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Teepu

टीपू मेरे घर में एक नौकर था उसका नाम टीपू था । टीपू बहुत दिनों से मेरे घर में काम करता था । सब लोगों का विस्वास उसने जीत लिया था । कोई उसे नौकर नहीं समझता था । एक दिन की बात है वो मेरी साइकिल लेकर दुकान गया बोल कुछ सामान लेना है अभी वापस आ जाऊँगा । हम लोगों ने बोला ठीक है थोड़ी देर बाद वो वापस आ गया फिर शाम हो गई । वो साइकिल रखकर घर चला गया । फिर सुबह हुई तो हम सब ने देखा की साइकिल गायब हो गई थी । जब टीपू काम पे वापस आया तो उससे पूछा तो वह बोला की शाम को तो यही रख के गया था । थोड़े दिन बीत गए साइकिल नहीं मिली । इसी बीच टीपू का गाँव की एक लड़की के साथ प्यार हो गया लेकिन लड़की के घर वाले इस प्यार के खिलाफ थे तो टीपू लड़की को भगा ले गया कहीं किसी शहर में चला गया । लकड़ी के घर वालों ने पुलिस में सिकायत कर दी । टीपू के घर की कुर्की को गई और कुर्की के दौरान मेरी साइकिल उसके घर में मिली हम लोगों को पता चल गया की साइकिल की चोरी टीपू ने की थी  । इधर पुलिस टीपू के पिताजी को परेशान करने लगी उन्हें कभी कभी पुलिस की मार भी खानी पड़ रही थी । टीपू के पिता का नाम बाबू था जो की अब इस दुनिया ...

Very Big question about rape crimes in India

baaton hi baaton mein

बातों ही बातों में में यह बताना चाहता हूँ कि अगर कोई व्यक्ति चाहे वो छोटा ही क्यों न हो कुछ बताना चाहता हूँ कुछ स्कीम शेयर करना चाहता हो तो आप उसे एक बार सुने जरूर और अगर अम्ल करने जैसा लगे तो करें जरूर क्यों की आप बातों ही बातों में पैसा कमा सकतें है । में लोगों को जब बताता था की आप इन्टरनेट से पैसा कमा सकते है तो कोई कहता था बकवास है सब टाइम बर्बादी है । कोई सुनता था कोई नहीं । में जिस कंपनी में काम करता था वहां दो बॉस थे मैंने दोनों से कहा की आप इन्टरनेट से पैसा कमा सकते है एक बॉस बोल फालतू में बकवास मत किया करो । लेकिन दूसरा बॉस प्रैक्टिकल आदमी था उसने सुना तो मैंने उसे गूगल के बारे में बताया उसे कांसेप्ट पसंद आया और एक ब्लॉग भी खोल दिया । देखते देखते उसने दो सौ डॉलर कमा लिए । जब भी कुछ नया बताता हूँ वो अप्लाई कर लेता है । आप कंपनी के लिए तो जिंदगी भर काम करते रहते है लेकिन ब्लॉग्गिंग एक ऐसा जरिया है जो आप के लिए एक कंपनी बना देता है । अगर आप भी ब्लॉग के जरिये कमाना चाहते है तो गूगल सर्च के जरिये पाए सारी जानकारी और सुरु करें अपनी पर्सनल इनकम आज ही ।

Paap ka bhagidar kaun hai

पाप का भागीदार मेरा एक दोस्त है उसका नाम है संजय वो साकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार का भोजन करता है परन्तु मांसाहारी में चिकेन के आलावा कुछ नहीं खाता था एक दिन उसे दुसरे दोस्त ने उसे खाने पे बुलाया और बकरे का मांस पेश किया । पहले तो संजय ने सोचा की नहीं खाऊंगा पर बार बार कहने पर खा लिया । दुसरे दिन संजय मुझे मिला तो बताया मैंने कल मटन खा लिया अब खा लिया तो खा लिया उसने खिलाया तो वो ही पाप का भागीदार हुआ न । तो मैंने कहा नहीं मै तुम्हे तीन लाइन में बताता हूँ किसने क्या कमाया । कसाई ने बकरा काटा तो पैसा कमाया दोस्त ने तुम्हे खिलाया तो दोस्ती कमाई तुमने खाया तो पाप कमाया ।

deca daran

डेका डरान आप लोगों ने डेका डरान के बारे में तो सुना ही होगा अगर नहीं सुना है तो में बताता हूँ ये एक दवा है जो इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है । ये ऐसी दवा है जो मरीज के क्रिटिकल दसा में ही दिया जाता है । टनकपुर में दो भाई एक ही घर में रहते थे और खेती करते थे एक का नाम था डमरू और दूसरे का नाम घबरू था । डमरू थोडा पढा लिखा था और थोड़ी बहुत दवा भी जानता था । लोगों को दवा दे के कुछ पैसे भी कमा लेता था । एक बार घबरू बीमार हो गया तो डमरू ने डॉक्टर को नहीं दिखाया बल्कि खुद ही कुछ न कुछ दावा दे देता था । कभी घबरू ठीक हो जाता था पर दो दिन बाद फिर बीमार हो जाता था । दिन गुजरते गए घबरू की हालत अब ज्यादा ही ख़राब हो रही थी । तो डमरू को घबराहट होने लगी फिर एक दिन उसने किताब में डेका डरान के बारे में पढ़ा उसने सोचा क्यों न इस दवा को लगा के देखे भाई ठीक हो जायेगा तो पैसे बच जायेंगे । वो मार्किट गया और डेका डरान ले आया आज घबरू को कुछ ठीक लग रहा था बोला भैया में आज बिलकुल ठीक हूँ अब दवा की कोई जरूरत नहीं है । डमरू ने सोचा अगर डेका डरान नहीं लगाया तो पैसे फालतू में ख़राब हो जायेंगे । डमरू बोला भाई ...

Antarman

एक बालक था उसका नाम था नंदू बहुत भोला था वो । आज वो जब साम को खेल कर वापस आया तो देखा उसके पिता जी डंडा लेकर उसका इंतजार कर रहे थे । उसे लगा आज बहुत देर हो गई है अब तो मार पड़ेगी । उसके पिताजी उसे किसी न किसी बहाने से रोज मारते थे । पर आज नंदू ने फैसला कर लिया की आज वो मार नहीं खायेगा । उलटे पाँव वापस आ गया चुपचाप । रात होने वाली थी और नंदू चला ही जा रहा था देखते देखते ४ किलीमीटर दूर चला गया । नंदू सोच रहा था अब तो और देर हो गई है घर जायेगा तो बहुत मार पड़ेगी फिर जाये तो जाये कहा । सोच रहा था क्यों न चल के ट्रेन के आगे कूद जाऊं में भी ख़त्म और पिताजी की मार भी । उधर माँ सोचने लगी अभी तक नंदू आया क्यों नहीं और इधर उधर खोजने लगी ।उसके  पिताजी को कोई चिंता नहीं थी उन्होंने खाना खाया और सो गए डकार मार के । नंदू सोचते सोचते प्लेटफार्म पर पहुच गया आज तो उसने तय कर लिया था की वो अपनी जान दे देगा । उतने बीच लोगो के भाग दौड़ होने लगी । ट्रेन आने वाली थी नंदू के इंतजार की घड़ियाँ ख़त्म हो रही थी । ट्रेन आ रही थी जैसे ही ट्रेन पास में आई तो उसकी नजर ट्रेन के पहिये पर गई । ट्रेन का प...

Village vs city in form of poem