बेचारा चंदू
चंदू ६ साल का बच्चा था । चंदू का बचपन बहुत ही मुश्किलों भरा था । चंदू के चाचा बहुत क्रूर किस्म के इंसान थे । यूं तो चंदू की कई कहानिया है पर मै एक लेख में एक वाक्यां ही लिखता हूँ बाकी दुसरे लेख में ।
चंदू ने एक कुत्ते का बच्चा पाल रखा था उसका नाम था उजला । एक बार गलती से उजले ने चाचा की एक किताब फाड़ दी तो चाचा को बहुत गुस्सा आया उन्होंने चंदू को डंडे से खूब पिटाई की । चंदू कभी इधर भागे कभी उधर । और चाचा जी को जब भी उजला दिखाई देता एक डंडा ताड से पड जाता था ।
चंदू बेचारा छोटा होने के कारन कुछ न बोल पाता था । बस मजबूरी में रोता रहता था । एक दिन तो हद हो गई चंदू के चाचा जी ने एक मोटा सा डंडा उजले के सर पर दे मारा । चंदू को लगा अब तो उजला मर जायेगा । उजला खूब जोर से चिल्लाया और बेहोस हो गया ।
चाचा जी ने सोचा की सायद मर गया चलो अच्छा हुआ । फिर चाचा खेत में चले गए चंदू दौड़ के उजला के पास आया और उसके पास उसको छू कर देखा तो उजला जिन्दा था । चंदू ने जल्दी से उसको दवा लगाया और दूध में हल्दी दाल कर पिला दिया । २ से ३ सप्ताह में उजला ठीक हो गया । चंदू ने भगवान को धन्यवाद कहा । और उजले को पड़ोस में दे दिया चंदू ने सोचा उजले को बचने का यही एक तरीका है । चंदू रोज उजले से मिलने जाता और उसके साथ खेलता । आज चंदू ३० वर्ष का हो गया पर फिर भी वो घटना याद आता तो उसे दुःख होता ।
ऐसे न जाने कितने उजले रोज अत्याचार के शिकार हो रहे है उनकी सुध लेने वाला कोई चंदू नहीं है ।
चंदू ६ साल का बच्चा था । चंदू का बचपन बहुत ही मुश्किलों भरा था । चंदू के चाचा बहुत क्रूर किस्म के इंसान थे । यूं तो चंदू की कई कहानिया है पर मै एक लेख में एक वाक्यां ही लिखता हूँ बाकी दुसरे लेख में ।
चंदू ने एक कुत्ते का बच्चा पाल रखा था उसका नाम था उजला । एक बार गलती से उजले ने चाचा की एक किताब फाड़ दी तो चाचा को बहुत गुस्सा आया उन्होंने चंदू को डंडे से खूब पिटाई की । चंदू कभी इधर भागे कभी उधर । और चाचा जी को जब भी उजला दिखाई देता एक डंडा ताड से पड जाता था ।
चंदू बेचारा छोटा होने के कारन कुछ न बोल पाता था । बस मजबूरी में रोता रहता था । एक दिन तो हद हो गई चंदू के चाचा जी ने एक मोटा सा डंडा उजले के सर पर दे मारा । चंदू को लगा अब तो उजला मर जायेगा । उजला खूब जोर से चिल्लाया और बेहोस हो गया ।
चाचा जी ने सोचा की सायद मर गया चलो अच्छा हुआ । फिर चाचा खेत में चले गए चंदू दौड़ के उजला के पास आया और उसके पास उसको छू कर देखा तो उजला जिन्दा था । चंदू ने जल्दी से उसको दवा लगाया और दूध में हल्दी दाल कर पिला दिया । २ से ३ सप्ताह में उजला ठीक हो गया । चंदू ने भगवान को धन्यवाद कहा । और उजले को पड़ोस में दे दिया चंदू ने सोचा उजले को बचने का यही एक तरीका है । चंदू रोज उजले से मिलने जाता और उसके साथ खेलता । आज चंदू ३० वर्ष का हो गया पर फिर भी वो घटना याद आता तो उसे दुःख होता ।
ऐसे न जाने कितने उजले रोज अत्याचार के शिकार हो रहे है उनकी सुध लेने वाला कोई चंदू नहीं है ।