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Jaane kaha gaye vo din

जाने कहाँ गए वो दिन कभी कभी में सोचता हूँ जाने कहाँ गए वो दिन जब हम बचपन की जिंदगी जी रहे थे मेरे बाबा कहते थे बचपन बीतेगा खेल में और अगर जवानी में सोयेगा तो बुढ़ापे में रोयेगा वो सच ही कहते थे दूसरी बात भी कहते थे की जवानी जा के कभी आती नहीं बुढ़ापा आ के कभी जाता नहीं. मुझे याद आता है वो बचपन के दिन जब हम बिंदास खेला करते थे न कोई चिंता न कोई फिकर बस मजा ही मजा बारिश में भीगा करते थे और जब मक्का होता था तो खेतो से भुट्टा चुराते थे बहुत मजा आता था . में और मेरे दोस्त एक साथ खेला करते थे कभी चोर सिपाही तो कभी दौड़ भाग कभी फूटबल तो कभी क्रिकेट और हमें तो ये ख्याल ही नहीं रहता था की एक दिन हम बड़े हो जायेंगे और सारी मस्ती पीछे छूट जाएगी. गाँव के पास में ही एक तालाब था वहां हम नहाने जाते थे बड़ा मजा आता था . फिर कुछ दिन बीते स्कूल जाने की बारी आई हम स्कूल गए पर धीरे धीरे वहां भी दोस्त बने वहां भी खेल खेल में दिन बीतता था लेकिन कभी कभी जब मास्टर जी मरते थे तब पता चलता था की अब थोडा बड़ा हो जाना चाहिए . हमारे स्कूल में एक मास्टर जी बहुत मारते थे कभी कभी तो पैर पे नीले नीले निशान बन

Story of my friends

कहानी मेरे दोस्तों की मेरा एक दोस्त था नाम था विकास(बदला हुआ नाम) . वो बहुत सीधा था बचपन से ही वो मेरे साथ खेलता था हम दोनों के साथ आरती जो की पड़ोस में रहती थी वो भी हमारे साथ खेलती थी हम जयादातर दौड़ने वाला खेल खेलते थे हमारा एक दोस्त और था उसका नाम था पिंकू . इस तरह से कुल मिलके हम 5 लोग थे मै पिंकू आरती ,रोसी और राजेश . खेलते खेलते कितने दिन बीत गए किसी को पता ही नहीं चला. और एक दिन पिंकू को आरती से प्यार हो गया , राजेश को रोसी से और मेरे पास तो कोई कोई रास्ता ही नहीं बचा एक को पिंकी मिली तो दुसरे को रोसी . मैंने कहा चलो कोई बात नहीं दोनों के प्यार का आनंद लेते है और में दोस्ती निभाता हूँ राजेश को तो रोशी से प्यार था पर रोशी को राजेश से नहीं रोशी मुझसे प्यार करती थी .यह मुझे पता नहीं था. आरती और पिंकी दोनों एक दुसरे को बहुत प्यार करते थे और दोनों को मालूम था पर दोनों ने एक दुसरे को कभी बताया ही नहीं की वो एक दुसरे से प्यार करते है . इसी तरह से दिन गुजरते जा रहे थे . एक दिन हम सभ एक शादी में गए आरती पिंकी और रोशी एक साथ थी मने एक प्रश्न राजेश और पिंकू से किया कि तीन

This is True about Google

यह सच है गूगल के बारे में यह सच है की गूगल वेबसाइट अच्छी तरह से लिखी गई ब्लॉग को ज्यादा प्रायिकता देती है पहले में कॉपी किये मटेरिअल का ब्लॉग बनाता था तो कुछ दिन तो अच्छा रहा लेकिन बाद में सर्च में मेरा ब्लॉग बहुत कम आता था . फिर मैंने निर्णय लिया कि में खुद लिखूंगा . फिर मैंने अपना नया ब्लॉग बनाया नाम है http://experienceofknowledge.blogspot.com इस ब्लॉग में मैंने खुद के अनुभव शेयर किये अब मुझे अच्छा लाभ हो रहा है दूसरा ब्लॉग जिसमे मैंने अपना काम और प्रोग्राम और अदाहरण लिखे नाम है http://daynamicsaxaptatutorials.blogspot.com इस ब्लॉग से भी मुझे लाभ मिल रहा है में भी आप लोगों को सलाह देना चाहता हूँ जो भी पोस्ट करो खुद लिखो यही तरीका है गूगल से पैसा कमाने का.

Aise gujra pahla anubhav

ऐसा गुजरा पहला अनुभव जब में छोटा बच्चा था अक्ल का थोडा कच्चा था . जब में पहली बार बस में बैठा तो मुझे नहीं पता था की सीट पे बैठा जाता है या नीचे में पहली बार नीचे ही बैठ गया तो भाई बोला सीट पे बैठो. तब पता चला की सीट किस लिए होती है. जब में छोटा बच्चा था अक्ल का थोडा कच्चा था. जब मैंने पहली बार फिल्म देखी फिल्म का नाम था होली आई रे मुझे पता नहीं था फिल्म क्या होती है जब मैंने परदे पर देखा तो बड़े बड़े आदमी देख के डर गया . तो भाई बोला दरो नहीं असली नहीं है थोड़ी देर के बाद कुछ आदमी दौड़ रहे थे में सीट से खड़ा होकर भागने वाला था तब भाई ने रोका बोला डरो नहीं वही रहेगा यहाँ नहीं तब पता चला की फिल्म क्या होती है जब में छोटा बच्चा था अक्ल का थोडा कच्चा था. एक बार में मंदिर में बैठा था तभी कुछ लोग बैठे थे पूजा चल रही थी देवी नाच हो रहा था एक आदमी के ऊपर देवी आ गई वो कूदने लगा में डर गया पर बाद में लोगों ने बताया ये तो सब नाटक होता है इनका असली नहीं. जब में छोटा बच्चा था अक्ल का थोडा कच्चा था में भैंस को लेके घास के लिए जाता था कुछ सैतान बच्चे भी आते थे वो मुझे लड़ने के

My friend moti has been died

मेरा मोती मारा गया एक बार की बात है मई उस समय बहुत छोटा था हम काफी गरीब थे मेरे पापा उस समय पढाई कर रहे थे और घर से बाहर थे . में और मेरी मम्मी घर पे थे हमारा घर एकांत में था चोर भी आते थे हमने एक कुत्ता पला था घर की रखवाली के लिए. चोरो के घर भी पास में थे उनके कई सरे कुत्ते थे जो दिन में एके मेरे मोती से लड़ाई करते थे. पर मेरा मोती किसी दुसरे कुत्ते को घर में घुसने नहीं देता था भले ही वो लहू लुहान क्यों न हो जाये. रात को चोरो की भी घर में घुसने की हिम्मत नहीं होती थी. चोर परेसान हो गए थे क्यों की वो चोरी नहीं कर पा रहे थे. एक दिन एक चोर ने मेरे मोती को भाला माँर दिया. हमें सुबह मालूम पड़ा मोती मर गया पर चोरी नहीं होने दी . मुझे मेरा मोती बहुत याद आता है. पर ऐसे शेरदिल कुत्ते अब कहाँ है वो जमाना ही बहुत पुराना था .

Ye aag kab bujhegi

ये आग कब बुझेगी ? आप सोच रहे होंगे मई कौन से आग की बात कर रहा हूँ ! में अपने और आप के अन्दर के आग की बात कर रहा हूँ! हमारे अंदर कितनी आग है जिसे हम नहीं जानते फिर भी वो है. एक आग है कम वासना की जो की प्रकिर्तिक है और रहेगी ! संसार चल रहा है इस आग से! दूसरी आग है नसे की जो की सभी में किसी न किसी रूप में होती है ! कोई चाय तो कोई कोफ़ी कोई सिगरेट तो कोई सरब कोई कम तो कोई ज्यादा यह सब ऐसी आग बन चुके है जो कभी नहीं बुझ सकते हमेशा रहेंगे और इससे हमारा ही नुकसान होना है और हम कर के रहेंगे. मुझे इन आगो से सिकायत नहीं है क्यों की इससे हमर ही नुकसान होता है किसी और का नहीं ? मुझे सिकायत है इसके आलावा एक और आग से जो की बहुत ज्यादा फैल चूका है! वो है मांसाहार की आग. और ए आग कब बुझेगी ? किसी ज़माने में फसल नहीं होती थी तो इंसान मांस खा के कम चला लेता था फिर इंसानों ने अपना रहन सहन बदला शिक्षा में विकास किया भाषा में बदलाव किया रीती रिवाज बदले ? फिर भी नहीं बदला तो मांसाहार हम कल भी खाते थे आज भी खाते हैं. अरे अब तो इन पशुओं को अपनी लाइफ जीने दो इन्हें भी जीने का हक़ है . भगवन की नजर

Vichar vimarsh

विचार विमर्श आज का जीवन कैसा है कभी कभी मई सोचता हो की आज कल की जिंदगी कैसी हो गई है . सुबह उठाना नहाना और ऑफिस जाना फिर खाना खान और फिर सो जाना! क्या यही जिंदगी है ! हम जिंदगी की दौड़ में अपनी जिंदगी खो देते है. दौड़ते कब बुद्धे हो जायेंगे पता ही नहीं चलेगा. किशी सायर ने कहा है जिन्दगी जिन्दा दिली का नाम है मुर्दा दिल क्या खाक जिया करते है. मेरे पापा कहते थे जितना तुम अपनी जिंदगी से प्यार करोगे जिंदगी उतनी ही खुबसूरत लगेगी. इसलिए कुछ भी करो पर सब से पहले खुद से प्यार करना सीखो. दूसरी बात की कुछ भी करियर अपनाओ पर मुस्कराना पहले सीखो. झुकना भी सीखो क्यों की झुकते है वाही जिसमे जन होती है वर्ना अकड़ना तो मुर्दों की पहचान होती है.