मैं एक छोटी सी कहानी के बारे में बताना चाहता हूं. जो कि मेरे बाबा के ऊपर हैं मेरे बाबा बहुत ही अकेले थे खेती करते थे घर का सारा काम करते थे एक मजदूर भी उनके साथ काम करता था 1 दिन की बात है खेत में जाना था बैलगाड़ी पर गन्ने को डालना था जो कि वह उनके अकेले की बस की बात नहीं थी.
खेत पर गए वह बैलगाड़ी आई गन्ने को पहले काटना होता है उसके बाद उसका गट्ठर बनाना होता है और उसके बाद उसको बैलगाड़ी पर चढ़ाना होता है जो कि एक आदमी के बस की बात नहीं थी लेकिन उस जमाने में भी काम को निकलवाना उसका एक तरीका होता था |
उसके बारे में सोचना पड़ता था कि कैसे किसी की मदद ली जाए ऐसे अगर किसी से कहो कि थोड़ा सा काम कर दो तो कोई सुनता नहीं था एक उनके फ्रेंड थे जो कि उनके साथ कभी कभी घूमा करते थे लेकिन उनसे कुछ काम कहो तो वह करते नहीं थे वह वहां से गुजरे तो बाबा ने सोचा क्यों ना कोई तरकीब लगाई जाए और उनकी सहायता ली जाए उनके दोस्त का नाम तख्ती लाल था बाबा बोले कहां जा रहे हो |तख्ती लाल बोले ससुराल जा रहा हूं यहां आओ आपसे बात करना है कितना खेती है तुम्हारे पास |तख्ती लाल बोले 4भीगा है अच्छी बात है खेती कैसी चल रही है ठीक ठाक चल रहा है एक काम करो मेरे पास 12भीगा है उसमें से दो बीघा तुम अनाज बो लो उसका पहले उसकी बोआई करो जुताई करो फिर फसल काट लो इतना सुनते ही तख्ती लाल काम में हाथ बट|ने लगे और सारे के सारे गट्ठर बैलगाड़ी पर लाद दिया बाबा का काम हो गया था |
बाबा बोले उनसे तुमने तुमने खेत में कुछ बीज बोया है तख्ती लाल बोले बाबा काम नहीं कर मिल रहा है ज्यादा | तो बाबा बोले अरे भाई जब तुम अपनी खेत ही नहीं कर पा रहे हो तो हमारी खेती क्या करोगे अब तख्ती लाल को समझ में आया कि बाबा ने अपना काम निकाल लिया है पहले बाबा बोले पहले अपनी खेती करके दिखाओ फिर मेरी खेती करना तो यह था काम करने का एक तरीका |
किसी से काम निकालने का भी तरीका आना चाहिए केवल काम करने ही बहादुरी नहीं होती है उसकी व्यवस्था करना भी एक बहादुरी का काम है जो हमारे बाबा बखूबी निभाया करते हैं||
उनकी ऐसी छोटी-छोटी बहुत सारी कहानियां है मैं आपके साथ साझा करता रहूंगा और उम्मीद करता हूं आपको भी कुछ ना कुछ इन कहानियों से सीखने को मिलेगा कुछ अच्छा रहेगा तो कुछ खराब रहेगा लेकिन कुछ ना कुछ आपको जरूर सीखने को मिलेगा |
खेत पर गए वह बैलगाड़ी आई गन्ने को पहले काटना होता है उसके बाद उसका गट्ठर बनाना होता है और उसके बाद उसको बैलगाड़ी पर चढ़ाना होता है जो कि एक आदमी के बस की बात नहीं थी लेकिन उस जमाने में भी काम को निकलवाना उसका एक तरीका होता था |
उसके बारे में सोचना पड़ता था कि कैसे किसी की मदद ली जाए ऐसे अगर किसी से कहो कि थोड़ा सा काम कर दो तो कोई सुनता नहीं था एक उनके फ्रेंड थे जो कि उनके साथ कभी कभी घूमा करते थे लेकिन उनसे कुछ काम कहो तो वह करते नहीं थे वह वहां से गुजरे तो बाबा ने सोचा क्यों ना कोई तरकीब लगाई जाए और उनकी सहायता ली जाए उनके दोस्त का नाम तख्ती लाल था बाबा बोले कहां जा रहे हो |तख्ती लाल बोले ससुराल जा रहा हूं यहां आओ आपसे बात करना है कितना खेती है तुम्हारे पास |तख्ती लाल बोले 4भीगा है अच्छी बात है खेती कैसी चल रही है ठीक ठाक चल रहा है एक काम करो मेरे पास 12भीगा है उसमें से दो बीघा तुम अनाज बो लो उसका पहले उसकी बोआई करो जुताई करो फिर फसल काट लो इतना सुनते ही तख्ती लाल काम में हाथ बट|ने लगे और सारे के सारे गट्ठर बैलगाड़ी पर लाद दिया बाबा का काम हो गया था |
बाबा बोले उनसे तुमने तुमने खेत में कुछ बीज बोया है तख्ती लाल बोले बाबा काम नहीं कर मिल रहा है ज्यादा | तो बाबा बोले अरे भाई जब तुम अपनी खेत ही नहीं कर पा रहे हो तो हमारी खेती क्या करोगे अब तख्ती लाल को समझ में आया कि बाबा ने अपना काम निकाल लिया है पहले बाबा बोले पहले अपनी खेती करके दिखाओ फिर मेरी खेती करना तो यह था काम करने का एक तरीका |
किसी से काम निकालने का भी तरीका आना चाहिए केवल काम करने ही बहादुरी नहीं होती है उसकी व्यवस्था करना भी एक बहादुरी का काम है जो हमारे बाबा बखूबी निभाया करते हैं||
उनकी ऐसी छोटी-छोटी बहुत सारी कहानियां है मैं आपके साथ साझा करता रहूंगा और उम्मीद करता हूं आपको भी कुछ ना कुछ इन कहानियों से सीखने को मिलेगा कुछ अच्छा रहेगा तो कुछ खराब रहेगा लेकिन कुछ ना कुछ आपको जरूर सीखने को मिलेगा |