आसीन का वादा
आसीन जो की मेरे बाबा का दोस्त था | बात बहुत पुरानी है जब आसीन और मेरे बाबा साथ साथ भैंशो को घास चराने के लिए ले जाया करते थे | हमारे गाँव से कुछ दूरी कशाई घर था जहाँ पर भैंशो ko काटा जाता था मेरे बाबा भैंशो को बेचना चाहते थे क्यों की अब उनमे ज्यादा ताकत नही थी उन्हें पालने के लिए परन्तु उन्हें डर था की कहीं कोई कशाई उन्हें न खरीद ले | आशीन भी मुस्लमान था उसे भंसे खरीदने थे तो एक दिन उसने बाबा से बोला मुघे अपने भैंसे बेच दो पर आसीन मुस्लमान था इसलिए थोडा उन्हें डर लगा पर भरोषा करने के लिए बाबा ने बोला अगर तुम वादा करो की भविष्य में कभी kishi कशाई को मेरा भैंसा नाही बेचोगे तो ही मै तुम्हे बेच सकता हूँ | आशीन ने थोडा सोचकर वादा कर लिया तो बाबा ने उसे भैंसा बेच दिया उसे सिर्फ एक भैंसा चाहिए था इसलिए एक ही बेचा.
मेरे बाबा ko सक था पर फिर भी दोस्त पर यकीन करना ठीक समझा .
5 वर्ष बीत gaye एक दिन आशीन aaya man थोडा udash dekh कर बाबा ने poocha kya hua आशीन बोला बाबा भैसा nahi रहा बहुत दिनों से बीमार था और मै aapko batane aaya हूँ की maine भैंसा kasai ko nahi बेचा मेरे dware ही mara.
tab बाबा ने kaha dhanya हो मेरे दोस्त का जिसने वादा nibhaya. बाबा ने उसे gale लगा लिया और बोला kash har दोस्त tumhare jaisa hota.