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Thag of Delhi

दिल्ली का ठग

बहुत दिन पहले कि बात है मेरे एक मित्र दिल्ली में नौकरी करते थे । थोड़े दिन पैसे कमाने के बाद गाँव जाने कि तैयारी कर रहे थे उनका नाम हसमुख है । उनके पास  लगभग २० हजार रूपये थे । वो स्टेशन पर रेलगाड़ी का इंतजार कर रहे थे तभी एक आदमी उनके पास आया और बोला कहा जा रहे हो हसमुख भाई बोले कि बाराबंकी तो उस आदमी ने कहा कि वो भी बाराबंकी जा रहा है । जिस ट्रेन का इंतजार हसमुख भाई कर रहे थे उसी ट्रेन का इन्तजार वो आदमी भी कर रहा था । फिर बोला कि आजकल ठग बहुत लूट रहे है इसलिए मैंने अपने सारे रूपये का रसीद स्टेशन से कटवा लिया है बाराबंकी पहुंचूंगा तो रसीद दिखा कर पैसे वापस ले लूंगा ।
हसमुख थोड़े अनपढ़ थे सोचा अगर में भी रसीद कटवा लूँ तो रस्ते में जेब कतरी से बच जाऊंगा हसमुख ने कहा मेरे पास भी पैसे है मेरी भी रसीद बनवा दो ।
वो आदमी बोला मेरा बक्सा अपने पास रखकर रखवाली करो पैसे दो अभी बनवा देता हूँ ।
फिर पैसे लेकर वो रसीद बनवाने चला गया । बहुत देर हो गई वो आदमी नहीं आया अब हसमुख को समझते देर न लगी कि पैसे चले गए । उन्हें बहुत दुःख हुआ पर किसी तरह से गाव पहुच गए । उसका बक्सा खोल के देखा तो सड़े गले कपडे थे । ऐसे होते है दिल्ली के ठग ।

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