The line of construction and destruction
हम घरों में हो तो जैसे भूकंप आये
ट्रेन में हो तो कहीं बम न फूट जाये
विमान में हों तो कब धमाका हो जाये
कहीं क्रिया कलाप में कुछ मिस न हो जाये
स्पर्श के रोमांस में कहीं जनाजा ही न निकल जाये
आलिंगन में ही कहीं हो न जाये हम ध्वस्त
बीबी ही न हो कहीं आत्मघाती दस्ते की सदस्य
हर वक्त एक खतरा बना रहता है
निर्माण में जैसे विनाश छुपा रहता है
निर्माण विनाश की रेखा कितनी पतली हो गई है
फिजा बन चुकी है की हम सहमे फूलों से
तूफानी झंझावात का अंदेशा हो शीतल झोकों से
हंसी हो गई दानवी अट्टहास
मुस्कान विषैली सी
संगीत भोंडा राग बेसुरे
सब्नम बन चुकी एक बूँद आग की
अमृत में विष जीवन में मृतु
साम्यावस्था से है हम परे
सर्वत्र घृणा अवसाद आतंक के खतरों से है हम घिरे
पाप कोई करे पर सभ्यता निर्दोष बच्चे मानवता मरे
अडिग धरती लगती एक बारूद का ढेर
छाया मौत का सन्नाटा
घरों इमारतो भब्य महलों में फैला एक मौत का साया
सुरक्षित जगह ही अब असुरक्षित बन गई
निर्माण और विनाश की रेखा अब धुंधली हो गई
पल भर में दफन हो जाते है सहर
भुज अन्झार टोकियो के होते बीभत्स धमाके
युद्ध खाड़ी कारगिल के
बिखरते पञ्च तत्त्व लहराते मानवता के टुकड़े
धुंए का अम्बार बन जाता विश्व व्यापर केंद्र पेंटागन
हो जाता छड़ भर में ही किसी नेशन का असैसिनेशन
खो जाती किशी दुधमुहे की माँ ब्रिधा का अंचल
परियेसी का प्रीतम
क्यों दुर्भाग्य हमें अपना अचूक निशाना बनता
कहीं जैविक नाभिकिये आत्मघाती दस्तों
तो कहीं कलसिन कोब का खतरा
कभी कोई सिरफिरा अपने फन से बारूद उगल देता
खाने को एक चुटकी अनाज नहीं
दुनिया को मुट्ठी में करने का सपना देखता
जल जाये कभी कश्मीर कभी रशिया कभी अमेरिका
हर तरफ छा रहा एक काला धुन्धलिका
छिन गयी बच्चो की मुस्कान कलियाँ गई मुरझा
हो गई त्याग बलिदान खो गया सर्व वसुधेव कुटम्बकम
निरर्थक निरापद हुआ अब सत्यम सिवम सुन्दरम
हम विवश है डरे सहमे है क्यों क्या भगवन रूठ गया हमसे
इश्वर की पूजा अर्चना बरत आराधना क्या नहीं की हमने
क्या श्रीचरणों में पुष्प आंसूवों के अर्घ नहीं चड़ाए
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारों गिरिजाघरों में दिए नहीं जलाये
ऐसा तो कुछ भीं नहीं फिर यह तरास्दी क्यों हमारे भाग्य में
सर्वत्र हिंसा मारकाट बर्बादी का सैलाब क्यों हमारी जिंदगी में
इन ख़राब स्थितियों का कारन कुछ और नहीं
हमारी अपनी है प्रकृति जो अब बन चुकी है
पाशविक पूर्णतया अप्राकृति हिंसा अस्थिरता कहीं और नहीं
हमारे आप के मन में है
शैतान कहीं ओर नहीं हमारे आपके भीतर है
क्रोध लोभ मद मोह माया ही जिसका स्वरुप है
सृष्टि के नियम देश जाती धर्मं अमीर गरीब से बंधे नहीं होते
यदि हम किसी का अनिष्ट अमंगल चाहेंगे
उससे भी बृहद अमंगल के हम शिकार होंगे
किसी का किसी के हृदय पर यदि अघात होगा
उस पर नियति का उससे भी बड़ा कुठाराघात होगा
वर्त्तमान विश्व संकट से क्रोध कुतर्क के शब्द हमें नहीं बचा सकते
केवल शांति सद्भावना विश्व बंधुत्व के शब्द ही बचा सकते हैं
महात्मा बुद्ध ने सदाचरण सन्मार्ग अहिंसा का मार्ग बताया
महात्मा बुद्ध ने सदाचरण सन्मार्ग अहिंसा का मार्ग बताया
यम नियम ध्यान धारणा करुना ममता का ज्ञान कराया
इनको अपनाकर हरी ब्रह्माण्ड खतरों से बच सकेगा
निर्माण विनाश की रेखा आसीम आकार लेगी
निर्माण ही निर्माण रहेगा विनाश का नामोंनिशां न होगा
हम निडर होंगे महकेगी बगिया पौरुष खिल सकेगा
बच्चे मुस्करायेंगे समिस्ट सभ्यता अक्षुण रह सकेगी
मानव शांत निर्द्वंद जी सकेगा अपने आत्मस्वरूप को प् सकेंगे
जय हिंद जय भारत