मुंगरी और उसका बेटा
आप लोग सोच रहे होंगे की मुंगरी कौन है और उसका बेटा कौन है तो अब मै आप को बताता हूँ बात बहुत पुरानी है करीब २० साल पुरानी मै अक्सर अपने फूफा के घर जाया करता था वहां बहुत बच्चे थे खेलने में बहुत मजा आता था उनके घर एक बकरी थी जिसका नाम था मुंगरी वो बहुत लम्बी चौड़ी थी और बहुत समझदार भी.
जब भी उसे उसके नाम से पुकारो आ जाती थी किसी का कभी कोई नुकसान नहीं करती थी
दूध भो २ किलो देती थी मेरे फूफा के ५ बेटे है और सभी उसी का दूध पीते थे उसका दूध भी बहुत मीठा था. हमारे गाँव में बकरे काटने वाले को चिकवा के नाम से जानते है.
कई चिक्वे आते थे उसे खरीदने के लिए पर मेरे फूफा मुंगरी को जान से ज्यादा मानते थे कभी नहीं बेचा चिकवा मुह सिकोड़ के चला जाता था.
मुंगरी का एक बेटा था नाम था मस्तान.
मस्तान भी अब बड़ा हो रहा था पर थोडा सैतान था कभी किसी के क्षत पर तो कभी किसी के खेत में घुस जाता था पर उसको भी जब नाम से बुलाओ जनाब हाजिर.
मै ऐ सब देख के बहुत आनंदित होता था. अक्सर यों ही दिन निकलते गए मुंगरी से फूफा खुस रहते थे फूफा से मुंगरी.
मुंगरी की उम्र १० साल की हो गई थी अब कभी कभी बीमार हो जाती थी एक दिन कुछ ज्यादा बीमार हो गई अपने जीवन की अंतिम सांसे लेने लगी फूफा उसे ले के खूब दौड़े डॉक्टर के पास बैध के पास पर कुछ न हो सका और स्वर्ग सिधार गई .
अब मस्तान अकेला बचा कुछ दिन तक मस्तान बहुत गुमसुम सा रहा अपने माँ के बिना. मस्तान को खरीदने के लिए चिक्वे आने जाने लगे पर मुझे पूरा यकीं था फूफा उसे भी मुंगरी की तरह पालेंगे
पर अब ऐसा नहीं था में गलत था एक दिन एक चिकवा दिन भर घर में बैठा रहा और मस्तान को बेचने के लिए मानाने लगा फूफा को पैसे दिखने लगा पैसे देख के एक बार तो फूफा को लालच आ गया फिर दिल की सुनी और मन कर दिया.
एक रात फूफा की माँ ने कहा ये मस्तान कोई अब दूध तो देगा नहीं पाल के क्या करोगे बेच दो कुछ पैसे ही मिल जायेंगे.
दो दिन बाद चिकवा फिर आ गया इस बार फूफा से नहीं रहा गया और मस्तान को बेचने के लिए हाँ कर दी . में कुछ दिन बाद फिर फूफा के या घूमने के लिए गया में भी कभी कभी मस्तान के साथ खेलता था मैंने फूफा से उसके बारे में पुछा तो बोला बेच दिया मुझे बहुत दुःख हुआ .
आज वर्षो बाद वो दास्ताँ याद आ गयी इसलिए सोचा क्यों न आप लोगों को बताऊँ .
एक एकदम सचाई है एक एक बात.
मेरा लिखा हुआ हर लेख सच्ची घटनाओं पे आधारित है.