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दुनिया में इंसान की मजबूरी ही इंसान की सबसे बड़ी कमजोरी होती है

मजबूरी कैसी कैसी इस दुनिया में मजबूरी कैसी कैसी है जो इंसान को कितना कमजोर बना देती है । मजबूरी इंसान को सहनशील बना देती है । मजबूरी का उदहारण कही न कही कभी न कभी मिलता ही रहता है । एक बार मै ट्रेन में जा रहा था ट्रेन  में बहुत भीड़ थी जिनकी टिकट कन्फर्म थी उनकी कोई मजबूरी नहीं थी पर जिनकी टिकट वेटिंग में थी उनकी हर जगह मजबूरी थी । पहले टीटी आया सब वेटिंग वालों से बोला सब जनरल डिब्बे में जाओ नहीं तो १०० रुपए दो जिन्होंने पैसे दे दिए उन्हें जनरल डिब्बे में नहीं जाना पड़ा बाकी सबको जाना पड़ा । टीटी के जाने के बाद पुलिसः  वाले  आये और सब वेटिंग वालों से २० रुपए लिए।  भारितीय रेल  का बजट तो हर साल बड़े तरीके से पेश होता है पर कन्फर्म टिकट भी मिल जाये तो समझो गंगा नहा  लिया । एक बार सरकार यदि सारे बाते छोड  के कन्फर्म टिकट का बजट पेश  कर दे तो सबसे  भारी बजट कहलायेगा । सरकार भी क्या करे ये सरकार की मजबूरी है हम क्या करें ये हमारी मजबूरी है । बड़े जुगाड़ के बाद ही कन्फर्म टिकेट मिलता है । कोटा होना कुछ को तो सुकून देता है पर कुछ लोगों के लिए...

Maa ki Mamta

माँ माँ  के बारे में क्या लिखूं जितना भी लिखूं कम है । बचपन से लेकर बुढ़ापे तक माँ की महिमा कम नहीं होती । माँ का सम्मान करना ही एक मात्र तरीका है उसका कर्ज कुछ हद तक उतारने  का । माँ अपने जीवन में माँ होने के साथ साथ अपनी दोस्त भी होती है । एक ऐसा दोस्त जो की अपने हर दुःख दर्द को दूर करने की ताकत रखती है । रानी लक्ष्मीबाई जी ने जब अंग्रेजों से आखिरी लड़ाई लड़ी थी तो अपने बच्चे को अपनी पीठ पर रखकर उसकी रक्षा करते हुए लड़ी थी ।  अंतिम साँस तक  उनके मन में देश के साथ साथ अपने  बेटे की ममता उनके रग  में समाई  हुई थी । इस  दुनिया में यदि किसी बेटे की शादी होती है तो लगभग उस बेटे को माँ का साथ छूट ही जाता है कुछ लोग ही होते है जो माँ को पूरा जीवन सम्मान के साथ अपने साथ रखते है लेकिन  कुछ बेटे जो माँ को शादी के बाद अलग कर देते है शादी के  बाद माँ जैसा प्यार कही और नहीं पाता  । यही से माँ के प्यार का  आभास भी होता है । माँ को किसी भी रूप में देखो चाहे भारत माँ , गाइ  माँ  या फिर किसी और में परन्तु माँ शब्द म...

Yaaden kuch khaati kuch meethi on youtube

How to Believe on God and Astavakra Vani

Jaago Aur Jagaao

जागो और जगाओ  दोस्तों हम अपनी परेशानियों के लिए हमेशा दूसरों को दोष देते रहते है पर अपने अंदर का दोष कभी नहीं दूर करते । हम यह भी कहते है की सरकार ने ये नहीं किया वो नहीं किया ।  में आप से पूछता हूँ अगर मुझे कुछ दिक्कत है तो आपको कैसे पता चलेगी आपको तब तक नहीं पता चलेगी जब तक में आपको बताऊंगा  नहीं । आप जब तक अपनी दिक्कत सरकार को नहीं बताओगे तब तक दिक्कत दूर कैसे होगी । आज के दौर की सरकार एक अच्छी सरकार है मुझे विस्वाश है की सरकार आपके हर परेशानी पर अमल जरूर करेगी बस आपको एक कदम बढ़ाना है सरकार द्वारा प्रदान की  गई वेबसाइट पर अपनी शिकायत दर्ज करो । प्रधानमंत्री मोदी जी की खुद के नाम की भी वेबसाइट है  वहा जाये और रजिस्ट्रेशन करे । मैंने अब तक जो भी दिक्कत और परेशानी लिखी उस पर अमल जरूर हुआ है अब आपकी बारी है अपनी समस्या के बारे में लिखने की । मेरा तो काम ही है जागो और जगाओ । 

Experience of Earthquake

भूकम्प का अनुभव  मैंने अब तक दो बार भूकम्प का अनुभव किया है एक बार तब जब मैं  अहमदाबाद में था । तारीख थी जनवरी २७,२००१। मैं  अखबार पढ़ रहा था अचानक अक्षर हिलते हुए दिखाई दिए मैंने सोचा क्या नजर कमजोर हो रही है फिर देखा टीवी हिल रहा है तो सोचा कही चक्कर तो नहीं आ रहा है फिर देखा बिस्तर भी हिल रहा है मैंने कहा अब तो ये कुछ और ही है । तब तक भैया बोले भागो लगता है भूकम्प आ गया । मैं 4th  फ्लोर पर था लगा तेजी से भागने छत पर पानी का पाइप टूट गया खूब तेज पानी के गिरने की आवाज आने लगी ऐसा लगा जैसे बिल्डिंग गिरने वाली है । मै  १० सीढ़िया एक साथ कूदकर भागने लगा और अंततः नीचे पहुंच गया । नीचे से साड़ी बिल्डिंगों को हिलते हुए देख रहा था देह में कम्पन हो रहा था नीचे पहुचने वालों में मैं  पहला व्यक्ति था धीरे धीरे सभी बहार आ गए । कोई तोलिये में लिपटा  था तो कोई केवल अंडरवेर  में था । थोड़ी देर बाद भूकम्प शांत हो गया । फिर लोग अपने अपने एक्शन की गुफ्तगूं करने लगे । एक अंकल तो बोले मैं  पूजा कर रहा था जब भूकम्प  आया तो ऐसा लगा कि  भगवान प्रसन्न...

Different thoughts

अलग अलग विचारधारा हमारा देश भारत अलग अलग विचारधाराओं से ओतपोत है । कभी हमारा देश अंग्रेजों का गुलाम था और ये गुलामी कई सालों से थी परन्तु आज लोगों की विचारधारा यही है देश को आजादी महात्मा गांधी या भगत सिंह या फिर चंद्रशेखर आजाद जी ने दिलाई थी परन्तु  मेरी तो विचारधारा ये कहती है की हमें सिर्फ कुछ नामों तक सीमित नहीं रहना चाहिए हमें उन सभी लोगों को भी साथ लेकर बोलना चाहिए जिन्होंने कही न कही कभी न कभी कुछ सहयोग दिया । कुछ के नाम तो गुमनाम ही रहे । अंग्रेजो से बहुत लम्बी लड़ाई चली कभी महारानी लक्ष्मीबाई लड़ी तो कभी टीपू सुल्तान तो कभी हैदर अली ।  योँ तो पूरा इतिहास आजादी की लड़ाई से भरी पड़ी है कभी अंग्रेजो से लड़ाई तो कभी मुगलों से । सहीद तो आज भी जवान कश्मीर में हो रहे हैं उनका भी योगदान इस देश के लिए काम नहीं है । कभी मंगल पाण्डेय ने आजादी की बिगुल बजाई थी तो उनको भी आजादी का श्रेय जाता है तो हम केवल एक दो नामों को लेकर अलग अलग विचारधारा क्यों रखते है । हर देश प्रेमी जो देश के लिए सहीद हुआ वो इस देश की आजादी की एक कड़ी है हमें आजादी के लिए एक दो नाम की जगह सभी के नामो के साथ...