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सरोज एक संघर्ष

सरोज

सरोज एक संघर्ष का  नाम था ? सरोज एक लड़की थी जिसकी शादी के १ साल ही हुए थे और उसके पति की डेथ हो गई थी । सरोज अब टूट सी गई थी । अडोस पड़ोस  के लोगों  ने समझाया जिंदगी जीने  के लिए है उसे जाया मत करो ।

सरोज १० वी  पास थी तो उसने अपनी पढाई फिर से शुरू की किसी तरह से १२ वी  की परीक्षा पास की फिर टीचींग  का कोर्स कर लिया और एक दिन अध्यापिका बन गई  ।

जिंदगी अब कुछ अच्छी  लगने लगी । घर में कोई जेंट्स नहीं था और सभी बहनो की शादी  थी । खेती भी थी । सरोज की एक बहन की ४ बेटी थी । सरोज की बहन का नाम सुमित्रा था ।

सुमित्रा का पति जुवारी था एक दिन वो सब कुछ जुए  में हार गया । तो सुमित्रा भी सरोज के साथ रहने लगी एक दिन सुमित्रा के पति की भी डेथ  हो गई  क्योंकि उसे कैंसर हो गया था ।

अब सरोज ने सुमित्रा और उसकी बेटियों की जिम्मेदारी अपने सर  ले लिया । सबको पढ़ाया लिखाया और धीरे धीरे ३ बेटियो की शादी भी करवा दी ।   सरोज अब नौकरी से रिटायर हो गई  थी ।

उसकी अब एक ही इच्छा बाकी थी की किसी तरह से चौथी बेटी की शादी कर दूं मरने से पहले । लेकिन किस्मत को कुछ  और ही मंजूर था एक दिन सरोज के पेट में जोर से दर्द होने लगा आनन् फानन में अस्पताल में भर्ती किया ।

लेकिन हालत बिगड़ती जा रही थी सरोज की इच्छा थी की सारी जायदाद सुमित्रा के नाम कर दूं तो कम से कम  उसकी बेटी की शादी तो हो जाएगी ।  वसीयत की तैयारी होने लगी । कागजात तैयार हो गए लेकिन सिगनेचर  से पहले ही सुमित्रा की डेथ हो गयी ।

उसके मरने के बाद ३ से ४ लोगों ने प्रॉपर्टी पर अपना दावा किया हुआ है  अभी तक कोई फैसला  नहीं हुआ । सुमित्रा की लड़ाई मरने  के बाद भी चल रही है ।  आगे क्या होगा भगवान् जाने । 

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