माँ माँ के बारे में क्या लिखूं जितना भी लिखूं कम है । बचपन से लेकर बुढ़ापे तक माँ की महिमा कम नहीं होती । माँ का सम्मान करना ही एक मात्र तरीका है उसका कर्ज कुछ हद तक उतारने का । माँ अपने जीवन में माँ होने के साथ साथ अपनी दोस्त भी होती है । एक ऐसा दोस्त जो की अपने हर दुःख दर्द को दूर करने की ताकत रखती है । रानी लक्ष्मीबाई जी ने जब अंग्रेजों से आखिरी लड़ाई लड़ी थी तो अपने बच्चे को अपनी पीठ पर रखकर उसकी रक्षा करते हुए लड़ी थी । अंतिम साँस तक उनके मन में देश के साथ साथ अपने बेटे की ममता उनके रग में समाई हुई थी । इस दुनिया में यदि किसी बेटे की शादी होती है तो लगभग उस बेटे को माँ का साथ छूट ही जाता है कुछ लोग ही होते है जो माँ को पूरा जीवन सम्मान के साथ अपने साथ रखते है लेकिन कुछ बेटे जो माँ को शादी के बाद अलग कर देते है शादी के बाद माँ जैसा प्यार कही और नहीं पाता । यही से माँ के प्यार का आभास भी होता है । माँ को किसी भी रूप में देखो चाहे भारत माँ , गाइ माँ या फिर किसी और में परन्तु माँ शब्द म...