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Holika Dahan vs Swine Flu

होलिका दहन  हम पूरे भारत में होली का त्यौहार मानते है और कई जगह पर होलिका जलती है । होली क्यों मनाते है ये तो हम सभी लोग जानते है पर इससे क्या लाभ है ये सायद बहुत कम लोग जानते है । जब होलिका जलाई जाती है तो उसका धुवाँ वॉयमंडल  में जाता है और उस वॉयमंडल  में बहुत से वायरस होते हैं । उस धुवे से बहुत सारे वायरस मर जाते है । और इस बार तो स्वाइन फ्लू नाम का वायरस बहुत ज्यादा फ़ैल गया है तो मेरा सभी भाई से निवेदन है इस बार होलिका में कपूर और इलाइची अधिक से अधिक जलाएं ताकि स्वाइन फ्लू का वायरस हमेशा के लिए मर जाये ।  क्यों की अभी तक कपूर और इलाइची ही एक मात्र दवा है स्वाइन फ़्लुए से बचने का ।  पहले ज़माने में लोग यज्ञ करते थे और यज्ञ में बहुत सारा घी  और चन्दन , कपूर,इत्यादि जलाते थे तो वॉयमंडल  शुद्ध रहता था पर आज का वातावरण बहुत ही दुसित हो चूका है और यज्ञ बहुत कम होता है  आओ हम सब मिलकर एक बार फिर से वॉयमंडल  को शुद्ध  करें और अपनी सुरक्षा को सुनश्चित करें ।  होली एक मौका है अपने तन और वॉयमंडल  को शुद्ध  करने की।  होली की सभी मित्रो को हार्दिक सुबह कामनाएं । 

Swine flu home Remedy

I got good information for Swine flu home Remedy. You can try if you are facing swine flue.

Why Monopoly is required

मोनोपोली क्यों जरूरी है अगर जिंदगी में आप खूब पैसा कामना चाहते है तो एक तरीका है और वो तरीका है मोनोपोली । अगर आप कोई बिज़नेस करने जा रहे है तो जिस प्रोडक्ट में मोनोपोली  होगी तो प्रोडक्ट ज्यादा बिकेगा ।  मोनोपोली  के मैंने बहुत सारे उदाहरण देखे है ।परन्तु एक घटना के बारें में मै  लिखना चाहता हूँ |   एक बार मै  उदयपुर राजस्थान गया हुआ था ।  एक बाजार में दो दूकान थी और दोनों दुकान में कचौरी बिक रही थी परन्तु एक दूकान में खूब भीड़ थी दूसरी दूकान में सिर्फ १ या २ ग्राहक थे ।  मैंने कहा चलो में दोनों दूकान की कचौरी खाता है पहले में काम भीड़ वाली दुकान पर गया कचौरी खाई कचौरी ताज़ी और स्वादिस्ट थी फिर में दूसरी दूकान पे गया जहाँ ज्यादा भीड़ थी बड़ी देर बाद कचौरी खाने का नंबर आया कचौरी खाने के बाद पता चला की दोनों दूकान की कचौरी का स्वाद तो एक जैसा था फिर वहां  भीड़ ज्यादा यहाँ काम क्यों ।  फिर थोड़ी देर बाद भीड़ वाली दूकान ने पीने के लिए पानी दिया तब पता चला की अंतर क्या है । दूकानदार ने जो पानी दिया था वो हींग का ठंडा पानी था जो गैस को मार देता है ।  मैंने कहा धन्य है दूकानदार का दिमाग

First Trip to Mumbai

मुंबई की पहली यात्रा  मैं  अहमदाबाद में नौकरी करता था । अचानक एक दिन मुझे इंटरव्यू के लिए मैसेज आया । मैंने इंटरव्यू के लिए तैयारी शुरू कर दिया  । फिर मैंने टेक्निकल इंटरव्यू फ़ोन पर अटेंड किया । फिर कुछ दिन बाद फाइनल सिलेक्शन का कॉल आया ।  डेट फिक्स हो गयी अप्पोइंटमेंट की । ट्रैन टिकट बुक कर लिया  और धीरे धीरे वो शुभ दिन आ गया जिस दिन मुझे मुंबई जाना था ।  निकलने से पहले भाई ने पुछा ट्रैन कितने बजे की है मैंने बोला ९. ३० बजे रात की। . भाई ने बोला टिकट चेक कर लिया।  मैंने बोला चेक कर लिया।   में सामान लेकर स्टेशन पहुंच गया पूरे ८. ३० बजे । अपने ट्रैन का टाइम चेक करने लगा और फिर चौक गया ट्रैन टाइम तो ८. ३० बजे ही था । देखा मेरी ट्रैन तो जा रही है । सामान भरी था मैं कोसिस करके भी ट्रैन पकड़ न सका ।  फिर भी अगले सुबह पहुचना जरुरी था । तो दूसरी ट्रैन में बैठ गया टीटी  आया तो ६०० रूपये का फाइन भरना पड़ा । खड़े खड़े किसी तरह से मुंबई पंहुचा फिर भाई को फ़ोन किया की ठीक ठाक पहुंच गया ।  पर मुसीबत अभी बाकी थी । बांद्रा से विक्रोली लोकल ट्रैन का टिकट लिया पर फर्स्ट क्लास म

Bechaara Ujla aur Uska mitra Chandu

बेचारा चंदू  चंदू ६ साल  का बच्चा था । चंदू  का बचपन बहुत ही  मुश्किलों  भरा था ।  चंदू   के चाचा बहुत क्रूर किस्म के इंसान थे । यूं  तो चंदू   की कई कहानिया है पर मै  एक लेख में एक वाक्यां  ही लिखता हूँ बाकी दुसरे लेख में ।  चंदू ने एक  कुत्ते का बच्चा पाल रखा था उसका नाम था उजला ।  एक बार गलती से उजले ने चाचा की एक किताब फाड़ दी तो चाचा को बहुत गुस्सा आया उन्होंने चंदू को डंडे से खूब पिटाई की । चंदू कभी इधर भागे कभी उधर । और चाचा जी को जब भी उजला दिखाई देता एक डंडा ताड से पड  जाता था ।  चंदू  बेचारा छोटा होने के कारन कुछ न बोल पाता था ।  बस मजबूरी में रोता रहता था । एक दिन तो हद हो गई चंदू के चाचा जी ने एक मोटा सा डंडा उजले के सर पर दे मारा ।  चंदू  को लगा अब तो उजला मर जायेगा । उजला खूब जोर से चिल्लाया और बेहोस हो गया ।  चाचा जी ने सोचा की सायद मर गया चलो अच्छा हुआ ।  फिर चाचा खेत में चले गए चंदू  दौड़ के उजला के पास आया और उसके पास उसको छू  कर देखा तो उजला जिन्दा था । चंदू  ने जल्दी से उसको दवा लगाया और दूध में हल्दी दाल कर पिला दिया ।  २ से ३ सप्ताह में उजला ठीक हो गया । चं