मुन्सिपलिटी ऑफिस
मैं आप लोगों से १ घटना बताना चाहता हूँ जो हाल ही में घटित हुई मुझे मेरे बेटे की जन्म सर्टिफिकेट में एक सुधार करवाना था स्लैश के जगह पर १ हो गया था । मै पूरी बातें लिखता हूँ विस्तार से ।
मुन्सिपलिटी अफसर - क्या काम है ।
मैं - सर एक करेक्शन करवाना है ।
मुन्सिपलिटी अफसर - ठीक है दिखाओ ।
मै - ये लीजिये सर ।
मुन्सिपलिटी अफसर - कल आ जाओ रिकॉर्ड चेक करके बताऊँगा ।
अगले दिन में फिर गया ।
मुन्सिपलिटी अफसर - देखो मैंने रिकॉर्ड चेक कर लिया है फॉर्म में गलती थी । हॉस्पिटल वालों ने गलत लिख दिया था ।
मैं - ठीक है सर तो अब करेक्ट कर दीजिये ।
मुन्सिपलिटी अफसर - ठीक है पर एक तुम्हारा पासबुक और तुम्हारी पत्नी के बैंक पासबुक का ज़ेरोक्स लगेगा । कल ले के आ जाओ ।
मै घर आ गया पता चला वाइफ का तो बैंक अकाउंट ही नहीं है फिर मैंने वाइफ का तो बैंक अकाउंट खुलवाया ।
और एक सप्ताह के बाद फिर गया मुन्सिपलिटी ऑफिस।
मैं - सर , लीजिये सभी डॉक्यूमेंट के साथ फॉर्म रेडी है ।
मुन्सिपलिटी अफसर - पर आज बड़े साहब छुट्टी पर है सोमवार को आ जाओ ।
फिर मैं बहुत परेशान हो गया और सोमवार को गया ।
मुन्सिपलिटी अफसर - अरे आज आप आ गए साहब तो आज भी नहीं आये ।
मैं - सर, प्लीज आज करवा दीजिये न ।
मुन्सिपलिटी अफसर - देखो वो सब ठीक है अगर कंप्यूटर ऑपरेटर को चाय पानी दूँ तो सायद हो जाये ।
मैं - ठीक है सर ले लीजिये पर करवा दीजिये मैं पहले से ही कई लीव ले चूका हूँ ।
फिर मुन्सिपलिटी अफसर मुझे दूसरे कमरे में ले गया
मुन्सिपलिटी अफसर - देखो ३०० रूपये लगेंगे ।
पर मेरे पास ५०० का नोट था मैंने दिया तो उसने सारा रख लिए मांगने पर भी २०० रूपये वापस नहीं किये ।
पैसे लेने के बाद भी दो दिन बाद मेरा काम हुआ ।
जब मैंने अपने छुटटी और किराया भाड़ा जोड़ा तो पुरे ५००० रूपये का नुकसान हो चूका था केवल एक स्लैश करेक्शन के लिए । ये तो है मुन्सिपलिटी और सरकारी ऑफिस का हाल । ये वाकया मुंबई का है । अगर आप ये लेख पढ़ेंगे तो हो सकता है आप के कुछ पैसे बच जाएँ । अगर आप को जरूरत पड़े तो यदि पैसे देने हो तो पहले दिन ही दे देना नहीं तो तो कानून का सहारा ले । । पर कानून भी तो सरकारी है । आम आदमी जाये कहा ।
मैं आप लोगों से १ घटना बताना चाहता हूँ जो हाल ही में घटित हुई मुझे मेरे बेटे की जन्म सर्टिफिकेट में एक सुधार करवाना था स्लैश के जगह पर १ हो गया था । मै पूरी बातें लिखता हूँ विस्तार से ।
मुन्सिपलिटी अफसर - क्या काम है ।
मैं - सर एक करेक्शन करवाना है ।
मुन्सिपलिटी अफसर - ठीक है दिखाओ ।
मै - ये लीजिये सर ।
मुन्सिपलिटी अफसर - कल आ जाओ रिकॉर्ड चेक करके बताऊँगा ।
अगले दिन में फिर गया ।
मुन्सिपलिटी अफसर - देखो मैंने रिकॉर्ड चेक कर लिया है फॉर्म में गलती थी । हॉस्पिटल वालों ने गलत लिख दिया था ।
मैं - ठीक है सर तो अब करेक्ट कर दीजिये ।
मुन्सिपलिटी अफसर - ठीक है पर एक तुम्हारा पासबुक और तुम्हारी पत्नी के बैंक पासबुक का ज़ेरोक्स लगेगा । कल ले के आ जाओ ।
मै घर आ गया पता चला वाइफ का तो बैंक अकाउंट ही नहीं है फिर मैंने वाइफ का तो बैंक अकाउंट खुलवाया ।
और एक सप्ताह के बाद फिर गया मुन्सिपलिटी ऑफिस।
मैं - सर , लीजिये सभी डॉक्यूमेंट के साथ फॉर्म रेडी है ।
मुन्सिपलिटी अफसर - पर आज बड़े साहब छुट्टी पर है सोमवार को आ जाओ ।
फिर मैं बहुत परेशान हो गया और सोमवार को गया ।
मुन्सिपलिटी अफसर - अरे आज आप आ गए साहब तो आज भी नहीं आये ।
मैं - सर, प्लीज आज करवा दीजिये न ।
मुन्सिपलिटी अफसर - देखो वो सब ठीक है अगर कंप्यूटर ऑपरेटर को चाय पानी दूँ तो सायद हो जाये ।
मैं - ठीक है सर ले लीजिये पर करवा दीजिये मैं पहले से ही कई लीव ले चूका हूँ ।
फिर मुन्सिपलिटी अफसर मुझे दूसरे कमरे में ले गया
मुन्सिपलिटी अफसर - देखो ३०० रूपये लगेंगे ।
पर मेरे पास ५०० का नोट था मैंने दिया तो उसने सारा रख लिए मांगने पर भी २०० रूपये वापस नहीं किये ।
पैसे लेने के बाद भी दो दिन बाद मेरा काम हुआ ।
जब मैंने अपने छुटटी और किराया भाड़ा जोड़ा तो पुरे ५००० रूपये का नुकसान हो चूका था केवल एक स्लैश करेक्शन के लिए । ये तो है मुन्सिपलिटी और सरकारी ऑफिस का हाल । ये वाकया मुंबई का है । अगर आप ये लेख पढ़ेंगे तो हो सकता है आप के कुछ पैसे बच जाएँ । अगर आप को जरूरत पड़े तो यदि पैसे देने हो तो पहले दिन ही दे देना नहीं तो तो कानून का सहारा ले । । पर कानून भी तो सरकारी है । आम आदमी जाये कहा ।