Skip to main content

Self Lines self written

मेरी तुकबंदी

या खुदा ऐसा क्यों होता है जिससे हम दिल लगाते है वह मिलती नहीं
और जो मिलती है उससे कभी दिल ही नहीं लगता

जिंदगी एक दर्दे साम है इंसा जो दिल का गुलाम है |
उसकी बातों ने दिल को कुरेद दिया , उसके दिल से निकले तीर ने दिल को भेद दिया |

खुदा भी वही राम भी वही, हिन्दू भी वही मुस्लिम भी वही, सिख भी वही , ईसाई भी वही |
तो फिर मजहब के नाम पर लड़ना झगड़ना है दिमाग की दही |

चाहे ठंडी हो , बरसात हो या धुप ,मोहब्बत में मजा है भरपूर |
फिर भी जिंदगी खफा रहती है उनसे जो तमाशाई सराब से इश्क करते है |
जुबान तो मोहब्बत बोलती है पर दिल नफरत से गुजरता है |
बोतल में इश्क का भूत दीखता है |

Popular posts from this blog

Village vs city in form of poem

Sanskrit word meaning in Hindi for Profession,vegetables and other things

Ajgar ki fitrat , The moral story in Hindi