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Moh Effect and Side effect in life

मोह इस दुनिया में हर किसी को किसी न किसी वस्तु  से मोह है । किसी को बहुत सारी  चीजों का मोह तो किसी को कुछ चीजों का ।  देखा जाये तो हम हर वक्त मोह से घिरे रहते है । जिसे ज्यादा मोह वो जाता है वो भी दुखी रहता है और जो वैरागी है वो दूसरों के मोह से दुखी रहता है । एक माँ जो की अपने बच्चे से कितना ज्यादा मोह  करती है और अपने दिल में प्यार को महसूस करती है उसके बच्चे को कुछ भी हो तो कितना विचलित हो जाती है ।  कुछ मोह जो बिलकुल दिल से किये जाये वही  प्यार बन जाता है । किसी को नौकरी से मोह तो किसी को कंपनी से मोह किसी को बातों का मोह तो किसी को मोबाइल का मोह किसी को खिलौनों से मोह  तो किसी को  किताबों से मोह । जहाँ तक हम अपने शरीर से जुडी हर एक वस्तु  से मोह करते है । जो कपडे पहनते है सोचते है जितना ज्यादा चले उतना अच्छा है पुरानी हो जाने पर भी ठीक से रख देतें है या तो घर में पहनते है । घर में रहते रहते खिड़की से बहार देखते देखते उस खिड़की से भी मोह हो जाता है की जिंदगी के किस मोड़ तक मैं ये खिड़की देखूंगा ।  अलग अलग सोच के साथ अलग अलग मोह उपज जाते है । ये मोह वक्त के साथ साथ हमें कितन

Antarman

एक बालक था उसका नाम था नंदू बहुत भोला था वो । आज वो जब साम को खेल कर वापस आया तो देखा उसके पिता जी डंडा लेकर उसका इंतजार कर रहे थे । उसे लगा आज बहुत देर हो गई है अब तो मार पड़ेगी । उसके पिताजी उसे किसी न किसी बहाने से रोज मारते थे । पर आज नंदू ने फैसला कर लिया की आज वो मार नहीं खायेगा । उलटे पाँव वापस आ गया चुपचाप । रात होने वाली थी और नंदू चला ही जा रहा था देखते देखते ४ किलीमीटर दूर चला गया । नंदू सोच रहा था अब तो और देर हो गई है घर जायेगा तो बहुत मार पड़ेगी फिर जाये तो जाये कहा । सोच रहा था क्यों न चल के ट्रेन के आगे कूद जाऊं में भी ख़त्म और पिताजी की मार भी । उधर माँ सोचने लगी अभी तक नंदू आया क्यों नहीं और इधर उधर खोजने लगी ।उसके  पिताजी को कोई चिंता नहीं थी उन्होंने खाना खाया और सो गए डकार मार के । नंदू सोचते सोचते प्लेटफार्म पर पहुच गया आज तो उसने तय कर लिया था की वो अपनी जान दे देगा । उतने बीच लोगो के भाग दौड़ होने लगी । ट्रेन आने वाली थी नंदू के इंतजार की घड़ियाँ ख़त्म हो रही थी । ट्रेन आ रही थी जैसे ही ट्रेन पास में आई तो उसकी नजर ट्रेन के पहिये पर गई । ट्रेन का पहिया बहुत