Skip to main content

Government job, Bribe and Why

सरकारी नौकरी की तलाश बहुत लोगों को होती है. सरकारी नौकरी बहुत ही मुश्किल से मिलती है. अगर किसी को आसानी से मिल जाए तो बहुत ही अच्छा नहीं तो बिना घूस दिए सरकारी नौकरी नहीं मिलती मैं अपने दोस्त के बारे में बताना चाहता हूं सन 1990 में उन्होंने फार्मासिस्ट का कोर्स किया फार्मेसी का कोर्स पूरा करने के बाद जगह जगह पर नौकरी के लिए अप्लाई किया  कई जगह  तो घूस की बात भी की  लेकिन हर जगह काम बनते बनते रह गया उनकी उम्र 32 थी और अगर जल्दी ही सरकारी नौकरी नहीं मिलती तो सरकारी नौकरी के मिनिमम उम्र भी खत्म हो जाती है उन्होंने हार कर डॉक्टर की प्रैक्टिस शुरू कर दी किस्मत ने साथ दिया  कॉन्ट्रैक्ट बेस पर शिक्षामित्र की भी नौकरी मिल गई जो कि केवल ₹ 3500 पर महीना मिलता था फिर भी वह सरकारी नौकरी के लिए अप्लाई करते रहे और धीरे-धीरे उनकी उम्र 42  हो गई फार्मेसी में अचानक उनका नंबर आ गया सरकारी नौकरी के लिए अब जब उनका नंबर आ गया तो उनकी उम्र उस में बाधा हो गई लेकिन उन्होंने अप्लाई 32 वर्ष की उम्र में ही किया था तो उनका चांस बनता था उन्होंने मुकदमा किया 1 साल तक मुकदमा  लड़ा बहुत सारा पैसा वकील को खिलाया कुछ पैसा ग्रुप में खिलाया सरकारी लोगों को तब जाकर उनका एप्लीकेशन पास हुआ और उन्हें फार्मेसी की नौकरी मिल गई मतलब आप सोच सकते हैं एक नौकरी पाने के लिए उनको 32 साल से 40 साल तक पढ़ाई करनी पड़ी .

ऐसे ही ना जाने कितने लोगों को संघर्ष करना पड़ता है मैं कहता हूं कि सरकारी नौकरी का महत्व ही क्या रह गया सरकार लोगों को नौकरी देती है काम करने की लेकिन काम तो कोई करता ही नहीं है सब लोग एक ही काम करते हैं बस  घूस लेने का काम करते हैं.मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि जितने भी लोग आज सरकारी नौकरी कर रहे हैं कम से कम 70% लोग घूस देकर नौकरी ज्वाइन किया है बाकी को 30% लोगों को भी उनके काबिलियत के दम पर नौकरी मिलती है. के 30 परसेंट वही लोग हैं जिसके दम पर आज देश टिका हुआ है.घूस लेने वाले कई तरीके के होते हैं एक तो वह होते हैं जो डायरेक्ट बोल देते हैं कि भैया कुछ चाय पानी तो वह लोग बहुत अच्छे होते हैं जो डायरेक्ट बोल देते हैं कम से कम हमारा समय बच जाता है लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो आपका एक बार में काम करते ही नहीं वह बोलेंगे कल आओ कल गए तो परसों सो गए तो कहेंगे 3 दिन बाद आओ इस तरीके से कम से कम 10 12 दिन निकाल देंगेफिर जवाब थक जाओगे फिर जब आप थक जाओगे तब खुद ही बोल दोगे कि भैया जो चाय पानी लेना हो ले लो लेकिन मेरा काम खत्म आपको मजबूर कर देंगे कि आप सामने से पैसा निकाल कर दे तो आपके पास कोई चारा ही नहीं रहेगा यह मेरा खुद का पर्सनल एक्सपीरियंस है मुझे एक बार डेट ऑफ बर्थ में एक करेक्शन कराना था मैं बीएमसी ऑफिस गया वहां पर मैंन अधिकारी के पास गया पहली बार देखा बोला अपना पासपोर्ट लेकर आओ अपनी पत्नी का पास बुक लेकर आओ आधार कार्ड लेकर आओ अपनी पत्नी का आधार कार्ड लेकर आओ


मेरे पास एक समस्या आ गई मेरा तो बैंक अकाउंट था लेकिन मेरी पत्नी का बैंक अकाउंट नहीं फिर मैं बैंक गया पत्नी का बैंक अकाउंट बनाने के लिए जो जो जो डॉक्यूमेंट बैंक ने मांगा वह भी मेरे पास नहीं था तब बैंक वाले ने सुझाव दिया और अपनी पत्नी का जॉइंट अकाउंट खुलवा लो तो मेरा डॉक्यूमेंट चल जाएगा बैंक के दो-तीन चक्कर लगाने के बाद पत्नी का और मेरा जॉइंट अकाउंट खुल गया सारे डॉक्यूमेंट मैंने इकट्ठा किए और बीएमसी ऑफिस गयाउसने देखा और फिर बोला आज तो बड़े साहब नहीं हैं सिग्नेचर नहीं हो पाएगा आप दो दिन बाद आइएगा ठीक है मैं वापस आ गया मैं दो दिन बाद गया.मैंने फिर उसको बोला भाई आज तो काम कर दो वह सोचने लगा कि मैं चार-पांच चक्कर मार चुका हूं फिर भी कुछ पैसे के बारे में बात नहीं कर रहा हूं तो बोला देखो बहुत दिक्कत है पुराना डॉक्यूमेंट से निकालकर चेक करना पड़ेगा क्या दिक्कत है क्यों आपकी उसमें गलती हुई है तब जाकर काम होगा.बोला आप कल आ जाओ कल मैं बताता हूं ऐसे कल कल करते हैं 2 हफ्ते निकाल दिया उसने मेरे कभी बोलता कंप्यूटर ऑपरेटर नहीं है करेक्शन करने वाला नहीं है कई बोलता फाइल नहीं मिल रही है कई बोलता बड़े साहब नहीं हैं कभी कुछ ना कुछ बोल कर टाल देता जब लास्ट में बोला कि मैं कुछ नहीं बोल रहा हूं कंप्यूटर ऑपरेटर जो है चाय पानी मांग रहा था तो मैंने बोला यार पहले बोल देते तो इतनी चक्कर नहीं पढ़ते.मैंने बोला ठीक है ले लो कोने में ले गया बोला ₹500 तो ₹500 दिए तब बोला कि आप कल आ जाइए और अपना बर्थ सर्टिफिकेट  लेकर जाइए. देखिए तो पैसा देने के बाद भी उस दिन नहीं मिला मुझे दो दिन बाद तो चक्कर लगाने के बाद बर्थ सर्टिफिकेट मुझे मिला एक छोटा सा करेक्शन और इतना बड़ा सजा आप सोच सकते हैं क्या है सरकारी नौकरी का मतलब क्या इसीलिए सरकार नौकरी देती है जिसको जनता की सेवा के लिए रखते हैं वह जनता से ही सेवा की उम्मीद करता है सरकारी नौकरी भाषा परिभाषा बिल्कुल बदल चुकी है सेवा करते नहीं हैं सेवा करवाते हैं.

सरकारी नौकरी वाले लोग शराब मांस मछली के आदी हो चुके होते हैं वह अपनी जरूरत पूरा करने के लिए उसके पैसे का इस्तेमाल करते हैं अपनी मेहनत का पैसा उसमें इस्तेमाल नहीं करते.सरकारी नौकरी का दुरुपयोग हर जगह सरकारी स्कूल में पढ़ाई नहीं होती बच्चों को ट्यूशन पढ़ना पड़ता है ट्यूशन के लिए मोटे मोटे पैसे देने पड़ते हैं तब मास्टर ठीक से पढ़ाते हैं स्कूल कोई बच्चा आता है या नहीं आता है उस से मतलब नहीं ट्यूशन आना चाहिए पैसा देना चाहिए. पुलिस स्टेशन में भी अगर आपको एक करैक्टर सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन चाहिए तो भी आप को कम से कम 300 से ₹1000 भरने पड़ते हैं. अगर आपने पासपोर्ट के लिए अप्लाई किया है तो अब तक अगर आप टोटल निकाले तो कम से कम 80 परसेंट लोगों ने पासपोर्ट वेरिफिकेशन के लिए चाय पानी पुलिस वालों को दिया होगा अगर किसी ने पासपोर्ट वेरिफिकेशन के लिए पैसा नहीं दिया है तो इस पोस्ट की कमेंट में लिखें और जिसने दिया है वह भी लिखें परसेंटेज अपने आप निकल पाएगा.


लेकिन हां जहां पर कॉन्ट्रैक्ट बेस नौकरी प्राइवेट नौकरी है वहां पर थोड़ा अच्छा काम होता है क्योंकि उनको सिर्फ तनख्वाह मिलती है बाकी ग्रुप मिलने की गुंजाइश बहुत कम रहती है क्योंकि उनके   बॉस की नजर हमेशा उन पर रहती है बराबर से उनको अपने काम का रिपोर्ट बनाना पड़ता है वह अपनी जिम्मेदारियों से बने रहते हैं तो अच्छा काम सब प्राइवेट में हो रहा है तो इन सरकारी नौकरियों का क्या मतलब क्या सरकार को नहीं चाहिए अच्छा काम हो अगर यही   घुस सिस्टम चलना है तो क्या इसको खत्म नहीं करना चाहिए खत नहीं कर सकती तो क्या सुधार नहीं करना चाहिए सरकारी का सुधार इसलिए भी नहीं हो रहा है क्योंकि उनको सुधार करने वाले भी सरकारी हैं.

आम आदमी आम आदमी होता है वह सब पचड़ों में नहीं पड़ना चाहता पाक इसलिए वह  घूस देकर निकल जाना समझता है क्योंकि खर्चा तो दोनों तरफ से ही होना है लड़ोगे तो भी खर्चा होगा लड़ने का खर्चा घुस दोगे तो शायद ही खर्चा होगा कि कुछ देना भी जुर्म है अगर हम अपनी आवाज़ उठाएं तो सुधार हो सकता है लेकिन आवाज एकता के साथ होना चाहिए उसके लिए भी सिस्टम होना चाहिए वह सिस्टम नहीं है इसलिए एक आदमी की आवाज कमजोर हो जाती है जनता का भरोसा ही उठ गया जिसके पास पैसा है सरकारी स्कूल में बच्चे को नहीं भेजता है सरकारी हॉस्पिटल में इलाज नहीं करवाता है पुलिस रिपोर्ट होने से डरता है रिपोर्ट लिखवाने से भी डरता है आप कोई भी डिपार्टमेंट ले लीजिए सरकारी का चाहे वह बीएमसी ऑफिस चाहे वह बैंक का ऑफिस चाहे पासपोर्ट ऑफिस हो चाहे  पुलिस थाना होबिजली का विभाग हो होम डिपार्टमेंट को कोई भी बिना घूस के तो काम चलता ही नहीं.

एक आदमी सब कुछ नहीं कर सकता जैसे कि नरेंद्र मोदी जी आज प्रधानमंत्री लेकिन वह हर डिपार्टमेंट पर नहीं पहुंच सकते जनता की भी जिम्मेदारी है की हर शिकायत को प्रधानमंत्री तक पहुंचा है हर विचार को प्रधानमंत्री तक पहुंचा जो विचार देश हित में ना हो और सब विचारपूर्वक इतना हल्ला करें प्रधानमंत्री भी मजबूर हो जाए सिस्टम को सुधारने के लिए.

जय हिंद जय हिंद जय हिंद.

Popular posts from this blog

Village vs city in form of poem

Sanskrit word meaning in Hindi for Profession,vegetables and other things

Raigad fort visit, the capital of Chhatrapati Shivaji Maharaj

Raigarh Fort  was built by Chandrarao Mores in 1030 AD. I visited this fort and enjoyed much more.