डेका डरान
आप लोगों ने डेका डरान के बारे में तो सुना ही होगा अगर नहीं सुना है तो में बताता हूँ ये एक दवा है जो इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है । ये ऐसी दवा है जो मरीज के क्रिटिकल दसा में ही दिया जाता है । टनकपुर में दो भाई एक ही घर में रहते थे और खेती करते थे एक का नाम था डमरू और दूसरे का नाम घबरू था । डमरू थोडा पढा लिखा था और थोड़ी बहुत दवा भी जानता था । लोगों को दवा दे के कुछ पैसे भी कमा लेता था । एक बार घबरू बीमार हो गया तो डमरू ने डॉक्टर को नहीं दिखाया बल्कि खुद ही कुछ न कुछ दावा दे देता था ।
कभी घबरू ठीक हो जाता था पर दो दिन बाद फिर बीमार हो जाता था । दिन गुजरते गए घबरू की हालत अब ज्यादा ही ख़राब हो रही थी । तो डमरू को घबराहट होने लगी फिर एक दिन उसने किताब में डेका डरान के बारे में पढ़ा उसने सोचा क्यों न इस दवा को लगा के देखे भाई ठीक हो जायेगा तो पैसे बच जायेंगे ।
वो मार्किट गया और डेका डरान ले आया आज घबरू को कुछ ठीक लग रहा था बोला भैया में आज बिलकुल ठीक हूँ अब दवा की कोई जरूरत नहीं है ।
डमरू ने सोचा अगर डेका डरान नहीं लगाया तो पैसे फालतू में ख़राब हो जायेंगे । डमरू बोला भाई ऐसी दवा लाया हूँ की आप बिलकुल ठीक हो जायेंगे और इंजेक्शन भरने लगा । घबरू खुस हो गया की अब तो बिलकुल ठीक हो जायेगा और बोला ठीक है भाई जैसा आप ठीक समझो । फिर डमरू ने इंजेक्शन लगा दिया ।
जैसे ही इंजेक्शन लगाया घबरू बेहोश हो गया और तड़पने लगा थोड़ी देर में उसका शरीर ठंडा हो गया । घबरू इस दुनिया से हमेशा के लिए चला गया ।
डमरू को बहुत पश्चाताप हुआ । उस दिन के बाद से उसने किसी को दवा नहीं दी पर किसी को पता नहीं चला की डमरू की वजह से घबरू की मौत को गई ।
उसने अपना सगा भाई खो दिया । इस लेख से यही शिक्षा मिलती है की दवा के लिए खुद या लोगों से दवा न कराएँ उसके लिए डॉक्टर और हॉस्पिटल ही उचित है । अगर आप दुनिया में नजर उठा के देखेंगे तो हजारों लाखों डमरू जैसे डॉक्टर दवा करते है और घबरू जैसे लोग मरते है ।
आप लोगों ने डेका डरान के बारे में तो सुना ही होगा अगर नहीं सुना है तो में बताता हूँ ये एक दवा है जो इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है । ये ऐसी दवा है जो मरीज के क्रिटिकल दसा में ही दिया जाता है । टनकपुर में दो भाई एक ही घर में रहते थे और खेती करते थे एक का नाम था डमरू और दूसरे का नाम घबरू था । डमरू थोडा पढा लिखा था और थोड़ी बहुत दवा भी जानता था । लोगों को दवा दे के कुछ पैसे भी कमा लेता था । एक बार घबरू बीमार हो गया तो डमरू ने डॉक्टर को नहीं दिखाया बल्कि खुद ही कुछ न कुछ दावा दे देता था ।
कभी घबरू ठीक हो जाता था पर दो दिन बाद फिर बीमार हो जाता था । दिन गुजरते गए घबरू की हालत अब ज्यादा ही ख़राब हो रही थी । तो डमरू को घबराहट होने लगी फिर एक दिन उसने किताब में डेका डरान के बारे में पढ़ा उसने सोचा क्यों न इस दवा को लगा के देखे भाई ठीक हो जायेगा तो पैसे बच जायेंगे ।
वो मार्किट गया और डेका डरान ले आया आज घबरू को कुछ ठीक लग रहा था बोला भैया में आज बिलकुल ठीक हूँ अब दवा की कोई जरूरत नहीं है ।
डमरू ने सोचा अगर डेका डरान नहीं लगाया तो पैसे फालतू में ख़राब हो जायेंगे । डमरू बोला भाई ऐसी दवा लाया हूँ की आप बिलकुल ठीक हो जायेंगे और इंजेक्शन भरने लगा । घबरू खुस हो गया की अब तो बिलकुल ठीक हो जायेगा और बोला ठीक है भाई जैसा आप ठीक समझो । फिर डमरू ने इंजेक्शन लगा दिया ।
जैसे ही इंजेक्शन लगाया घबरू बेहोश हो गया और तड़पने लगा थोड़ी देर में उसका शरीर ठंडा हो गया । घबरू इस दुनिया से हमेशा के लिए चला गया ।
डमरू को बहुत पश्चाताप हुआ । उस दिन के बाद से उसने किसी को दवा नहीं दी पर किसी को पता नहीं चला की डमरू की वजह से घबरू की मौत को गई ।
उसने अपना सगा भाई खो दिया । इस लेख से यही शिक्षा मिलती है की दवा के लिए खुद या लोगों से दवा न कराएँ उसके लिए डॉक्टर और हॉस्पिटल ही उचित है । अगर आप दुनिया में नजर उठा के देखेंगे तो हजारों लाखों डमरू जैसे डॉक्टर दवा करते है और घबरू जैसे लोग मरते है ।