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T -20 world cup 2014 final Srilanka vs Bharat

टी २० वर्ल्ड कप २०१४  फाइनल (श्रीलंका ,भारत ) आज ६ अप्रैल २०१४ को टी २० वर्ल्ड कप २०१४ का फाइनल मैच हुआ जो कि भारतियों के लिए एक बुरा दिन साबित हुआ । श्रीलंका बड़ी आसानी से यह मैच जीत लिया । इस मैच को जीतने के लिए भारत को ५० रन कम पड़ गए । इस मैच को रहाणे और युवराज सिंह एक कमजोर कड़ी के रूप में साबित हुए । २२ गेंदो में सिर्फ ११ रन अगर २२ गेंदो पर २२ रन भी मारे होते तो कहानी कुछ और ही होती । उसके बाद जब रैना को आना चाहिए तो धोनी ने आकर ८ बाल ख़राब कर दी । कुल मिला के ऐसा लग रहा था जैसे मैच फिक्स हो इसलिए उनके बल्ले में जंक  लग गया । विराट कि कोसिस अच्छी थी पर ख़राब सपोर्ट के चलते सब पर पानी फिर गया । गेंदबाजों ने कुल मिला के अच्छा किया पर रन कम होने के कारण कुछ नहीं हो सका ।   कुल मिलकर यह मैच दर्द भरा रहा ।  फिर भी श्रीलंका कि टीम को टी २० वर्ल्ड कप २०१४  जीतने के लिए हार्दिक बधाई ।

Das paise ka mela

दस पैसे मेरे घर के पीछे एक गरीब परिवार रहता था ।  उसके मालिक का नाम बुधई था  जो कि अब इस दुनिया में नहीं है ।  बुधई के ३ बेटे और दो बेटी थी । एक बेटी का नाम अमृता था ।  हमारे गाव में हर साल एक मेला लगता था । उस बार भी मेला लगा । अमृता पैसे मांगने लगी पर बुधई के पास सिर्फ दस पैसे ही थे । बुधई ने अमृता को दस पैसे दे दिए । अमृता मेला घूमने लगी एक दुकान पे समोसा था उसने दस पैसे देकर  कहा समोसा दे दो दुकानदार ने कहा एक समोसा पचास पैसे का है ।  यह सुनकर अमृता  आगे बढ़ गई । दूसरी दुकान पर नमकीन माँगा तो दुकानदार ने बहुत थोडा सा नमकीन दिया अमृता बोली बस इतना सा।  अरे मेरा पैसा वापस कर दो इतना थोडा सा नहीं चाहिए । ऐसे ही थोड़ी देर चलता रहा अमृता  ने दस पैसे में पूरे मेले का मजा लिया फिर भी दस पैसा अभी ज्यों का त्यों ही था ।  एक गरीब इंसान दस पैसे के मूल्य को भी समझता है और कम से भी आनंद ले सकता है । ऐसे ही चलते चलते एक दुकानदार ने दस पैसे में नमकीन थोड़ी ज्यादा दे दी तो अमृता ने ले लिया और दस पैसे भी खर्च हो गए ।  आज भी वो पल मुझे याद आता है तो मुस्कराहट निकल जाती है क्यों कि पूरे मेले मे

How to calculate days in February month in the year

कोई भी साल का नंबर अगर ४ से पूरी तरह विभाजित है तो उस साल में फरवरी में २९ दिन होंगे नहीं तो २८ दिन ही होंगे। जैसे कि २१०० को अगर ४ से विभाजित करेंगे तो जवाब आयेगा ५२५ तो २१०० साल के फरवरी में २९ दिन होंगे ।

Gupchup ilaj

गुपचुप इलाज मेरा एक दोस्त था उसका नाम डीपू था | पढ़ने लिखने मे बहुत ही तेज था | दसवी और बारहवी मे तो बहुत अच्छे नंबर से पास हुआ | अब स्नातक की डिग्री कर रहा था | एक दिन उसको हल्का बुखार हो गया मैने उससे कहा जाकर डॉक्टर को दिखा दो | पर वो नही गया और घर पर ही कोर्सीन लेकर खा लिया | सुबह उसका बुखार ठीक हो गया | वो बोला देखा कुछ नही था एकदम चनगा हो गया हूँ | कुछ भी हो तो वो ऐसे ही दवाई खाकर ठीक हो जाता था | ऐसे ही काफ़ी दिन तक चलता रहा | वो कमजोर होता जा रहा था | अभी वो होस्टल मे अकेले ही रहता था | एक दिन तो हद हो गई वो द्वा लेता तो बुखार उतर ही नही रहा था | बुखार आता तो खुद द्वा ले लेता तो बुखार उतर जाता पर फिर हो जाता | ऐसे ही एक महीने तक चलता रहा | एक दिन वो बेहोश हो गया तो दोस्तो ने उसे हॉस्पिटल पहुचा दिया | पर उसकी हालत खराब होती जा रही थी | उसके मम्मी पापा भी आ गये | सभी परेसांन हो रहे थे की अचानक ए कैसे हो गया | डीपू होश मे ही नही आ रहा था इसलिए कुछ पता ही नही चल पा रहा था | डीपू को एक हॉस्पिटल से दूसरे हॉस्पिटल मे शिफ्ट किया जा रहा था पर कोई फ़ायदा नही हो रहा था |

Happy New Year 2016

नया साल मुबारक हो २०१६ आप सभी दोस्तो को मेरी तरफ से नया साल मुबारक हो | मुझे याद है बचपन मे हम अपने हाथो से कार्ड बनाकर दोस्तो मे बाँटा करते थे | कोई कविता लिखकर देता था तो कोई गिफ्ट | उस समय का जुनून ही अलग था नया साल मनाने का | आज भी लोगो मे जुनून होता है पर कोई पार्टी मे जाता है कोई कुछ और करता है | खैर आप लोग जो भी करे दिल से करे मज़ा ज़रूर आएगा | जोश को कायम रखे और दिल को जवान | मेरी भगवान से प्रार्थना है की आप सभी के घरों मे रौनक आए | नये साल का हार्दिक अभिनंदन|

Thag of Delhi

दिल्ली का ठग बहुत दिन पहले कि बात है मेरे एक मित्र दिल्ली में नौकरी करते थे । थोड़े दिन पैसे कमाने के बाद गाँव जाने कि तैयारी कर रहे थे उनका नाम हसमुख है । उनके पास  लगभग २० हजार रूपये थे । वो स्टेशन पर रेलगाड़ी का इंतजार कर रहे थे तभी एक आदमी उनके पास आया और बोला कहा जा रहे हो हसमुख भाई बोले कि बाराबंकी तो उस आदमी ने कहा कि वो भी बाराबंकी जा रहा है । जिस ट्रेन का इंतजार हसमुख भाई कर रहे थे उसी ट्रेन का इन्तजार वो आदमी भी कर रहा था । फिर बोला कि आजकल ठग बहुत लूट रहे है इसलिए मैंने अपने सारे रूपये का रसीद स्टेशन से कटवा लिया है बाराबंकी पहुंचूंगा तो रसीद दिखा कर पैसे वापस ले लूंगा । हसमुख थोड़े अनपढ़ थे सोचा अगर में भी रसीद कटवा लूँ तो रस्ते में जेब कतरी से बच जाऊंगा हसमुख ने कहा मेरे पास भी पैसे है मेरी भी रसीद बनवा दो । वो आदमी बोला मेरा बक्सा अपने पास रखकर रखवाली करो पैसे दो अभी बनवा देता हूँ । फिर पैसे लेकर वो रसीद बनवाने चला गया । बहुत देर हो गई वो आदमी नहीं आया अब हसमुख को समझते देर न लगी कि पैसे चले गए । उन्हें बहुत दुःख हुआ पर किसी तरह से गाव पहुच गए । उसका बक्सा खोल

Dost ki jubani

मेरा एक दोस्त था  वो पाच भाई थे  उस दोस्त का नाम जोगवीर था वो बहुत गुस्से वाला था ।  हर वक्त मुझसे झगड़ता रहता था एक बार मेरी उसकी बहस हो रही थी कि जब परिवार बड़ा हो जाता है तो झगड़े बढ़ते है और फिर बटवारा हो जाता है जमीन का और फिर मैने कहा तू तो पाच भाई है तुम्हारा तो बटवारा जल्द हो जायेगा । वो बोला नहीं हमारे भाइयों कि बीच कभी झगड़ा नहीं होगा ।  उस बात को २ ०  साल हो गए आज याद आया तो महसूस हुआ कि उसने उस दिन उसने प्रतिज्ञा करली थी कि भाइयों से कभी नहीं लड़ेगा ।  सच में आज भी सब मिलकर रहते है । सबकी अपनी अपनी दुकान और बिज़नस है । अगर मनुस्य ठान ले तो आज भी प्यार में ताकत वाली बात सिद्ध होती है  ।

Inderpoori Baba

इन्दरपूरी बाबा बात थोड़ी पुरानी है । एक गाँव जिसका नाम भवानीपुर था । उस गाँव में एक बाबा रहते थे उनका नाम था इन्दरपूरी बाबा । इन्दरपूरी बाबा गाँव के मंदिर में एक छप्पर में रहते थे । में जब भी मंदिर जाता था इन्दरपूरी बाबा से जरूर मिलता था । एक बार में गया तो उन्होंने मुझे खाना भी खिलाया । खाना बहुत ही स्वादिस्ट था । बातों बातों में वो मुझसे तारीख पूछते थे यदि में गलत तारीख बता देता तो बोलते थे क्या पढ़ते लिखते हो तारिख भी नहीं मालूम है सही से । जो कोई भी मंदिर आता था कुछ न कुछ दान दक्षिना दे जाता था । कभी कभी हम उन्हें खाने पर भी बुलाते थे । उस मंदिर के पीछे एक नाऊ रहता था उसका नाम नन्हे था वो बहुत चालक किस्म का आदमी था वो भी कभी कभी बाबा से मिलने आता था । वो जब भी मिलते तो अपनी गाय के बारे में जरूर बताते थे की उनकी गाय बहुत सुन्दर थी एक बार वो रात को सो रहे थे तो कुछ लोग आये और उनके सीने के ऊपर बन्दूक तान दिया । लेकिन किसी तरह से बाबा भाग निकले लेकिन वे चोर बाबा की गाय चुरा ले गए । तब से बाबा को अपनी गाय बहुत याद आती है । वो कहते थे वैसी गाय उन्होंने कभी नहीं देखी । एक दिन ब

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Champak singh ki kismat

चम्पक सिंह जो की मेरा एक दोस्त है उसके जिंदगी की दास्ताँ कुछ हटके है इस लिए मै चम्पक सिंह के बारे में विस्तार से लिखना चाहता हूँ । बातें बहुत सी है पर में उसके जीवन के नौकरी के पल और कुछ एजुकेशन के पल शेयर करूँगा । चम्पक सिंह के पापा का नाम जीवनलाल है । जीवनलाल - बेटा चम्पक अब तू स्नातक कर रहा है आगे का क्या बिचार है । चम्पक सिंह- पिताजी में सोच रहा हूँ कि कंप्यूटर कोर्स कर लेता हूँ । जीवनलाल - बेटा पहले बीएससी पूरा कर लो फिर देखो क्या करना । अब तक तो कभी फर्स्ट क्लास पास हुए नहीं तुम समझ में नहीं आता ये जिंदगी तुम्हे कहा लेकर जाएगी । तू पढता तो रात को २ बजे तक है फिर नंबर क्यों नहीं आते । चम्पक सिंह- क्या करूँ जो पढता हूँ वो आता नहीं और जो आता है वो पढ़ के नहीं जाता । जीवनलाल - हा हा हा तू नहीं सुधरेगा । चम्पक सिंह का एक दोस्त था उसको लोग प्यार से गड्डी के नाम से बुलाते थे । गड्डी और चम्पक सिंह एक ही कमरे में रहते थे । गड्डी को सब मालूम था की चम्पक सिंह के नंबर क्यों नहीं आते थे असल में रात को चम्पक सिंह कुछ अलग ही करता था या तो कहानी की किताब पढता था या फिर खुद कहानी लि