चोरी
बहुत पहले कि बात है तब मेरा घर पक्का नही था अकसर चोरी होती रहती थी एक दिन कि बात है घर के बाहर मेरे बाबा सो रहे थे तभी उन्हें लगा कोइ खेत में है जब बार बार कुछ आवीजे आती रही तब उन्होंने जाकर देखा कोई हमारे खेत में आलू खोद रहा था बाबा जी चुपके से जाकर वही थोड़ी दूर् पर बैठ गए |
थोड़ी देर उसे आलू खोदने दिया फिर बोले कि यदि तुम्हारे खाने जितना खोद लिया हो तो ले जाओ और मुझे भी सोने दो | चोर सर्मिंदा होकर उठ गया और आलू लेकर चला गया |
आज भी कभी कभी वो चोर घ्रर पर आता है पर चोरी नही करता मिलकर चला जाता है |
बहुत पहले कि बात है तब मेरा घर पक्का नही था अकसर चोरी होती रहती थी एक दिन कि बात है घर के बाहर मेरे बाबा सो रहे थे तभी उन्हें लगा कोइ खेत में है जब बार बार कुछ आवीजे आती रही तब उन्होंने जाकर देखा कोई हमारे खेत में आलू खोद रहा था बाबा जी चुपके से जाकर वही थोड़ी दूर् पर बैठ गए |
थोड़ी देर उसे आलू खोदने दिया फिर बोले कि यदि तुम्हारे खाने जितना खोद लिया हो तो ले जाओ और मुझे भी सोने दो | चोर सर्मिंदा होकर उठ गया और आलू लेकर चला गया |
आज भी कभी कभी वो चोर घ्रर पर आता है पर चोरी नही करता मिलकर चला जाता है |