकड़ कर बैठ गए उनके जेब से सारे पैसे गायब हो गए थे ।
इन्दरपूरी बाबा को बुखार सा हो गया उनको पता ही नहीं चला कि किसने पैसे चुरा लिया । पूछने पर बताया की पूरे ११ हजार रूपये चोरी हो गए ।
एक बाबा के पास ११ हजार रूपये मतलब की उसकी सारी जिंदगी की कमाई । किसी को पता नहीं चला की रूपये किसने चुराए पर मेरी सक की सुई उस नाऊ नन्हे पर ही गई । उसकी नजर में खोट था । चोरी के बाद नन्हे बाबा के साथ आता जाता था ताकि कोई सक न करे ।
बाबा को नन्हे पर पूरा भरोसा था उन्हें कभी नन्हे पर सक नहीं हुआ । थोड़े दिनों बाद बाबा पैसों के गम में बीमार रहने लगे और २ साल बाद उनका देहांत हो गया ।
उसके एक साल बाद नन्हे की दो भैंस मर गई । नन्हे को सजा तो मिल चुकी थे पर ये पता नहीं चला की चोरी किसने की ।
बात थोड़ी पुरानी है । एक गाँव जिसका नाम भवानीपुर था । उस गाँव में एक बाबा रहते थे उनका नाम था इन्दरपूरी बाबा । इन्दरपूरी बाबा गाँव के मंदिर में एक छप्पर में रहते थे । में जब भी मंदिर जाता था इन्दरपूरी बाबा से जरूर मिलता था । एक बार में गया तो उन्होंने मुझे खाना भी खिलाया । खाना बहुत ही स्वादिस्ट था । बातों बातों में वो मुझसे तारीख पूछते थे यदि में गलत तारीख बता देता तो बोलते थे क्या पढ़ते लिखते हो तारिख भी नहीं मालूम है सही से ।
जो कोई भी मंदिर आता था कुछ न कुछ दान दक्षिना दे जाता था । कभी कभी हम उन्हें खाने पर भी बुलाते थे । उस मंदिर के पीछे एक नाऊ रहता था उसका नाम नन्हे था वो बहुत चालक किस्म का आदमी था वो भी कभी कभी बाबा से मिलने आता था ।
वो जब भी मिलते तो अपनी गाय के बारे में जरूर बताते थे की उनकी गाय बहुत सुन्दर थी एक बार वो रात को सो रहे थे तो कुछ लोग आये और उनके सीने के ऊपर बन्दूक तान दिया । लेकिन किसी तरह से बाबा भाग निकले लेकिन वे चोर बाबा की गाय चुरा ले गए । तब से बाबा को अपनी गाय बहुत याद आती है ।
वो कहते थे वैसी गाय उन्होंने कभी नहीं देखी ।
एक दिन बाबा अपने कपडे बाहर रखकर नहाने के लिए गए फिर जब लौट कर आये तो सर पकड़ कर बैठ गए उनके जेब से सारे पैसे गायब हो गए थे ।
इन्दरपूरी बाबा को बुखार सा हो गया उनको पता ही नहीं चला कि किसने पैसे चुरा लिया । पूछने पर बताया की पूरे ११ हजार रूपये चोरी हो गए ।
एक बाबा के पास ११ हजार रूपये मतलब की उसकी सारी जिंदगी की कमाई । किसी को पता नहीं चला की रूपये किसने चुराए पर मेरी सक की सुई उस नाऊ नन्हे पर ही गई । उसकी नजर में खोट था । चोरी के बाद नन्हे बाबा के साथ आता जाता था ताकि कोई सक न करे ।
बाबा को नन्हे पर पूरा भरोसा था उन्हें कभी नन्हे पर सक नहीं हुआ । थोड़े दिनों बाद बाबा पैसों के गम में बीमार रहने लगे और २ साल बाद उनका देहांत हो गया ।
उसके एक साल बाद नन्हे की दो भैंस मर गई । नन्हे को सजा तो मिल चुकी थे पर ये पता नहीं चला की चोरी किसने की ।