दिवाली में दिवाला
दिवाली हिन्दुओं का विशेष त्यौहार है । दिवाली की छुट्टी का इंतजार सभी को रहता है । परन्तु आज की डेट में इंसान की दिवाली का दिवाला हर तरफ से निकल जाता है । आप कहोगे कैसे वो ऐसे पहले तो जो दूर रहते है उनको ट्रैन की टिकट की दिक्कत । टिकट बुकिंग स्टार्ट होते ही ख़त्म हो जाती है और वेटिंग में यात्रा करने पर तो हाल बेहाल हो जाता है । जो अमीर है वो तो एयरोप्लेन का टिकट ले लेते है बाकी ट्रैन में ऐसे जाते है जैसे कसाई बकरे को गाड़ी में ठूंस कर ले जा रहा हो । फिर हर चीज महँगी हो गई है ।
एक फुलझड़ी का पैकेट भी १०० रुपए से कम का नहीं होता है । और १०० रूपये का मतलब किसी गरीब के एक दिन की कमाई । अगर एक गरीब इंसान दिवाली मानना चाहे तो वो अपने आप से बैमानी करेगा ।
बच्चों के कपडे के भाव तो आसमान छू रहे है एक सिंपल ड्रेस १००० रूपये की होती है । हर एक कदम खर्चे से भरे होतें । दिवाली खुसी का त्यौहार है पर आजकल की दिवाली इंसान को हंसने का मौका ही नहीं देती है ।
अमीरों का तो बोलबाला रहता और गरीबो की दिवाली का दिवाला निकल जाता है । अब एक ही रास्ता है सरकार को महंगाई में भी कोटा रखना चाहिए । सबका कार्ड बनाना चाहिए । एक वस्तु का भाव अमीर के लिए अलग और गरीब के गरीब के लिए अलग और कम होने चाहिए ।
जो भी सभी मित्रो को मेरे विचारों के साथ दीवाली मुबारक हो ।
दिवाली हिन्दुओं का विशेष त्यौहार है । दिवाली की छुट्टी का इंतजार सभी को रहता है । परन्तु आज की डेट में इंसान की दिवाली का दिवाला हर तरफ से निकल जाता है । आप कहोगे कैसे वो ऐसे पहले तो जो दूर रहते है उनको ट्रैन की टिकट की दिक्कत । टिकट बुकिंग स्टार्ट होते ही ख़त्म हो जाती है और वेटिंग में यात्रा करने पर तो हाल बेहाल हो जाता है । जो अमीर है वो तो एयरोप्लेन का टिकट ले लेते है बाकी ट्रैन में ऐसे जाते है जैसे कसाई बकरे को गाड़ी में ठूंस कर ले जा रहा हो । फिर हर चीज महँगी हो गई है ।
एक फुलझड़ी का पैकेट भी १०० रुपए से कम का नहीं होता है । और १०० रूपये का मतलब किसी गरीब के एक दिन की कमाई । अगर एक गरीब इंसान दिवाली मानना चाहे तो वो अपने आप से बैमानी करेगा ।
बच्चों के कपडे के भाव तो आसमान छू रहे है एक सिंपल ड्रेस १००० रूपये की होती है । हर एक कदम खर्चे से भरे होतें । दिवाली खुसी का त्यौहार है पर आजकल की दिवाली इंसान को हंसने का मौका ही नहीं देती है ।
अमीरों का तो बोलबाला रहता और गरीबो की दिवाली का दिवाला निकल जाता है । अब एक ही रास्ता है सरकार को महंगाई में भी कोटा रखना चाहिए । सबका कार्ड बनाना चाहिए । एक वस्तु का भाव अमीर के लिए अलग और गरीब के गरीब के लिए अलग और कम होने चाहिए ।
जो भी सभी मित्रो को मेरे विचारों के साथ दीवाली मुबारक हो ।