Skip to main content

Posts

Bachpan ki yaadein

इस लेख के तहत में वो सब लिखना चाहता हूँ जो हम बचपन में दोस्तों के साथ खेलते थे । हम अक्कड़ बक्कड़ बहुत खेलते थे उसमे जो लाइन बोलते थे वो इस तरह थे अक्कड़ बक्कड़ बोम्बे बोल अस्सी नब्बे पूरे सौ सौ में लागा तागा चोर निकल के भागा ऊँगली जिसके ऊपर जाती थी वो निकल जाता था और जो लास्ट में बचता था वो सबको खोजता था । दूसरा गेम हम खेलते थे कान पकड़ने वाला सब एक दुसरे का कान पकड़ते थे और बोलते थे चियाऊ मियाऊ बकरी का बच्चा नानी के घर जैबे नानी मारे ठुमका चलो भैया घरका एक और गेम खेलते थे पटेल पटेल इसमें सब घेरे में खड़े होते एक साथ और एक आदमी अलग खड़ा होके बोलता था पटेल पटेल गुल्लू को धकेल और सब मिलके गुल्लू को बहार धकेल देते थे । फिर खेलते थे छपन छुरी सब एक दुसरे का हाथ पकड़ के गोल गोल घुमते थे एक लड़का गोले के अंदर होता और बोलता थे इधर का ताला तोड़ेगे सब बोलते थे छपन छूरी मारेंगे । और लड़का घेरा तोड़ के भाग जाता था । इसके आलावा गुल्ली डंडा , कबडडी और खो खो खेलते थे । स्कूल में तो चोर सिपाही और बिसमरित खेलते थे । कभी कभी तो टीम बना के एक दुसरे को मारते थे । आज भी वो याद आते है

Saudagar

सौदागर मुझे याद है एक फिल्म की कहानी नाम है सौदागर । में पुराने सौदागर फिल्म की बात कर रहा हूँ । जिसमे अमिताभ बच्चन और नूतन है । कहानी एक दम छोटी है पर है बड़ी असरदार । नूतन जो की गुड बनाने की कला अच्छी तरह से जानती थी । अमिताभ ने उससे शादी की और दिन दूना रात चौगुना आमदनी होने लगी । अच्छा खासा पैसा आने लगा । खूब गुड बिकने लगा । पर इसी बीच अमिताभ का दिल एक दूसरी औरत पर आ जाता है । जो पैसे उसने नूतन की मेहनत से कमाए थे दूसरी औरत को पाने में लगा दिए और नूतन को तलाक दे देता है । लेकिन दूसरी औरत को गुड बनाना नहीं आता था । उसका गुड बिकना बंद होने लगा । उधर नूतन ने नादिर मिया से निकाह कर लिया । वक्त गुजरता गया अमिताभ की माली हालत ख़राब होने लगी । अब उसे नूतन की जरूरत फिर से होने लगी तो फिर पहुच गया माफ़ी मांगने । नूतन ने साबित कर दिया की एक औरत का दिल बहुत बड़ा होता है उसने अमिताभ को माफ़ कर दिया और उसके लिए फिर से गुड बनाने लगी । मुझे लगता है की इस फिल्म में अमिताभ को माफ़ी नहीं मिलनी चाहिए थी क्यों की उसने जिस तरह से नूतन का दिल तोडा था वो माफ़ी के काबिल नहीं । मतलब निकलने से

Bajani hai to bajani hai

कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है

कभी कभी मै समुन्दर के किनारे बैठ के सोचता हूँ की क्या होगा इस देश का  

Railway Reservation system always in waiting for a gentleman

में कुछ हिंदुस्तान के रेलवे टिकट बुकिंग सिस्टम के बारे में लिखना चाहता हूँ । कितना भ्रश्ट हो चूका है रेलवे रिजर्वेशन सिस्टम । ऐसा लगता है यह सिस्टम आम आदमी के लिए है ही नहीं जब भी टिकट बुकिंग करने जाओ वेटिंग में ही मिलता है आम आदमी करे तो क्या करे । लोगों को वार्तालाप करते देखा की एजेंट से टिकेट बुक कराओ तो तुरंत कन्फर्म मिल है खुद करने जाओ तो वेटिंग में । ये तो सरासर न इंसाफी है । आखिर आम आदमी के साथ ही ऐसा क्यों होता है । हमेशा हम और आप ही क्यों मजबूर होते है । ४ महीने पहले टिकेट बुक करने के बाद भी कन्फर्मेशन का इन्तजार क्यों रहता है । में कहता हूँ पैसा ज्यादा चाहिए तो लो पर टिकेट कन्फर्म तो दो हमेशा एजेंट ही क्यों आम आदमी से ऊपर रहता है । नए नियम आते है जाते है कहते है अब एजेंट की अब नहीं चलेगी लेकिन बाद में भी वेटिंग की पोजीशन वही की वही रहती है बल्कि मुस्किले और भी बढ़ बढ ज़ाती है ऐसा क्यों । आखिर कोई अन्ना इस के लिए आन्दोलन क्यों नहीं करता । सब अपनी राजनीती खेलते रहते है । कन्फर्म टिकेट तो एक सपने जैसा हो गया है । हमारे खाते में तो पलता है बस इंतजार । हमें इन्तजार रहेगा रेलवे रिजर

Jijamata Udyaan Rani Bagh Byculla Mumbai

हम मुंबई के भायखला इलाके में स्थित रानी बॉ, के बारे में कुछ साझा करना चाहते हैं। यह भायखला स्टेशन के पूर्वी दिशा में स्थित है। मैं इस यात्रा के दौरान कुछ छवियों को साझा करना चाहते हैं। If you want to know more details information about Rani baugh then you can visit these links. Jijamata Udyaan Victoria Gardens or Rani Jijamata Udyaan Mumbai/ I hope you will get details as you want .

Happy new year greeting

मुझे याद है बचपन से अब तक का सफ़र नए साल का । बचपन में हम स्कूल के दोस्तों के साथ नये साल की बधाई देते थे । जिनके पास पैसे होते थे वो कार्ड अथवा पेन खरीद कर अपने दोस्त को देते थे में तो कोरे कागज में ड्राइंग बनाकर कार्ड का आकार देकर ही काम चला लेता था । मेरे पिता जी तो दो या चार लाइन लिखकर ढेर सारा कार्ड छपवाते थे और सभी अध्यापकों को एक एक कार्ड देते थे । उनके द्वारा लिखी गई लाइन्स की उन्हें खूब प्रसंशा मिलती थी । उन दिनों नए वर्ष का जूनून कुछ ज्यादा होता था । आज का दौर तो बहुत तेज तर्रार है । कुछ पता ही नहीं चलता की कब दिवाली आई और कब होली । बस काम करते रहो खाते रहो सोते रहो न्यूज़ देखो पिक्चर देखो ऐसे ही सालों तक रूटीन चलता रहता है और आधी उम्र बीत जाती है । नया साल जन्म दिन की तरह होता है हर साल जिंदगी का एक साल बीत जाता है । अशल में वक्त तो वही रहता है केवल वक्त का स्वाद बदल जाता है । नया शाल मानाने का मतलब सिर्फ टाइम मैनेजमेंट ऑफ़ लाइफ . नया सवेरा नयी किरण के साथ नया दिन एक प्यारी मुस्कान के साथ आप सभी को नया साल मुबारक हो ढेर सारी दुवाओं के साथ । मेरी तरफ से आप सभी ल