मोह
इस दुनिया में हर किसी को किसी न किसी वस्तु से मोह है । किसी को बहुत सारी चीजों का मोह तो किसी को कुछ चीजों का । देखा जाये तो हम हर वक्त मोह से घिरे रहते है । जिसे ज्यादा मोह वो जाता है वो भी दुखी रहता है और जो वैरागी है वो दूसरों के मोह से दुखी रहता है ।
एक माँ जो की अपने बच्चे से कितना ज्यादा मोह करती है और अपने दिल में प्यार को महसूस करती है उसके बच्चे को कुछ भी हो तो कितना विचलित हो जाती है । कुछ मोह जो बिलकुल दिल से किये जाये वही प्यार बन जाता है ।
किसी को नौकरी से मोह तो किसी को कंपनी से मोह किसी को बातों का मोह तो किसी को मोबाइल का मोह किसी को खिलौनों से मोह तो किसी को किताबों से मोह । जहाँ तक हम अपने शरीर से जुडी हर एक वस्तु से मोह करते है ।
जो कपडे पहनते है सोचते है जितना ज्यादा चले उतना अच्छा है पुरानी हो जाने पर भी ठीक से रख देतें है या तो घर में पहनते है । घर में रहते रहते खिड़की से बहार देखते देखते उस खिड़की से भी मोह हो जाता है की जिंदगी के किस मोड़ तक मैं ये खिड़की देखूंगा । अलग अलग सोच के साथ अलग अलग मोह उपज जाते है ।
ये मोह वक्त के साथ साथ हमें कितना कमजोर कर देता है की हमें पता ही नहीं चलता है । इस संसार में प्यार मोहब्बत बना रहे इसके लिए मोह जरुरी है पर मोह उतना ही करना चाहिए जितने में हम कमजोर न पड़े या हमारे मोह का कोई गलत फायदा न उठा ले ।
इस जिंदगी में एक इंसान के जीवन में मोह के कई पड़ाव आते है सबसे बड़ा और पहला पड़ाव तो तब होता है जब पहली बार माँ को छोड़कर बेटा या बेटी पढाई के लिए दूर जाते है ।
दूसरा पड़ाव जब इंसान की शादी होती है और तीसरा और आखिरी बड़ा पड़ाव जब वही मोह माया अपनी संतान दोहराती है । इस संसार में अगर कुछ बड़ा करना हो तो मोह को त्यागना जरूरी हो जाता है ।
बिना मोह त्याग के कुछ अच्छ हासिल करना थोड़ा मुस्किल होता है । जब हम कही व्यस्त होते है या कुछ काम कर रहे होते है तो छडिक समय के लिए मोह याद नहीं रहता क्यों की अगर हम मोह हर समय याद रखेंगे तो काम कैसे करेंगे ।
महाभारत में विजय हासिल करने के लिए न जाने कितने लोगों ने बलिदान किया मोह का त्याग किया तब जाके पांडवों को विजय मिली थी इसी तरह जिंदगी भी एक जंग है और इसमें विजय प्राप्त करने के लिए मोह के साथ सामंजस्य बनाना ही पड़ता है ।
इस दुनिया में हर किसी को किसी न किसी वस्तु से मोह है । किसी को बहुत सारी चीजों का मोह तो किसी को कुछ चीजों का । देखा जाये तो हम हर वक्त मोह से घिरे रहते है । जिसे ज्यादा मोह वो जाता है वो भी दुखी रहता है और जो वैरागी है वो दूसरों के मोह से दुखी रहता है ।
एक माँ जो की अपने बच्चे से कितना ज्यादा मोह करती है और अपने दिल में प्यार को महसूस करती है उसके बच्चे को कुछ भी हो तो कितना विचलित हो जाती है । कुछ मोह जो बिलकुल दिल से किये जाये वही प्यार बन जाता है ।
किसी को नौकरी से मोह तो किसी को कंपनी से मोह किसी को बातों का मोह तो किसी को मोबाइल का मोह किसी को खिलौनों से मोह तो किसी को किताबों से मोह । जहाँ तक हम अपने शरीर से जुडी हर एक वस्तु से मोह करते है ।
जो कपडे पहनते है सोचते है जितना ज्यादा चले उतना अच्छा है पुरानी हो जाने पर भी ठीक से रख देतें है या तो घर में पहनते है । घर में रहते रहते खिड़की से बहार देखते देखते उस खिड़की से भी मोह हो जाता है की जिंदगी के किस मोड़ तक मैं ये खिड़की देखूंगा । अलग अलग सोच के साथ अलग अलग मोह उपज जाते है ।
ये मोह वक्त के साथ साथ हमें कितना कमजोर कर देता है की हमें पता ही नहीं चलता है । इस संसार में प्यार मोहब्बत बना रहे इसके लिए मोह जरुरी है पर मोह उतना ही करना चाहिए जितने में हम कमजोर न पड़े या हमारे मोह का कोई गलत फायदा न उठा ले ।
इस जिंदगी में एक इंसान के जीवन में मोह के कई पड़ाव आते है सबसे बड़ा और पहला पड़ाव तो तब होता है जब पहली बार माँ को छोड़कर बेटा या बेटी पढाई के लिए दूर जाते है ।
दूसरा पड़ाव जब इंसान की शादी होती है और तीसरा और आखिरी बड़ा पड़ाव जब वही मोह माया अपनी संतान दोहराती है । इस संसार में अगर कुछ बड़ा करना हो तो मोह को त्यागना जरूरी हो जाता है ।
बिना मोह त्याग के कुछ अच्छ हासिल करना थोड़ा मुस्किल होता है । जब हम कही व्यस्त होते है या कुछ काम कर रहे होते है तो छडिक समय के लिए मोह याद नहीं रहता क्यों की अगर हम मोह हर समय याद रखेंगे तो काम कैसे करेंगे ।
महाभारत में विजय हासिल करने के लिए न जाने कितने लोगों ने बलिदान किया मोह का त्याग किया तब जाके पांडवों को विजय मिली थी इसी तरह जिंदगी भी एक जंग है और इसमें विजय प्राप्त करने के लिए मोह के साथ सामंजस्य बनाना ही पड़ता है ।