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Hishab Kitab bhag teen

हिशाब किताब भाग तीन इस दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं एक साकाहारी और दूसरा मांसाहारी | सदियों से दोनों तरह के लोग पाए जाते है | रामायण की कहानी के बारे में सभी को मालूम होगा | राक्षस जाति के लोग अत्याचार करते थे जो कि पूरी तरह से मांसाहारी थे | साधू लोग जो कि उनके अत्याचार के शिकार होते थे | सभी साधू जन साकाहारी थे | वो राक्षस हर तरीके का मांस खाते थे | जब संसार में पाप बढ़ गया तो उन राक्षसों का अंत करने के लिए श्री राम जी ने जन्म लिया | ये तो भला हो रावन का जिसने अपने बुद्धि से रामजी से विशाल यूद्ध करके सभी राक्षसों का वध करवाकर उन्हें मुक्ति दिला दी | प्रश्न ये है तब तो रावण था जिससे कि उनका उद्धार हो गया पर आज कौन है जो उन्हें मुक्ति दिलाएगा | आज तो रावन का रूप ही बदल चुका बल्कि यूं कहना होगा हर जगह खर और दूसन ही है | आज राक्षस तो हर घर में है जिनका उद्धार नहीं हो सकता है क्यों कि ये राक्षस के साथ साथ मनुष्य भी है | पहले के राक्षसों कि तो मजबूरी थी कि वे कुछ और खाते नहीं थे पर आज तो बहुत बड़ी मात्रा में साकाहार होने के बाद भी लोग मांसाहार का सेवन करते है | आज का युग कलय

Hishab Kitab bhag two

हिशाब किताब भाग दो जब मै छोटा बच्चा था तो बिलकुल ही नासमझ था बड़े जो कहते वो ही मान लेता था | एक बार मेरे भाई बाजार से कुछ चीज ले कर के आये मैंने पुछा क्या है इसमें तो उन्होंने बताया की बकरे का मांस | मैंने कहा ये क्यों लाये बोले खाने के लिए | मैंने कहा जिन्दा बकरे का है या मरे हुए तो उन्होंने कहा जिन्दे को मार कर बनता है | मैंने तब जाना की मांस भी खाने की चीज होती है वो भी जिन्दा को काट कर | शाम हुई बकरे का मांस बन कर तैयार हुआ मुझे भी खिलाया मुझे बहुत ही पसंद आया | फिर तो हर महीने में एक बार तो खाता ही था.| एक बार मेरे गाँव में एक जन के घर पे शादी थी वहां बकरा काटने वाले थे लोग | मै भी देखने के लिए पहुँच गया | मैंने देखा एक आदमी दो बकरों को लेकर आया और एक के बाद दूसरे को काट दिया | मैंने देखा तो सही पर मैंने महसूस किया की मेरा पूरा खून गरम हो चुका था | आँखों में क्रोध की ज्वाला अपने आप झलक रही थी | फिर मुझे याद आया कुछ दी मैंने जिस चीज को खाया था ये ऐसे ही काटा जाता है | फिर मैंने निर्णय लिया की अब मै मांस खाना छोड़ दूंगा | नहीं तो हो सकता है इसका बदला मुझे कहीं न कहीं तो भर

Hishab Kitab bhag ek

हिशाब किताब भाग एक हिशाब किताब के बारे में आप का दिल क्या कहता है I मेरा दिल तो यही कहता है कि हर एक चीज का कुदरत खुद हिशाब करता है I अगर हम कुछ अच्छा करते है तो फल अच्छा मिलेगा अगर बुरा करते है तो बुरा I यह एक कडवा सत्य है और हम इस चीज से बच नहीं सकते है I आज मुझे सब कुछ अच्छा मिल रहा है तो ये जरूरी नहीं कि यह तुम्हारे ही कर्म का नतीजा है I हो सकता है यह किसी और के दुआओं का असर हो या फिर आपके पिछले जनम के अच्छे कर्म I यदि आप के साथ बहुत बुरा हो रहा हो तो जरूरी है कि इसका फल बुरा ही होगा अच्छा भी हो सकता है I यह भी जरूरी नहीं कि आप कुछ अच्छा कर रहे हो तो जरूरी नहीं कि वो अच्छा ही हो जैसे कि कुछ लोग भिखारी को भीख देकर समझते है कि किसी का भला कर दिया पर अगर आप ने slumdog मिल्लेनिएर फिल्म देख ली तो सायद आप को लगेगा कि आप किसी गुंडाराज गुट को बढ़ावा दे रहे है और वे लोग किसी के भी हाथ पैर काट के उसे भिखारी बना सकते हैं और आप उस गुट के एक सदस्य ही कहलायेंगे I रही बात हिसाब किताब कि तो अगर ऊपर वाले ने यह निर्णय लिया है कि जैसे को तैसा मिलता है तो यह भी गलत है अगर इस जन्म

Cellular jail photos

Cellular jail photos

Byapaar ka mukhauta

ब्यापार का मुखौटा  हमने सिरमौर जिन्हें बनाया था  बनाके सूरमा सीने में बसाया था  विभूषित किया था अनगिनत उपाधियों से  पुरस्कृत किया था अर्जुन पुरस्कारों से  प्रतिस्था के सोपान पर जिन्हें बिठाया था  हाथों में जिनके तिरंगा मुस्कराया था  अपार जनता से था जिनका अस्तित्व जगमगाहट  तानकर करतल ध्वनी करती थी जिनका स्वागत  तालियों से होता था अभिनन्दन अनुनाद गडगडाहट  हमारे हिरदय कुसुम हमारे भास्कर ध्रुव तारे थे  जब वो विजयी हो दिवाली पोंगल मानते थे  उनकी जीत अपनी जीत माना था  पराजय में भी सान्तवना प्रेरणा का स्वर उभरता  था  जिस पैसे से मिल सकती थी रोटी मिट सकती थी भूंख  उन खिलाडियों के दर्शनार्थ टिकट ख़रीदा था  आह क्या खेल खेला हमारे  उनका खेल अब हमारे मन पर है एक कुठाराघात  आह क्या खेल खेला हमारे  उनका खेल अब हमारे मन पर है एक कुठाराघात  जहाँ जीत थी वहां हरे नपुंशक बनकर  अपनी जीत का सौदा किया हमें हार  देकर  इमान बेचीं अपनी हमारी भावनाओं का सौदा किया  झोली भरली अपनी सोने से कैसा विस्वासघात किया  उनका खेल महज एक दिखावा है  देश के नाम पर कलंक ,

The line of construction and destruction

The line of construction and destruction  हम घरों में हो तो जैसे भूकंप आये  ट्रेन में हो तो कहीं बम न फूट जाये  विमान में हों तो कब धमाका हो जाये  कहीं क्रिया कलाप में कुछ मिस न हो जाये  स्पर्श के रोमांस में कहीं जनाजा ही न निकल जाये आलिंगन में ही कहीं हो न जाये हम ध्वस्त  बीबी ही न हो कहीं आत्मघाती दस्ते की सदस्य  हर वक्त एक खतरा बना रहता है  निर्माण में जैसे विनाश छुपा रहता है निर्माण विनाश की रेखा कितनी पतली हो गई है फिजा बन चुकी है की हम सहमे फूलों से  तूफानी झंझावात का अंदेशा हो शीतल झोकों से  हंसी हो गई दानवी अट्टहास  मुस्कान विषैली सी  संगीत भोंडा राग बेसुरे  सब्नम बन चुकी एक बूँद आग की  अमृत में विष जीवन में मृतु  साम्यावस्था से है हम परे  सर्वत्र घृणा अवसाद आतंक के खतरों से है हम घिरे  पाप कोई करे पर सभ्यता निर्दोष बच्चे मानवता मरे  अडिग धरती लगती एक बारूद का ढेर  छाया मौत का सन्नाटा  घरों इमारतो भब्य महलों में फैला एक मौत का साया  सुरक्षित जगह ही अब असुरक्षित बन गई  निर्माण और विनाश की रेखा अब धुंधली हो गई  पल भर में दफन

Lunar eclipse images June 2011

Lunar eclipse images