एक बालक था उसका नाम था नंदू बहुत भोला था वो । आज वो जब साम को खेल कर वापस आया तो देखा उसके पिता जी डंडा लेकर उसका इंतजार कर रहे थे । उसे लगा आज बहुत देर हो गई है अब तो मार पड़ेगी । उसके पिताजी उसे किसी न किसी बहाने से रोज मारते थे । पर आज नंदू ने फैसला कर लिया की आज वो मार नहीं खायेगा । उलटे पाँव वापस आ गया चुपचाप ।
रात होने वाली थी और नंदू चला ही जा रहा था देखते देखते ४ किलीमीटर दूर चला गया ।
नंदू सोच रहा था अब तो और देर हो गई है घर जायेगा तो बहुत मार पड़ेगी फिर जाये तो जाये कहा । सोच रहा था क्यों न चल के ट्रेन के आगे कूद जाऊं में भी ख़त्म और पिताजी की मार भी ।
उधर माँ सोचने लगी अभी तक नंदू आया क्यों नहीं और इधर उधर खोजने लगी ।उसके पिताजी को कोई चिंता नहीं थी उन्होंने खाना खाया और सो गए डकार मार के ।
नंदू सोचते सोचते प्लेटफार्म पर पहुच गया आज तो उसने तय कर लिया था की वो अपनी जान दे देगा । उतने बीच लोगो के भाग दौड़ होने लगी ।
ट्रेन आने वाली थी नंदू के इंतजार की घड़ियाँ ख़त्म हो रही थी । ट्रेन आ रही थी जैसे ही ट्रेन पास में आई तो उसकी नजर ट्रेन के पहिये पर गई । ट्रेन का पहिया बहुत खतरनाक लग रहा था उसे उसके नीचे आ जाने से होने वाले दर्द का अहसास हो आया इतने में ट्रेन निकल गई ।
अब दुसरे ट्रेन का इंतजार करने लगा । नंदू को अब काफी भूख भी लग रही थी माँ की याद आ गई । पता नहीं क्यों उसके कदम अपने आप घर की ऒर चल दिए । रास्ते में घना अँधेरा था । उसे बहुत डर लग रहा था । इतने में कोई साइकिल सवार आ रहा था ।
उसने नंदू नंदू को देखा और बोला बेटा इतनी रात कहा जा रहे हो नंदू ने बताया घर जा रहा हूँ । साइकिल पर दो लोग थे उन्होंने कहा बेटा डरो नहीं मेरे पीछे दौड़ते रहो घर आ जायेगा फिर नंदू तब तक दौड़ता रहा जब तक घर नहीं आ गया ।
थोड़ी देर में घर आ गया फिर भी नंदू की घर में घुसने की हिम्मत न हुई । वो घर के पीछे दीवार के सहारे बैठ गया और कुछ सोचने लगा । सोचते सोचते वो सो गया । उसकी माँ परेशान हो के उसे ढूंढ रही थी । आखिर में उसे वो घर के पीछे सोते हुए मिला । माँ उसे उठा के ले गई । माँ ने नंदू को खाना खिलाया फिर पूछा कहा गया था लाल । नंदू ने उसे सच नहीं बताया बोल पता नहीं कब में यहाँ सो गया ।
सुबह पिता जी को कुछ भी नहीं बताया । पर में सोचता हूँ ऐसे की कितने सारे नंदू होंगे इस संसार में जो अंतर्मन से न जाने क्या क्या कर गुजरने की सोच लेते है इसलिए आप अपने नंदू को इस सोच से बचा के रखिये ये मेरी आप सब से एक बिनती है ।
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रात होने वाली थी और नंदू चला ही जा रहा था देखते देखते ४ किलीमीटर दूर चला गया ।
नंदू सोच रहा था अब तो और देर हो गई है घर जायेगा तो बहुत मार पड़ेगी फिर जाये तो जाये कहा । सोच रहा था क्यों न चल के ट्रेन के आगे कूद जाऊं में भी ख़त्म और पिताजी की मार भी ।
उधर माँ सोचने लगी अभी तक नंदू आया क्यों नहीं और इधर उधर खोजने लगी ।उसके पिताजी को कोई चिंता नहीं थी उन्होंने खाना खाया और सो गए डकार मार के ।
नंदू सोचते सोचते प्लेटफार्म पर पहुच गया आज तो उसने तय कर लिया था की वो अपनी जान दे देगा । उतने बीच लोगो के भाग दौड़ होने लगी ।
ट्रेन आने वाली थी नंदू के इंतजार की घड़ियाँ ख़त्म हो रही थी । ट्रेन आ रही थी जैसे ही ट्रेन पास में आई तो उसकी नजर ट्रेन के पहिये पर गई । ट्रेन का पहिया बहुत खतरनाक लग रहा था उसे उसके नीचे आ जाने से होने वाले दर्द का अहसास हो आया इतने में ट्रेन निकल गई ।
अब दुसरे ट्रेन का इंतजार करने लगा । नंदू को अब काफी भूख भी लग रही थी माँ की याद आ गई । पता नहीं क्यों उसके कदम अपने आप घर की ऒर चल दिए । रास्ते में घना अँधेरा था । उसे बहुत डर लग रहा था । इतने में कोई साइकिल सवार आ रहा था ।
उसने नंदू नंदू को देखा और बोला बेटा इतनी रात कहा जा रहे हो नंदू ने बताया घर जा रहा हूँ । साइकिल पर दो लोग थे उन्होंने कहा बेटा डरो नहीं मेरे पीछे दौड़ते रहो घर आ जायेगा फिर नंदू तब तक दौड़ता रहा जब तक घर नहीं आ गया ।
थोड़ी देर में घर आ गया फिर भी नंदू की घर में घुसने की हिम्मत न हुई । वो घर के पीछे दीवार के सहारे बैठ गया और कुछ सोचने लगा । सोचते सोचते वो सो गया । उसकी माँ परेशान हो के उसे ढूंढ रही थी । आखिर में उसे वो घर के पीछे सोते हुए मिला । माँ उसे उठा के ले गई । माँ ने नंदू को खाना खिलाया फिर पूछा कहा गया था लाल । नंदू ने उसे सच नहीं बताया बोल पता नहीं कब में यहाँ सो गया ।
सुबह पिता जी को कुछ भी नहीं बताया । पर में सोचता हूँ ऐसे की कितने सारे नंदू होंगे इस संसार में जो अंतर्मन से न जाने क्या क्या कर गुजरने की सोच लेते है इसलिए आप अपने नंदू को इस सोच से बचा के रखिये ये मेरी आप सब से एक बिनती है ।
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