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story of budhai

बुधई बुधई जो की एक बहुत गरीब आदमी था वो हमारे गाँव के घर के पीछे रहता था उसकी उम्र ६५ साल की थी वो लोनिया जाति का व्यक्ति था बहुत सीधा साधा इन्सान था उसके ४ बेटे और २ बेटी थी | मेरे पिता जी परदेश में नौकरी करते थे उस समय हम लोग भी गरीबी रेखा में ही जी रहे थे पर बाकि गाँव वालों से बेहतर थे क्यों की पापा को मास्टर की नौकरी मिल गई थी वो भी सरकारी | पापा साल में २ बार ही घर आते थे जब भी घर आते थे तो बुधई खूब तेज आवाज लगता था संतोष तुम्हारे पापा आ गए और हम सुन कर तेजी से भाग कर आते थे पापा आ गए पापा आ गए बिस्कुट लाये होंगे , मिठाई लाये होंगे | धीरे धीरे हमें बुधई के आवाज की आदत लग गई क्यों कि कोई भी आता तो बुधई आवाज जरूर देता था | बुधई को छोटे छोटे पिल्लै पालने का भी सौक था और हम दिन भर उन पिल्लों के साथ खेला करते थे | बुधई के नरमदिली और पिल्लों के प्रति उसका प्यार हमें देख कर अच्छा लगता था | पिल्लों के साथ साथ वो बकरिया भी पालता एक दिन एक बकरी बीमार हो गई तो रात भर दर्द से चिल्लाती रही बुधई से रहा नहीं गया और उसे मुक्त करने के लिए उसे मौत के हवाले करा दिया | तम्बाकू खाना

Story of Aashu

कहानी आशु की आशु जो की कभी किसी ज़माने में एक अच्छा क्षात्र रहा करता था पर कुछ गलत संगत हो जाने के कारन वो अब बदमाश हो चुका था | अभी तो साथ में चाकू और पिस्टल भी रखने लगा था सभी क्षात्रो को डरता रहता था उसे बहुत मजा आता था धीरे धीरे उसकी ५ से ६ लड़कों की गैंग ही बन गई कभी किसी लड़की को छेड़ते तो कभी किसी को पीट देते थे तो किसी का क्रिकेट का खेल बिगाड़ देते थे | दिनोदिन आशु की हरकतें बढती जा रही थी | सभी क्षात्र उससे बचने की कोसिस करते थे | एक दिन तो क्लास में आकर बहुत सारे कुर्शी और मेज़ ही तोड़ डाले | मास्टर जी आये तो सबने सिकायत कर दी तो फिर आशू का नाम स्कूल से काट दिया | नाम कट जाने के बाद भी वो स्कूल आता जाता था और गुंडागर्दी करता था उसे पढाई से कोई मतलब हिन् नहीं था | उसका बर्बाद होने का कारन यह भी था की वो कई बार हाई स्कूल में फ़ैल हो गया था तो उसकी रूचि जाती रही | धीरे धीरे समय बीतता गया जब आशो ने हर तरीके की गुंडा गर्दी कर ली तो अब कुछ बड़ा करने का सोचने लगा अब उसके कदम अपराध जगत की ओर मुड़ चुका था उसे एक लड़की पसंद आ गई धीरे धीरे वो उस पर डोरे डालने लगा सुरु सु

My cute daughter Aashi or Avantika

Boardi visit Near Mumbai

Some days ago I visited boardi which is nice to get refreshment after hactic office work. I want to share some photos with you. If you like to visit then you can go..Now see some photos.

Badmashon ka sangam bhag do

To read part one of this story visit here बदमाशों का संगम भाग एक बदमाशों का संगम भाग दो जैसा की मैंने पहले भाग में कुछ लडको के बारे में लिखा था जैसे की दिवाकर , राणा , धीरज, जीतू, आशो इत्यादि | ऐ सुबह दस बजे के बाद स्कूल में आ जाते थे और दादागिरी शुरु कर देते थे | कभी किसी की पिटाई की तो कभी किसी लड़की को छेड़ते थे कुछ न कुछ तो चलता ही रहता था | सभी कुछ ना कुछ धूम्रपान करते थे कोई गुटके का सौकीन तो कोई सिगरेट और कोई बीडी या तम्बाकू का | दिवाकर उनमे से नंबर एक नशेडी था जब देखो तो खुटका मुह में रहता था | सभी का कुछ न कुछ गपसप चलता रहता था | एक सीधा साधा लड़का था जो की इन सब के बारे में नहीं जनता था एक दिन पीपल के पेड़ के नीचे बैठा था उसका नाम जगन था | थोड़ी देर बाद राणा आकर उससे गली गलोच करने लगा पर जगन को मालूम न था की राणा गुंडा है वो उससे लड़ने भिड़ने लगा | राणा को गुस्सा आ गया और चाकू निकल लिया उसे मारने के लिए | अब जगन डर और डर के भैया भैया चिल्लाने लगा | राणा ने छुरा पेट तक लाते लाते हाथ रोक लिया और हंसने लगा | ऐ सब नजारा मै भी देख रहा था | ऐसे ही न जाने कितने कारनामे ये स

Badmashon ka sangam bhag ek

बदमाशो का संगम भाग एक मैं जो भी लिखने जा रहा हूँ वो कहानी नहीं बल्कि हकीकत है जो एक कहानी जैसी लगती है | बात उन दिनों की है जब मैं कक्षा ७ में पढता था | मेरे स्कूल का नाम राजकीय इंटर कॉलेज था | मेरा स्कूल केवल लडको के लिए ही था | उस स्कूल में दादागिरी बहुत होती थी | उस स्कूल में एक पीपल का पेड़ था जो की बहुत विशाल था | वहां पर हमेशा बदमाशो की मंडली लगती थी | उस ज़माने में दिवाकर, जीतू, धीरज, आशू और अग्नि जैसे बहुत सारे बदमाश थे जो आपस में गली गलोच करते रहते थे | सभी के मुह में मशाले की पुडिया या फिर पान जरूर रहता था | चाकू, कट्टा , बन्दूक या फिर पिस्तोल का प्रदर्शन तो चलता ही रहता था | एक क्षात्र जो की अभी नया नया बदमाश बना था उसका नाम बंटू था | एक दिन exam देने के लिए गया तो मेज पर पिस्तोल रखकर पर्ची से नक़ल करने लगा | मास्टर जी पिस्तोल देख के दर गए और उसे नक़ल करने दिया पर एक मास्टर जी जिनको सभी प्यार से मधुर मुस्कान के नाम से बुलाते थे उन्होंने हिम्मत करके उसके पास गए उसे ऐसा करने से मन किया फिर उसने नक़ल बंद किया पर जैसे ही मधुर मुस्कान जी गए फिर नक़ल सुरु कर दी थोड़ी देर में मधु

What I was thinking

What I was thinking? When I was at 6 year then mostly I think when i will free from reading and I will go to play then I get chance at evening to play. When I was at 10 year then I think should i will able to study well or study will be time pass only then i think let us start study and will test myself that will i get success or not. When I was at 16 years then i tested myself well then i can not get more success on education and I started to take interest in television,movie,serials,songs etc then i start think that i can be good actor even i fail in study . This point was biggest point for me to either i will be more weak in study or I will left study but due to father strict behavior i attached with study but heart was thinking for next. I was thinking if I will fail in acting then i will be zero so I started to write Hindi story,poetry etc but I feel my words conversation and grammar is not good that was my biggest weak point of writing then I decided that i will be in w