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Hishab Kitab bhag ek



हिशाब किताब भाग एक

हिशाब किताब के बारे में आप का दिल क्या कहता है I मेरा दिल तो यही कहता है कि हर एक चीज का कुदरत खुद हिशाब करता है I अगर हम कुछ अच्छा करते है तो फल अच्छा मिलेगा अगर बुरा करते है तो बुरा I यह एक कडवा सत्य है और हम इस चीज से बच नहीं सकते है I आज मुझे सब कुछ अच्छा मिल रहा है तो ये जरूरी नहीं कि यह तुम्हारे ही कर्म का नतीजा है I हो सकता है यह किसी और के दुआओं का असर हो या फिर आपके पिछले जनम के अच्छे कर्म I

यदि आप के साथ बहुत बुरा हो रहा हो तो जरूरी है कि इसका फल बुरा ही होगा अच्छा भी हो सकता है I यह भी जरूरी नहीं कि आप कुछ अच्छा कर रहे हो तो जरूरी नहीं कि वो अच्छा ही हो जैसे कि कुछ लोग भिखारी को भीख देकर समझते है कि किसी का भला कर दिया पर अगर आप ने slumdog मिल्लेनिएर फिल्म देख ली तो सायद आप को लगेगा कि आप किसी गुंडाराज गुट को बढ़ावा दे रहे है और वे लोग किसी के भी हाथ पैर काट के उसे भिखारी बना सकते हैं और आप उस गुट के एक सदस्य ही कहलायेंगे I

रही बात हिसाब किताब कि तो अगर ऊपर वाले ने यह निर्णय लिया है कि जैसे को तैसा मिलता है तो यह भी गलत है अगर इस जन्म में हम मांस का सेवन करते है तो हिसाब के मुताबिक अगले जन्म में हम भी बकरे बनेंगे और वो बकरा जिसे मैंने खाया वो हमें खायेगा पर किसी को अपने पिछले जनम का कुछ भी याद नहीं रहता तो पता कैसे चलेगा कि किसको किस बात कि सजा मिली है I इस तरह से हिसाब किताब तो गलत ही होगा न पर क्या करें ऊपर वाले का नियम तो लागू ही होगा कुछ न कुछ कारण जरूर होगा .

उसने ऐसा चक्र रचा है जिसको समझना मुस्किल ही नहीं नामुमकिन है लेकिन यह चक्र ऐसा है जिससे कि दुनिया चलती रहेगी I खुद स्वामीनारायण जी ने जनम लिया इस धरती पर जब पाप बहुत बढ़ गया था और स्वामिनारायण जी के समय जो पाप का वर्णन मिलता है उसमे मांसाहार का अधिक मात्र में सेवन का उल्लेख भी है I

तब के समय और अभी के समय में ज्यादा अंतर नहीं है अ सब कुछ अंग्रेजी में होता है और पहले हिंदी में होता था. जब हिंदी में होता था तो पाप बहुत बढ़ गया था पर आज जब अंग्रेजी में हो रहा है तो सब आधुनिक और ऊँचे लोग कहलाते है I

कभी कभी तो समझ में ही नहीं आता है कि ये दुनिया कैसी है I कब सुधरेगी ये दुनिया.

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